पद्म सूत्र: Difference between revisions
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पद्म सूत्र संस्कृत में 'सद्-धर्मपुंडरीक-सूत्र',[1] जापानी तंदई[2] एवं निचिरेन संप्रदायों द्वारा सत्य के सार-तत्व के रूप में आदरणीय प्रारंभिक महायान बौद्ध ग्रंथों में से एक है। पद्म सूत्र को कई लोगों ने अत्यंत सुंदर एवं प्रभावशाली उत्कृष्ट धर्मग्रंथों तथा पूर्वी एशिया के महायान परंपरा की सबसे महत्तवपूर्ण एवं लोकप्रिय रचना माना है। चीन में इसे मिआओ-फा लिएन-हुआ चिंग या फा-हुआ चिंग तथा जापान में म्योहो रेंगे क्यों या होकेक्यो कहा जाता है। पद्म सूत्र में बुद्ध दिव्य-शाश्वत बुद्ध बन गए हैं, जिन्होंने अनंत युगों पहले संपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया था। आस्था एवं भक्ति के परम लक्ष्य के रूप में उनकी प्रकृति को आंशिक रूप से अद्भुद शक्तियों[3] से अभिव्यक्त किया गया। इस उन्नत बौद्ध शास्त्र की परंपरानुसार मुक्ति एवं संत पद प्राप्त करने के लिए हीनयान लक्ष्यों को निम्न स्तर की युक्तियों में बदल दिया गया है: यहां सभी जीवों को कई बोधिसत्वों की कृपा से पूर्ण ज्ञान प्राप्त बुद्ध बनने के लिए आमंत्रित किया गया है।
सूत्र की रचना
सूत्र की रचना अधिकांशत: छंद में हुई है, जिसमें कुल पंचवर्षीय अध्याय हैं तथा कई तंत्र-मंत्र हैं। इसका चीनी में पहली बार अनुवाद तीसरी सदी में किया गया था, जो चीन एवं जापान में काफ़ी लोकप्रिय को गया, जहां यह आम धारणा बनी कि इसके उच्चारण मात्र से मुक्ति मिल जाएगी। 25वें अध्याय में, जिसमें करुणा के महान बोधिसत्व अवलोकितेश्वर[4] की गौरव गाथा एवं विशेष शक्तियों का वर्णन किया गया, कुआन-यिन-चिंग[5] के नाम से अलग एक महत्त्वपूर्ण जीवन है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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