अपरताल: Difference between revisions
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{{पौराणिक स्थान}}{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}} | {{पौराणिक स्थान}}{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}} |
Revision as of 06:39, 16 June 2013
अपरताल स्थान का उल्लेख वाल्मीकि रामायण[1] में अयोध्या के दूतों के केकय देश[2] की यात्रा के प्रसंग में है-
- 'न्यन्ते नापरतालस्य प्रलम्बस्योत्तरं प्रति निषेवमाणाजग्मुर्नदीमध्येन मालिनीम्'।
- इस देश के संबंध में मालिनी नदी का उल्लेख होने से यह जान पड़ता है कि इस देश में ज़िला बिजनौर और गढ़वाल[3] का कुछ भाग सम्मिलित रहा होगा।
- मालिनी गढ़वाल के पहाड़ों से निकल कर बिजनौर नगर से 6 मील दूर गंगा में रावलीघाट के निकट मिलती है।
- इसके आगे दूतों के हस्तिनापुर में पहुंच कर गंगा को पार करने का उल्लेख है।[4]
- प्रलंब बिजनौर ज़िले का दक्षिण भाग था, क्योंकि उपर्युक्त उद्धरण में उसे मालिनी के दक्षिण में बताया गया है। मालिनी इस ज़िले के उत्तरी भाग में बहती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वाल्मीकि-रामायण अयोध्याकांड 68,12
- ↑ पंजाब के अंतर्गत
- ↑ उत्तर प्रदेश
- ↑ 68,13
- पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर