शिव: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
 
(38 intermediate revisions by 12 users not shown)
Line 1: Line 1:
'''शिव भगवान'''<br />
{{संबंधित लेख}}
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=शिव|लेख का नाम=शिव (बहुविकल्पी)}}
[[चित्र:Shiva.jpg|thumb|शिव <br />Shiva]]
[[चित्र:Shiva.jpg|thumb|शिव <br />Shiva]]
*[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं।  
'''शिव''' हिंदू धर्म ग्रंथ [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं।  
*संक्षेप में यह कथा इस प्रकार है- प्रलयकाल के पश्चात सृष्टि के आरम्भ में भगवान नारायण की नाभि से एक कमल प्रकट हुआ और उस कमल से ब्रह्मा प्रकट हुए। ब्रह्मा जी अपने कारण का पता लगाने के लिये कमलनाल के सहारे नीचे उतरे। वहाँ उन्होंने शेषशायी भगवान नारायण को योगनिद्रा में लीन देखा। उन्होंने भगवान नारायण को जगाकर पूछा- 'आप कौन हैं?' नारायण ने कहा कि मैं लोकों का उत्पत्तिस्थल और लयस्थल पुरुषोत्तम हूँ। ब्रह्मा ने कहा- 'किन्तु सृष्टि की रचना करने वाला तो मैं हूँ।' ब्रह्माजी के ऐसा कहने पर भगवान विष्णु ने उन्हें अपने शरीर में व्याप्त सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का दर्शन कराया। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा- 'इसका तात्पर्य है कि इस संसार के स्त्रष्टा मैं और आप दोनों हैं।'
*संक्षेप में यह कथा इस प्रकार है- प्रलयकाल के पश्चात् सृष्टि के आरम्भ में भगवान नारायण की नाभि से एक कमल प्रकट हुआ और उस कमल से ब्रह्मा प्रकट हुए। ब्रह्मा जी अपने कारण का पता लगाने के लिये कमलनाल के सहारे नीचे उतरे। वहाँ उन्होंने शेषशायी भगवान नारायण को योगनिद्रा में लीन देखा। उन्होंने भगवान नारायण को जगाकर पूछा- 'आप कौन हैं?' नारायण ने कहा कि मैं लोकों का उत्पत्तिस्थल और लयस्थल पुरुषोत्तम हूँ। ब्रह्मा ने कहा- 'किन्तु सृष्टि की रचना करने वाला तो मैं हूँ।' ब्रह्माजी के ऐसा कहने पर भगवान विष्णु ने उन्हें अपने शरीर में व्याप्त सम्पूर्ण [[ब्रह्माण्ड]] का दर्शन कराया। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा- 'इसका तात्पर्य है कि इस संसार के स्त्रष्टा मैं और आप दोनों हैं।'
*भगवान विष्णु ने कहा- 'ब्रह्माजी! आप भ्रम में हैं। सबके परम कारण परमेश्वर ईशान भगवान शिव को आप नहीं देख रहे हैं। आप अपनी योगदृष्टि से उन्हें देखने का प्रयत्न कीजिये। हम सबके आदि कारण भगवान सदाशिव आपको दिखायी देंगे। जब ब्रह्मा जी ने योगदृष्टि से देखा तो उन्हें त्रिशूल धारण किये परम तेजस्वी नीलवर्ण की एक मूर्ति दिखायी दी। उन्होंने नारायण से पूछा- 'ये कौन हैं? नारायण ने बताया ये ही देवाधिदेव भगवान [[महादेव]] हैं। ये ही सबको उत्पन्न करने के उपरान्त सबका भरण-पोषण करते हैं और अन्त में सब इन्हीं में लीन हो जाते हैं। इनका न कोई आदि है न अन्त। यही सम्पूर्ण जगत में व्याप्त हैं।' इस प्रकार ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की कृपा से सदाशिव का दर्शन किया।  
*भगवान विष्णु ने कहा- 'ब्रह्माजी! आप भ्रम में हैं। सबके परम कारण परमेश्वर ईशान भगवान शिव को आप नहीं देख रहे हैं। आप अपनी योगदृष्टि से उन्हें देखने का प्रयत्न कीजिये। हम सबके आदि कारण भगवान सदाशिव आपको दिखायी देंगे। जब ब्रह्मा जी ने योगदृष्टि से देखा तो उन्हें त्रिशूल धारण किये परम तेजस्वी नीलवर्ण की एक मूर्ति दिखायी दी। उन्होंने नारायण से पूछा- 'ये कौन हैं? नारायण ने बताया ये ही देवाधिदेव भगवान [[महादेव]] हैं। ये ही सबको उत्पन्न करने के उपरान्त सबका भरण-पोषण करते हैं और अन्त में सब इन्हीं में लीन हो जाते हैं। इनका न कोई आदि है न अन्त। यही सम्पूर्ण जगत में व्याप्त हैं।' इस प्रकार ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की कृपा से सदाशिव का दर्शन किया।  
[[चित्र:Nataraja-Shiva.jpg|thumb|200px|left|नटराज शिव काँस्य प्रतिमा]]
[[चित्र:Nataraja-Shiva.jpg|thumb|200px|left|नटराज शिव काँस्य प्रतिमा]]
*भगवान शिव का परिवार बहुत बड़ा है। एकादश रुद्राणियाँ, चौंसठ योगिनियाँ तथा भैरवादि इनके सहचर और सहचरी हैं।  
*भगवान शिव का परिवार बहुत बड़ा है। एकादश रुद्राणियाँ, चौंसठ योगिनियाँ तथा भैरवादि इनके सहचर और सहचरी हैं।
*माता [[पार्वती देवी|पार्वती]] की सखियों में विजया आदि प्रसिद्ध हैं।  
*माता [[पार्वती देवी|पार्वती]] की सखियों में विजया आदि प्रसिद्ध हैं।
*[[गणेश|गणपति]]-परिवार में उनकी सिद्धि, बुद्धि नामक दो पत्नियाँ तथा क्षेम और लाभ दो पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है।  
*[[गणेश|गणपति]]-परिवार में उनकी सिद्धि, बुद्धि नामक दो पत्नियाँ तथा क्षेम और लाभ दो पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है।
*भगवान [[कार्तिकेय]] की पत्नी देवसेना तथा वाहन मयूर है।  
*भगवान [[कार्तिकेय]] की पत्नी देवसेना तथा वाहन मयूर है।
*भगवती पार्वती का वाहन सिंह है तथा भगवान शिव स्वयं धर्मावतार [[नन्दी]] पर आरूढ़ होते हैं।  
*भगवती पार्वती का वाहन सिंह है तथा भगवान शिव स्वयं धर्मावतार [[नन्दी]] पर आरूढ़ होते हैं।
*यद्यपि भगवान शिव सर्वत्र व्याप्त हैं, तथापि [[काशी]] और कैलास- ये दो उनके मुख्य निवास स्थान कहे गये हैं।    
*यद्यपि भगवान शिव सर्वत्र व्याप्त हैं, तथापि [[काशी]] और कैलास- ये दो उनके मुख्य निवास स्थान कहे गये हैं।  
*भगवान शिव देवताओं के उपास्य तो हैं ही, साथ ही उन्होंने अनेक असुरों- अन्धक, दुन्दुभी, महिष, त्रिपुर, रावण, निवात-कवच आदि को भी अतुल ऐश्वर्य प्रदान किया।  
*भगवान शिव देवताओं के उपास्य तो हैं ही, साथ ही उन्होंने अनेक असुरों- अन्धक, दुन्दुभी, महिष, त्रिपुर, रावण, निवात-कवच आदि को भी अतुल ऐश्वर्य प्रदान किया।
*[[कुबेर]] आदि लोकपालों को उनकी कृपा से यक्षों का स्वामित्व प्राप्त हुआ। सभी देवगणों तथा ऋषि-मुनियों को दु:खी देखकर उन्होंने कालकूट विष का पान किया। इसी से वे [[नीलकण्ठ महादेव|नीलकण्ठ]] कहलाये। इस प्रकार भगवान शिव की महिमा और नाम अनन्त हैं।  
*[[कुबेर]] आदि लोकपालों को उनकी कृपा से यक्षों का स्वामित्व प्राप्त हुआ। सभी देवगणों तथा ऋषि-मुनियों को दु:खी देखकर उन्होंने कालकूट विष का पान किया। इसी से वे [[नीलकण्ठ महादेव|नीलकण्ठ]] कहलाये। इस प्रकार भगवान शिव की महिमा और नाम अनन्त हैं।
[[चित्र:Bhagwan-Shiv-1.jpg|thumb|शिव, [[पार्वती देवी|पार्वती]], [[गणेश]] और [[कार्तिकेय]]<br /> Shiv, Parvati, Ganesh and Kartik]]
[[चित्र:Bhagwan-Shiv-1.jpg|thumb|शिव, [[पार्वती देवी|पार्वती]], [[गणेश]] और [[कार्तिकेय]]<br /> Shiv, Parvati, Ganesh and Kartik]]
*उनके अनेक रूपों में [[उमा-महेश्वर]], [[अर्धनारीश्वर]], [[पशुपति]], [[कृत्तिवास]], [[दक्षिणामूर्ति]] तथा [[योगीश्वर]] आदि अति प्रसिद्ध हैं।  
*उनके अनेक रूपों में [[उमा-महेश्वर]], [[अर्द्धनारीश्वर]], [[पशुपति]], [[कृत्तिवासा]], [[दक्षिणामूर्ति]] तथा [[योगीश्वर]] आदि अति प्रसिद्ध हैं।
*[[महाभारत]], [[आदिपर्व महाभारत|आदिपर्व]] के अनुसार [[पांचाल]] नरेश [[द्रुपद]] की पुत्री [[द्रौपदी]] पूर्वजन्म में एक [[ऋषि]] कन्या थी। उसने श्रेष्ठ पति पाने की कामना से भगवान शिव की तपस्या की थी। शंकर ने प्रसन्न होकर उसे वर देने की इच्छा की। उसने शंकर से पाँच बार कहा कि वह सर्वगुणसंपन्न पति चाहती है। शंकरजी ने कहा कि अगले जन्म में उसके पाँच भरतवंशी पति होंगे, क्योंकि उसने पति पाने की कामना पाँच बार दोहरायी थी।<ref>महाभारत, आदिपर्व, अध्याय 166, 168. </ref>
*भगवान शिव की ईशान, तत्पुरुष, वामदेव, अघोर तथा अद्योजात पाँच विशिष्ट मूर्तियाँ और शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव- ये अष्टमूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं।  
*भगवान शिव की ईशान, तत्पुरुष, वामदेव, अघोर तथा अद्योजात पाँच विशिष्ट मूर्तियाँ और शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव- ये अष्टमूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं।  
*[[सोमनाथ ज्योतिर्लिंग|सोमनाथ]], [[मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग|मल्लिकार्जुन]], [[महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग|महाकालेश्वर]], [[ओंकारश्वर ज्योतिर्लिंग|ओंकारेश्वर]], [[केदारनाथ ज्योतिर्लिंग|केदारेश्वर]], [[भीमशंकर ज्योतिर्लिंग|भीमशंकर]], [[विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग|विश्वेश्वर]], [[त्र्यंम्बक ज्योतिर्लिंग|त्र्यंम्बक]], [[वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग|वैद्यनाथ]], [[नागेश ज्योतिर्लिंग|नागेश]], [[रामेश्वर ज्योतिर्लिंग|रामेश्वर]] तथा [[घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग|घुश्मेश्वर]]– ये प्रसिद्ध [[द्वादश ज्योतिर्लिंग|बारह ज्योतिर्लिंग]] हैं।  
*[[सोमनाथ ज्योतिर्लिंग|सोमनाथ]], [[मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग|मल्लिकार्जुन]], [[महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग|महाकालेश्वर]], [[ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग|ओंकारेश्वर]], [[केदारनाथ ज्योतिर्लिंग|केदारेश्वर]], [[भीमशंकर ज्योतिर्लिंग|भीमशंकर]], [[विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग|विश्वेश्वर]], [[त्र्यंबक ज्योतिर्लिंग|त्र्यंबक]], [[वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग|वैद्यनाथ]], [[नागेश ज्योतिर्लिंग|नागेश]], [[रामेश्वर ज्योतिर्लिंग|रामेश्वर]] तथा [[घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग|घुश्मेश्वर]]– ये प्रसिद्ध [[द्वादश ज्योतिर्लिंग|बारह ज्योतिर्लिंग]] हैं।  
*भगवान शिव के मन्त्र-उपासना में पंचाक्षर '''नम: शिवाय''' तथा '''महामृत्युंजय''' विशेष प्रसिद्ध है।  
*भगवान शिव के मन्त्र-उपासना में पंचाक्षर '''नम: शिवाय''' तथा '''महामृत्युंजय''' विशेष प्रसिद्ध है।  
*इसके अतिरिक्त भगवान शिव की पार्थिव-पूजा का भी विशेष महत्त्व है।
*इसके अतिरिक्त भगवान शिव की पार्थिव-पूजा का भी विशेष महत्त्व है।
*शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं । [[वेद]] में इनका नाम [[रुद्र]] है। यह व्यक्ति की चेतना के अर्न्तयामी हैं । इनकी अर्ध्दांगिनी (शक्ति) का नाम [[पार्वती देवी|पार्वती]] और इनके पुत्र [[कार्तिकेय|स्कन्द]] और [[गणेश]] हैं ।
*शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं । [[वेद]] में इनका नाम [[रुद्र]] है। यह व्यक्ति की चेतना के अर्न्तयामी हैं । इनकी अर्द्धांगिनी (शक्ति) का नाम [[पार्वती देवी|पार्वती]] और इनके पुत्र [[कार्तिकेय|स्कन्द]] और [[गणेश]] हैं।
*शिव योगी के रूप में माने जाते हैं और उनकी पूजा लिंग के रूप में होती है ।  
*शिव योगी के रूप में माने जाते हैं और उनकी पूजा लिंग के रूप में होती है ।  
*भगवान शिव सौम्य एवं रौद्ररूप दोनों के लिए जाने जाते हैं ।  
*भगवान शिव सौम्य एवं रौद्ररूप दोनों के लिए जाने जाते हैं ।  
*सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति हैं । त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के [[देवता]] माने जाते हैं । शिव का अर्थ कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे उनका लय और प्रलय दोनों पर समान अधिकार है ।
*सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के [[देवता]] माने जाते हैं । शिव का अर्थ कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे उनका लय और प्रलय दोनों पर समान अधिकार है।
*भक्त पूजन में [[शिव जी की आरती]] की जाती है।
*भक्त पूजन में [[शिव जी की आरती]] की जाती है।
*शिव जी के अन्य भक्तों में [[त्रिहारिणी]] भी थे और शिव जी त्रिहारिणी को अपने पुत्रों से भी अधिक प्यार करते थे।
==शिवताण्डवस्तोत्रम्==
==शिवताण्डवस्तोत्रम्==
[[चित्र:ardhnarishwar.jpg|अर्धनारीश्वर<br /> Ardhnarishwar|thumb|200px]]
[[चित्र:ardhnarishwar.jpg|[[अर्द्धनारीश्वर]]<br /> Ardhnarishwar|thumb|200px]]
{|
{|
|-
|-
Line 103: Line 106:
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः .. 15..
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः .. 15..
|}
|}
 
{| width="98%"
{| class="wikitable" border="1"
|-valign="top"
|
{| class="bharattable" border="1"
|+ भगवान शिव के अन्य नाम
|+ भगवान शिव के अन्य नाम
| [[सर्वज्ञ (शिव)|सर्वज्ञ]]
| [[सर्वज्ञ (शिव)|सर्वज्ञ]]
Line 121: Line 126:
| [[शर्व (शिव)|शर्व]]
| [[शर्व (शिव)|शर्व]]
| [[भूतेश (शिव)|भूतेश]]
| [[भूतेश (शिव)|भूतेश]]
| [[पिनाकिन्]]
| [[पिनाकी]]
| [[खण्डपरशु]]
| [[खण्डपरशु]]
|-
|-
| [[मृड]]
| [[मृड]]
| [[मृत्युंजय]]
| [[मृत्युंजय]]
| [[कृत्तिवासस्]]
| [[कृत्तिवासस]]
| [[गिरिश]]
| [[गिरिश]]
| [[प्रमथाधिप]]
| [[प्रमथाधिप]]
Line 134: Line 139:
|-
|-
| [[शितकिण्ठ (शिव)|शितकिण्ठ]]
| [[शितकिण्ठ (शिव)|शितकिण्ठ]]
| [[कपालभृत्]]
| [[कपालभृत]]
| [[वामदेव]]
| [[वामदेव]]
| [[महादेव]]
| [[महादेव]]
Line 159: Line 164:
| [[उमापति]]
| [[उमापति]]
| [[गिरीश (शिव)|गिरीश]]
| [[गिरीश (शिव)|गिरीश]]
|-
| [[यतिनाथ]]
|
|
|
|
|
|
|
|}
|}
| [[चित्र:Shiva-Colag.jpg|250px|शिव के विभिन्न दृश्य|thumb]]
|}
{{seealso|शिव चालीसा|शिवरात्रि|शिव के अवतार}}


==वीथिका==
==वीथिका==
<gallery widths="145px" perrow="4">
<gallery widths="200">
चित्र:Bhuteshwar-Mahadev-Temple-2.jpg|[[भूतेश्वर महादेव मथुरा|भूतेश्वर महादेव मन्दिर]], [[मथुरा]]<br />Bhuteshwar Mahadev Temple, Mathura
चित्र:Bhuteshwar-Mahadev-Temple-2.jpg|[[भूतेश्वर महादेव मथुरा|भूतेश्वर महादेव मन्दिर]], [[मथुरा]]
चित्र:Shiva-1.jpg| शिव की काँस्य प्रतिमा, ग्युमित संग्रहालय, पेरिस, फ़्रान्स
चित्र:Shiva-1.jpg|शिव की काँस्य प्रतिमा, <br />ग्युमित संग्रहालय, पेरिस, फ़्रान्स
चित्र:Gokaran-Nath-Mahadeva-Mathura-2.jpg|गोकरन नाथ महादेव, [[मथुरा]]<br />Gokaran Nath Mahadeva, Mathura
चित्र:Natraj.jpg|नटराज शिव
चित्र:Neelkantheshwar-Temple-Mathura-3.jpg|शिवलिंग, नीलकन्ठेश्वर महादेव मन्दिर, [[मथुरा]]<br /> Shivling, Neelkantheshwar Mahadev Temple, Mathura
चित्र:Neelkantheshwar-Temple-Mathura-3.jpg|शिवलिंग, नीलकन्ठेश्वर महादेव मन्दिर, [[मथुरा]]
चित्र:Galteshwar-Mahadeva-Temple-2.jpg|[[गर्तेश्वर महादेव मथुरा|गर्तेश्वर महादेव]], [[मथुरा]]<br />Garteshwar Mahadev Temple, Mathura
चित्र:Shiva-2.jpg|शिव के मंदिर पर नक़्क़ाशी
चित्र:Mathura-Museum-81.jpg|शिव मूर्ति<br />[[मथुरा संग्रहालय|राजकीय संग्रहालय]], [[मथुरा]]<br /> Shiv Figure, Mathura Museum
चित्र:Nageshwar-Mahadev-Gujarat-1.jpg|नंगेश्वर महादेव, [[द्वारका]]
चित्र:Rangeshwar-1.jpg| [[रंगेश्वर महादेव मथुरा|रंगेश्वर महादेव मन्दिर]], [[मथुरा]]<br />Rangeshwar Mahadev Temple, Mathura
चित्र:Galteshwar-Mahadeva-Temple-2.jpg|[[गर्तेश्वर महादेव मथुरा|गर्तेश्वर महादेव]], [[मथुरा]]
चित्र:Chinta-Haran-Ashram-1.jpg|शिवलिंग, चिन्ता हरण आश्रम, [[महावन]]<br /> Shivling, Chinta Haran Ashram, Mahavan
चित्र:Statue-Shiva-Bangalore.jpg|भगवान शिव की मूर्ति, [[बेंगळूरू]]
चित्र:Shiv Barat Mathura 10.jpg|शिव बारात, [[मथुरा]]<br /> Shiv Barat, Mathura
चित्र:Mathura-Museum-81.jpg|शिव मूर्ति<br />[[मथुरा संग्रहालय|राजकीय संग्रहालय]], [[मथुरा]]
चित्र:Shiv Barat Mathura 5.jpg|शिव बारात, [[मथुरा]]<br /> Shiv Barat, Mathura
चित्र:Rangeshwar-1.jpg| [[रंगेश्वर महादेव मथुरा|रंगेश्वर महादेव मन्दिर]], [[मथुरा]]
चित्र:Lord-Shiva-Statue-Rishikesh.jpg|भगवान शिव की मूर्ति, [[ॠषिकेश]]<br/> Lord Shiva Statue, Rishikesh
चित्र:Chinta-Haran-Ashram-1.jpg|शिवलिंग, चिन्ता हरण आश्रम, [[महावन]]
चित्र:Shiv Barat Mathura 10.jpg|शिव बारात, [[मथुरा]]
चित्र:Shiv Barat Mathura 5.jpg|शिव बारात, [[मथुरा]]
चित्र:Lord-Shiva-Statue-Rishikesh.jpg|भगवान शिव की मूर्ति, [[ऋषिकेश]]
चित्र:Nataraja-Shiva-2.jpg|नटराज शिव काँस्य प्रतिमा
चित्र:Nataraja-Shiva-2.jpg|नटराज शिव काँस्य प्रतिमा
चित्र:Shiva-2.jpg|शिव के मंदिर पर नक्काशी
चित्र:Statue-Shiva.jpg|भगवान शिव की मूर्ति, [[हरिद्वार]]
चित्र:Statue-Shiva.jpg|भगवान शिव की मूर्ति, [[हरिद्वार]]
चित्र:Shiva-And-Parvati.jpg|शिव और [[पार्वती]]
</gallery>
</gallery>
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= |माध्यमिक=माध्यमिक2 |पूर्णता= |शोध= }}


==सम्बंधित लिंक==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}}
<references/>
{{शिव2}}
==संबंधित लेख==
{{द्वादश ज्योतिर्लिंग}}
*[http://www.scribd.com/doc/133662684/Lord-Shiva-and-Shai प्रोफेसर महावीर सरन जैन - भगवान शिव एवं शैव दर्शन]
{{शिव}}
{{शिव मंदिर}}{{शिव2}}{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}}{{द्वादश ज्योतिर्लिंग}}{{शिव}}
 
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
[[Category:हिन्दू देवी-देवता]]
[[Category:हिन्दू देवी-देवता]]

Latest revision as of 07:38, 7 November 2017

'शिव' से संबंधित अन्य लेख
चित्र:Disamb2.jpg शिव एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- शिव (बहुविकल्पी)

thumb|शिव
Shiva
शिव हिंदू धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से ब्रह्मा, विष्णु सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं।

  • संक्षेप में यह कथा इस प्रकार है- प्रलयकाल के पश्चात् सृष्टि के आरम्भ में भगवान नारायण की नाभि से एक कमल प्रकट हुआ और उस कमल से ब्रह्मा प्रकट हुए। ब्रह्मा जी अपने कारण का पता लगाने के लिये कमलनाल के सहारे नीचे उतरे। वहाँ उन्होंने शेषशायी भगवान नारायण को योगनिद्रा में लीन देखा। उन्होंने भगवान नारायण को जगाकर पूछा- 'आप कौन हैं?' नारायण ने कहा कि मैं लोकों का उत्पत्तिस्थल और लयस्थल पुरुषोत्तम हूँ। ब्रह्मा ने कहा- 'किन्तु सृष्टि की रचना करने वाला तो मैं हूँ।' ब्रह्माजी के ऐसा कहने पर भगवान विष्णु ने उन्हें अपने शरीर में व्याप्त सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का दर्शन कराया। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा- 'इसका तात्पर्य है कि इस संसार के स्त्रष्टा मैं और आप दोनों हैं।'
  • भगवान विष्णु ने कहा- 'ब्रह्माजी! आप भ्रम में हैं। सबके परम कारण परमेश्वर ईशान भगवान शिव को आप नहीं देख रहे हैं। आप अपनी योगदृष्टि से उन्हें देखने का प्रयत्न कीजिये। हम सबके आदि कारण भगवान सदाशिव आपको दिखायी देंगे। जब ब्रह्मा जी ने योगदृष्टि से देखा तो उन्हें त्रिशूल धारण किये परम तेजस्वी नीलवर्ण की एक मूर्ति दिखायी दी। उन्होंने नारायण से पूछा- 'ये कौन हैं? नारायण ने बताया ये ही देवाधिदेव भगवान महादेव हैं। ये ही सबको उत्पन्न करने के उपरान्त सबका भरण-पोषण करते हैं और अन्त में सब इन्हीं में लीन हो जाते हैं। इनका न कोई आदि है न अन्त। यही सम्पूर्ण जगत में व्याप्त हैं।' इस प्रकार ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की कृपा से सदाशिव का दर्शन किया।

thumb|200px|left|नटराज शिव काँस्य प्रतिमा

  • भगवान शिव का परिवार बहुत बड़ा है। एकादश रुद्राणियाँ, चौंसठ योगिनियाँ तथा भैरवादि इनके सहचर और सहचरी हैं।
  • माता पार्वती की सखियों में विजया आदि प्रसिद्ध हैं।
  • गणपति-परिवार में उनकी सिद्धि, बुद्धि नामक दो पत्नियाँ तथा क्षेम और लाभ दो पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है।
  • भगवान कार्तिकेय की पत्नी देवसेना तथा वाहन मयूर है।
  • भगवती पार्वती का वाहन सिंह है तथा भगवान शिव स्वयं धर्मावतार नन्दी पर आरूढ़ होते हैं।
  • यद्यपि भगवान शिव सर्वत्र व्याप्त हैं, तथापि काशी और कैलास- ये दो उनके मुख्य निवास स्थान कहे गये हैं।
  • भगवान शिव देवताओं के उपास्य तो हैं ही, साथ ही उन्होंने अनेक असुरों- अन्धक, दुन्दुभी, महिष, त्रिपुर, रावण, निवात-कवच आदि को भी अतुल ऐश्वर्य प्रदान किया।
  • कुबेर आदि लोकपालों को उनकी कृपा से यक्षों का स्वामित्व प्राप्त हुआ। सभी देवगणों तथा ऋषि-मुनियों को दु:खी देखकर उन्होंने कालकूट विष का पान किया। इसी से वे नीलकण्ठ कहलाये। इस प्रकार भगवान शिव की महिमा और नाम अनन्त हैं।

[[चित्र:Bhagwan-Shiv-1.jpg|thumb|शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय
Shiv, Parvati, Ganesh and Kartik]]

  • उनके अनेक रूपों में उमा-महेश्वर, अर्द्धनारीश्वर, पशुपति, कृत्तिवासा, दक्षिणामूर्ति तथा योगीश्वर आदि अति प्रसिद्ध हैं।
  • महाभारत, आदिपर्व के अनुसार पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री द्रौपदी पूर्वजन्म में एक ऋषि कन्या थी। उसने श्रेष्ठ पति पाने की कामना से भगवान शिव की तपस्या की थी। शंकर ने प्रसन्न होकर उसे वर देने की इच्छा की। उसने शंकर से पाँच बार कहा कि वह सर्वगुणसंपन्न पति चाहती है। शंकरजी ने कहा कि अगले जन्म में उसके पाँच भरतवंशी पति होंगे, क्योंकि उसने पति पाने की कामना पाँच बार दोहरायी थी।[1]
  • भगवान शिव की ईशान, तत्पुरुष, वामदेव, अघोर तथा अद्योजात पाँच विशिष्ट मूर्तियाँ और शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव- ये अष्टमूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं।
  • सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमशंकर, विश्वेश्वर, त्र्यंबक, वैद्यनाथ, नागेश, रामेश्वर तथा घुश्मेश्वर– ये प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंग हैं।
  • भगवान शिव के मन्त्र-उपासना में पंचाक्षर नम: शिवाय तथा महामृत्युंजय विशेष प्रसिद्ध है।
  • इसके अतिरिक्त भगवान शिव की पार्थिव-पूजा का भी विशेष महत्त्व है।
  • शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं । वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अर्न्तयामी हैं । इनकी अर्द्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती और इनके पुत्र स्कन्द और गणेश हैं।
  • शिव योगी के रूप में माने जाते हैं और उनकी पूजा लिंग के रूप में होती है ।
  • भगवान शिव सौम्य एवं रौद्ररूप दोनों के लिए जाने जाते हैं ।
  • सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने जाते हैं । शिव का अर्थ कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे उनका लय और प्रलय दोनों पर समान अधिकार है।
  • भक्त पूजन में शिव जी की आरती की जाती है।
  • शिव जी के अन्य भक्तों में त्रिहारिणी भी थे और शिव जी त्रिहारिणी को अपने पुत्रों से भी अधिक प्यार करते थे।

शिवताण्डवस्तोत्रम्

[[चित्र:ardhnarishwar.jpg|अर्द्धनारीश्वर
Ardhnarishwar|thumb|200px]]

जटाटवी-गलज्जल-प्रवाह-पावित-स्थले
गलेऽव-लम्ब्य-लम्बितां-भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम्
डमड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयं
चकार-चण्ड्ताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् .. 1..
जटा-कटा-हसं-भ्रम भ्रमन्नि-लिम्प-निर्झरी-
-विलोलवी-चिवल्लरी-विराजमान-मूर्धनि
धगद्धगद्धग-ज्ज्वल-ल्ललाट-पट्ट-पावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम .. 2..

धरा-धरेन्द्र-नंदिनी विलास-बन्धु-बन्धुर
स्फुर-द्दिगन्त-सन्तति प्रमोद-मान-मानसे
कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदि
क्वचि-द्दिगम्बरे-मनो विनोदमेतु वस्तुनि .. 3..

जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणि प्रभा
कदम्ब-कुङ्कुम-द्रव प्रलिप्त-दिग्व-धूमुखे
मदान्ध-सिन्धुर-स्फुरत्त्व-गुत्तरी-यमे-दुरे
मनो विनोदमद्भुतं-बिभर्तु-भूतभर्तरि .. 4..

सहस्र लोचन प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर
प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठभूः
भुजङ्गराज-मालया-निबद्ध-जाटजूटक:
श्रियै-चिराय-जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः .. 5..

ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा-
निपीत-पञ्च-सायकं-नमन्नि-लिम्प-नायकम्
सुधा-मयूख-लेखया-विराजमान-शेखरं
महाकपालि-सम्पदे-शिरो-जटाल-मस्तुनः .. 6..

कराल-भाल-पट्टिका-धगद्धगद्धग-ज्ज्वल
द्धनञ्ज-याहुतीकृत-प्रचण्डपञ्च-सायके
धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्रचित्र-पत्रक
-प्रकल्प-नैकशिल्पिनि-त्रिलोचने-रतिर्मम … 7..

नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत्
कुहू-निशी-थिनी-तमः प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः
निलिम्प-निर्झरी-धरस्त-नोतु कृत्ति-सिन्धुरः
कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः .. 8..

प्रफुल्ल-नीलपङ्कज-प्रपञ्च-कालिमप्रभा-
-वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचिप्रबद्ध-कन्धरम् .
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकछिदं तमंतक-च्छिदं भजे .. 9..

अखर्व सर्व-मङ्ग-लाकला-कदंबमञ्जरी
रस-प्रवाह-माधुरी विजृंभणा-मधुव्रतम्
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्तकान्तकं भजे .. 10..

जयत्व-दभ्र-विभ्र-म-भ्रमद्भुजङ्ग-मश्वस-
द्विनिर्गमत्क्रम-स्फुरत्कराल-भाल-हव्यवाट्
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्ग-तुङ्ग-मङ्गल
ध्वनि-क्रम-प्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः .. 11..

दृष-द्विचित्र-तल्पयोर्भुजङ्ग-मौक्ति-कस्रजोर्
-गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्वि-पक्षपक्षयोः
तृष्णार-विन्द-चक्षुषोः प्रजा-मही-महेन्द्रयोः
समप्रवृतिकः कदा सदाशिवं भजे .. 12..

कदा निलिम्प-निर्झरीनिकुञ्ज-कोटरे वसन्
विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मञ्जलिं वहन् .
विमुक्त-लोल-लोचनो ललाम-भाललग्नकः
शिवेति मन्त्र-मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् .. 13..

इदम् हि नित्य-मेव-मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि-मेति-संततम्
हरे गुरौ सुभक्ति-माशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् .. 14..

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः
शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः .. 15..

भगवान शिव के अन्य नाम
सर्वज्ञ मारजित् रुद्र शम्भू ईश पशुपति शूलिन महेश्वर
भगवत् ईशान शंकर चन्द्रशेखर शर्व भूतेश पिनाकी खण्डपरशु
मृड मृत्युंजय कृत्तिवासस गिरिश प्रमथाधिप उग्र कपर्दिन् श्रीकण्ठ
शितकिण्ठ कपालभृत वामदेव महादेव विरूपाक्ष त्रिलोचन कृशानुरेतस् धूर्जटि
नीललोहित हर स्मरहर भर्ग त्र्यम्बक त्रिपुरान्तक गंगधर अन्धकरिपु
क्रतुध्वंसिन वृषध्वज व्योमकेश भव भीम स्थाणु उमापति गिरीश
यतिनाथ
250px|शिव के विभिन्न दृश्य|thumb
  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


वीथिका

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, आदिपर्व, अध्याय 166, 168.

संबंधित लेख