रसिया: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:53, 7 November 2017
रसिया ब्रज की प्राचीनतम गायकी कला है। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रस्तुतीकरण रासलीला तथा रसिया गायन के माध्यम से किया जाता है। प्रसिद्ध त्योहार 'होली' ब्रज में बिना रसिया गीतों के अधूरा-सा लगता है। होली पर कई प्रसिद्ध रसिया गीतों की रचना हुई है।
- भारत में बसंत ऋतु का बड़ा ही महत्त्व है। मानवीय प्रेम के प्रतीक बसंत पंचमी और होली आदि के प्रसिद्ध उत्सव इसी ऋतु में मनाये जाते हैं। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न प्रेम लीलाओं का संगीतमय वर्णन इस समय किये जाने की परम्परा रही है। इसी परंपरा का एक प्राचीन प्रतीक है- 'रसिया गायन'।
- रसिया मुख्य रूप से ब्रजभाषा में गाया जाता है। ब्रजभाषा हिन्दी के जन्म से पहले पांच सौ वर्षों तक उत्तर भारत की प्रमुख भाषा रही है।
- रसिया राधा और कृष्ण को नायक-नायिका के रूप में चित्रित करते हुए, मानवीय संबंधों, मानवीय प्रेम और ईश्वरीय भक्ति-प्रेम का गायन है।
- एक अच्छे रसिया गीत में श्रृंगार और भक्ति रस का गजब का सम्मिश्रण होता है, जो प्रेम को ईश्वर तक ले जाता है।
- रसिया गायन सरल सहज शब्दों में प्रेम का सन्देश देता है।
- रसिया ब्रज की धरोहर है, जिसमें नायक ब्रजराज कृष्ण और नायिका ब्रजेश्वरी राधा को लेकर हृदय के अंतरतम की भावना और उसके तार छेडे जाते हैं। ग्राम की चौपालों पर ब्रजवासी ग्रामीण अपने लोकवाद्य "बम" के साथ अपने ढप, ढोल और झांझ बजाते हुए रसिया गाते हैं।
- एक समय ब्रज क्षेत्र में रात-रात भर रसिया दंगल हुआ करते थे, जिनमें एक-से-एक बढ़िया काव्य और संगीत की प्रस्तुतियाँ की जातीं थीं। आज तो होली के दिनों में रेडियो, टेलिविज़न पर वही दो चार पुराने रसिया गीतों की रिकॉर्डिंग बजाकर केवल परम्परा का नाम भर ले लिया जाता है।
- आज के वर्तमान परिवेश में रसिया गायन की परम्परा दम तोड़ रही है। इस दम तोड़ती परम्परा का निर्वाह करने वाले बाज़ार में निम्न स्तरीय संगीत बेच रहे हैं। ऐसा शायद सुनने वालों का आसानी से उपलब्ध अन्य विधाओं के संगीत की तरफ़ जाने के कारण हो सकता है।
- कुछ लोक संगीत, विशेषकर रसिया के कलाकारों के पास संसाधनों और विज्ञापन क्षमता की कमी भी हो सकती है। लोक संगीत से फ़िल्मों और अन्य संगीत की ओर प्रतिभा पलायन भी एक समस्या है।
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