होमाई व्यारावाला: Difference between revisions
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आजादी की लड़ाई से लेकर देश में गणतंत्र लागू होने जैसे लम्हों को कैमरे में कैद कर सहेजने वाली [[भारत]] की पहली महिला छायाचित्र पत्रकार होमाई व्यारावाला का [[15 जनवरी]], [[2012]] को 98 साल की उम्र में [[रविवार]] को निधन हो गया। होमाई ने देश की पत्रकारिता में नया आयाम जोड़ते हुए पहली सफल महिला फोटो पत्रकार की मिसाल | आजादी की लड़ाई से लेकर देश में गणतंत्र लागू होने जैसे लम्हों को कैमरे में कैद कर सहेजने वाली [[भारत]] की पहली महिला छायाचित्र पत्रकार होमाई व्यारावाला का [[15 जनवरी]], [[2012]] को 98 साल की उम्र में [[रविवार]] को निधन हो गया। होमाई ने देश की पत्रकारिता में नया आयाम जोड़ते हुए पहली सफल महिला फोटो पत्रकार की मिसाल क़ायम की। व्यारावाला ने [[भारत का विभाजन|भारत विभाजन]] से पूर्व व बाद की घटनाओं की फोटो खींची, जिससे उनकी पहचान बनी।<ref name="DN"/> | ||
Revision as of 14:16, 29 January 2013
होमाई व्यारावाला
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पूरा नाम | होमाई व्यारावाला |
अन्य नाम | डालडा 13 |
जन्म | 9 दिसंबर, 1913 |
जन्म भूमि | नवसारी, गुजरात |
मृत्यु | 15 जनवरी, 2012 |
मृत्यु स्थान | बडोदरा, गुजरात |
पति/पत्नी | माणेकशॉ व्यारावाला |
कर्म-क्षेत्र | पत्रकारिता |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण |
प्रसिद्धि | भारत की प्रथम महिला फ़ोटो पत्रकार |
नागरिकता | भारतीय |
होमाई व्यारावाला (जन्म- 9 दिसंबर, 1913 - मृत्यु- 15 जनवरी, 2012) भारत की प्रथम महिला फ़ोटो पत्रकार (छायाचित्र पत्रकार) थीं। जिस समय होमाई व्यारावाला फ़ोटोग्राफ़र थीं, उस समय कैमरा ही अपने आप में एक आश्चर्य कहलाता था। उस पर भी एक महिला का इस क्षेत्र में प्रवेश करना बड़े आश्चर्य की बात थी उन्हें वर्ष 2011 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
जीवन परिचय
होमाई व्यारावाला का जन्म 9 दिसंबर, 1913 में गुजरात के नवसारी में एक पारसी परिवार में हुआ था। होमाई व्यारावाला की शिक्षा-दीक्षा मुंबई में हुई। वर्ष 1942 में उन्होंने दिल्ली में ब्रिटिश इंफ़ोर्मेशन सर्विसेज में फोटोग्राफर के रूप में काम शुरू किया।[1]
फ़ोटोग्राफ़ी में कैरियर
होमाई व्यारावाला ने सन् 1938 में फ़ोटोग्राफ़ी के क्षेत्र में पदार्पण किया। उन दिनों फ़ोटोग्राफ़ी को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था और इस क्षेत्र में व्यारावाला, जो कि महिला थीं, की सफलता एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। उल्लेखनीय है कि भारत में फ़ोटोग्राफ़ी की शुरुआत 1840 में हुई और चूँकि यह कला भारत में ब्रिटेन से आई थी, अधिकतर भारतीय फोटोग्राफर, फ़ोटोग्राफ़ी के लिए ब्रिटिश फ़ोटोग्राफर्स की शैली को ही अपनाया करते थे। भारत में फ़ोटोग्राफ़ी उन दिनों अभिजात्य वर्ग के लोगों का शौक हुआ करता था, आजीविका के लिए इसका प्रयोग यदा-कदा ही देखने को मिलता था। भारत में फ़ोटोग्राफ़ी को पेशेवर तौर पर अपनाया जाना बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ के बाद से ही शुरू हुआ और उन दिनों यह क्षेत्र पुरुष प्रधान ही था। यद्यपि उन्नीसवी शताब्दी के द्वितीय दशक के आरम्भ से महिलाएँ भी शौकिया फ़ोटोग्राफ़ी के क्षेत्र में कदम रखने लगी थीं किन्तु इस पुरुष प्रधान क्षेत्र में एक पेशेवर के रूप में होमाई व्यारावाला का आना उनका एक साहसपूर्ण कदम था। होमाई व्यारावाला भारत की प्रथम महिला प्रेस फोटोग्राफर बनीं और वे इस क्षेत्र में 1938 से 1973 तक सफलतापूर्वक कार्य करती रहीं। उन्होंने अपना फ़ोटोग्राफिक कैरियर का आरम्भ बम्बई (वर्तमान मुम्बई) से किया।[2]
ऐतिहासिक क्षणों के गवाह फ़ोटोग्राफ़
होमाई व्यारवाला द्वारा लिए गए फोटो भारत की स्वतंत्रता और अन्य ऐतिहासिक क्षणों की गवाह है। राष्ट्रपति भवन में लॉर्ड माउंटबेटन को सलामी लेते हुए भी उन्होंने तस्वीरें खिची हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं उनकी बहन विजय लक्ष्मी की गले मिलते फोटो उन्होंने खिची हैं। इसके साथ ही महात्मा गांधी के साथ खान अब्दुल गफ़्फ़ार खान एवं गांधी जी के निजी चिकित्सक सुशीला नायर की दुर्लभ तस्वीर उन्होंने खिची हैं। होमाई व्यारवाला द्वारा खीचीं गईं तस्वीरों में युवा दलाई लामा भी हैं। जवाहर लाल नेहरू के साथ उनके दो नाती एवं इंदिरा फिरोज गांधी का भी एक दुर्लभ तस्वीर होमाई व्यारवाला ने खींची है। पंडित जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के अंतिम संस्कार को भी उन्होंने कैमरे में उतारा है।[1]
नेहरूजी पसंदीदा विषय
thumb|होमाई व्यारावाला|250px होमाई को 1945 से 1960 के दौरान सत्ता के गलियारों में प्रवेश मिला। होमाई का पसंदीदा विषय प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। उन्होंने नेहरू के कई यादगार फोटो खींचे। नई दिल्ली से लंदन जाने वाले पहली फ्लाइट में नेहरू द्वारा ब्रिटिश उच्चायुक्त की पत्नी मिस शिमोन की सिगरेट सुलगाने वाला फोटो भी लोगों के जेहन में लंबे समय तक छाया रहा। नेहरू के अलावा वे इंदिरा गांधी के भी नजदीकी थीं। दूसरे विश्वयुद्घ के दौरान उनके फोटो ख़ासे चर्चित रहे।[3]
डालडा 13
होमाई व्यारावाला अपने मूलनाम की अपेक्षा अपने उपनाम "डालडा 13" से अधिक जानी जाती रहीं। व्यारावाला ने जब पहली बार अपनी कार का रजिस्ट्रेशन करवाया तो उन्हें कार का नम्बर मिला था - "DLD 13"। कार के इस नम्बर से ही उन्हें अपना उपनाम "डालडा 13" रखने की प्रेरणा मिली और उन्हें उनके इस उपनाम ने बहुत लोकप्रियता दिलाई।[2]
निधन
आजादी की लड़ाई से लेकर देश में गणतंत्र लागू होने जैसे लम्हों को कैमरे में कैद कर सहेजने वाली भारत की पहली महिला छायाचित्र पत्रकार होमाई व्यारावाला का 15 जनवरी, 2012 को 98 साल की उम्र में रविवार को निधन हो गया। होमाई ने देश की पत्रकारिता में नया आयाम जोड़ते हुए पहली सफल महिला फोटो पत्रकार की मिसाल क़ायम की। व्यारावाला ने भारत विभाजन से पूर्व व बाद की घटनाओं की फोटो खींची, जिससे उनकी पहचान बनी।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 भारत की प्रथम महिला फोटो पत्रकार होमाई व्यारावाला का निधन (हिन्दी) (पी.एच.पी) जागरण जोश। अभिगमन तिथि: 18 मई, 2012।
- ↑ 2.0 2.1 भारत की प्रथम महिला छायाचित्रपत्रकार - होमाई व्यारावाल उर्फ "डालडा 13" (हिन्दी) (पी.एच.पी) धान के देश में (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 18 मई, 2012।
- ↑ 3.0 3.1 सदी को जिंदा कर खुद "फोटो" हुई होमाई व्यारावाला (हिन्दी) (पी.एच.पी) डेली न्यूज़। अभिगमन तिथि: 18 मई, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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