Difference between revisions of "प्रेम या विकल्प -वंदना गुप्ता"
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बन चुकी है मूरत पत्थर की | बन चुकी है मूरत पत्थर की | ||
मगर प्राण प्रतिष्ठा के लिए | मगर प्राण प्रतिष्ठा के लिए | ||
− | + | ज़रूरत है तुम्हारी | |
और तुम ठहरे निर्मोही , निर्लेप | और तुम ठहरे निर्मोही , निर्लेप | ||
कहो तो अब कैसे संभव है | कहो तो अब कैसे संभव है | ||
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क्या खड़े कर पाओगे कदली वृक्ष | क्या खड़े कर पाओगे कदली वृक्ष | ||
क्योंकि | क्योंकि | ||
− | प्राण प्रतिष्ठा के लिए | + | प्राण प्रतिष्ठा के लिए ज़रूरी है |
तुम्हारा प्रेम रूप में अवतरित हो मूरत में समाना | तुम्हारा प्रेम रूप में अवतरित हो मूरत में समाना | ||
Latest revision as of 10:50, 2 January 2018
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