सिद्ध: Difference between revisions
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{{शब्द संदर्भ नया | |||
|अर्थ= # जिसका साधन गया हो, जो पूरा हो चुका, सम्पन्न। जैसे- आपका उद्देश्य सिद्ध नहीं हुआ। | |||
# प्राप्त, उपलब्ध जैसे- राजनीति में बार-बार दल बदलने से कुछ सिद्ध नहीं होता; जन्मसिद्ध अधिकार। | |||
# सफल। जैसे- तुम्हारे मनोरथ सिद्ध होंगे। | |||
# साधना द्वारा सफल। जैसे- यह मंत्र एक करोड़ बार जपने से सिद्ध होगा। | |||
# (तर्क, प्रमाण आदि से) स्थापित, प्रमाणित। जैसे- अपना कथन तर्क से सिद्ध करिए। | |||
# जिसने योग की आठ सिद्धियों में से एक भी प्राप्त कर ली हो। जैसे- सिद्ध पुरुष। | |||
# जो नियम/क़ानून/सिद्धांत आदि के अनुसार ठीक हो। जैसे- संस्कृत-व्याकरण के अनुसार सिद्ध शब्द-रूप। | |||
# वशीभूत या अनुकूल किया हुआ। जैसे- विरोधी व्यक्ति को बातचीत से सिद्ध कर लेना। | |||
# निपुण, पटु, प्रवीण। जैसे- सिद्ध शिक्षक। | |||
# ([[आग]] पर रखकर) राँधा हुआ। जैसे- सिद्ध [[दाल]]-[[चावल]]। | |||
# बनाकर तैयार किया हुआ। | |||
|व्याकरण=[[विशेषण]] | |||
|उदाहरण= | |||
|विशेष= | |||
|विलोम= | |||
|पर्यायवाची= | |||
|संस्कृत=[(धातु) सिध् + क्त] | |||
|अन्य ग्रंथ= | |||
|संबंधित शब्द= | |||
|संबंधित लेख= | |||
|सभी लेख= | |||
}} | |||
{{शब्द संदर्भ नया | |||
|अर्थ=# व्यक्ति जिसकी साधना पूरी हो चुकी हो। | |||
# सफल साधना द्वारा कोई सिद्धि या दिव्य शक्ति प्राप्त कर चुका संत/योगी आदि; चमत्कार-पूर्ण दिव्य शक्तियों वाला महात्मा। | |||
# [[यक्ष]], [[गंधर्व]] आदि से भिन्न एक देवयोनि या उसका व्यक्ति। जैसे- किन्नर नाग सिद्ध गंधर्बा। -[[तुलसीदास]] ([[रामचरितमानस]] 6/61/1)। | |||
# (जैन मत में) अर्हत, जिन। | |||
# पूर्वी भारत के 84 वज्रयानी बौद्ध तांत्रिकों का एक वर्ग जो लगभग 800 से 1100 ईसवीं के मध्य हुए। जैसे-बौद्ध सिद्धाचार्य। | |||
# शैव नाथ-योगी। [विशेष- वज्रयानी बौद्ध सिद्धों से भिन्न नाथ-सम्प्रदाय के निर्गुण शिव-उपासक योगी मत्स्येंद्रनाथ, गोरखनाथ आदि भी 'सिद्ध' कहे जाते थे। ये सिद्ध योगी 'सिद्ध रसायन' द्वारा अपने शरीर को अजर-अमर रखने को महत्त्वपूर्ण मानते थे। वज्रयानी बौद्ध सिद्धों और नाथ-योगी शैव सिद्धों में परस्पर अनेक तत्वों का आदान-प्रदान होता रहा। नाथ-सम्प्रदाय अत्यंत प्राचीन है परन्तु गोरखनाथ नवीं शती ईसवीं में हुए। अनेक सिद्धों के नाम दोनों परम्पराओं की सूची में समान हैं] | |||
# आध्यात्मिक दृष्टि से महान् और लोक-प्रसिद्ध त्यागी-विरागी महात्मा। | |||
# बिना पकाया हुआ दाल-चावल आदि; सीधा। | |||
|व्याकरण=[[पुल्लिंग]] | |||
|उदाहरण=जहँ जहँ आवत बसे बराती। तहँ तहँ सिद्ध चला बहु भाँति। -[[तुलसीदास]] ([[रामचरितमानस]] 1/333/2) | |||
|विशेष=सिद्धों के साधना-केंद्र सम्पूर्ण भारत में थे और उन्हें 'सिद्धपीठ' कहा जाता था। परन्तु कामरूप, पूर्णगिरि, श्रीहट्ट आदि इनके प्रमुख केंद्र पूर्वी भारत में ही थे। नालंदा तथा विक्रमशिला के विश्वविद्यालय में भी कुछ सिद्धाचार्य विद्यमान थे। | |||
|विलोम= | |||
|पर्यायवाची= | |||
|संस्कृत= | |||
|अन्य ग्रंथ= | |||
|संबंधित शब्द= | |||
|संबंधित लेख= | |||
|सभी लेख= | |||
}} | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{ऐतिहासिक शब्दावली}} | {{शब्द संदर्भ कोश}}{{ऐतिहासिक शब्दावली}} | ||
[[Category:ऐतिहासिक शब्दावली]] | [[Category:ऐतिहासिक शब्दावली]] | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] |
Latest revision as of 12:39, 20 April 2018
सिद्ध उत्तर भारत में प्रचलित 'प्राचीन भारतीय कृषिजन्य व्यवस्था एवं राजस्व संबंधी पारिभाषिक शब्दावली' में एक शब्द है। सिद्ध का अर्थ है- ऐसी भूमि जिसे कृषि योग्य बना लिया गया है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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