जातक कथा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "॰" to ".") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "विद्वान " to "विद्वान् ") |
||
(8 intermediate revisions by 5 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{ | '''जातक कथाएँ''' [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] के पूर्वजन्मों की बेहद लोकप्रिय [[कहानी|कहानियाँ]] हैं, जिन्हें [[बौद्ध धर्म]] के सभी मतों में संरक्षित किया गया है। कुछ जातक कहानियाँ [[पालि भाषा|पालि]] बौद्ध लेखों की विभिन्न शाखाओं में हैं। इनमें वे 35 काहानियाँ भी हैं, जिनका संकलन उपदेश देने के लिए किया गया था। इनकी रचना का समय तीसरी [[शताब्दी]] ई. पूर्व से पहले का माना जाता है।<ref name="a">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-2|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=239|url=}}</ref> | ||
{{tocright}} | |||
==भाषा== | |||
[[पालि भाषा|पालि]] में लिखित 35 कहानियाँ अंतिम पुस्तक 'करिय पिटक'<ref>व्यवहार संहिता</ref> में हैं, जो 'खुद्दक निकाय'<ref>लद्यु संकलन</ref> का अंग है। इसके अलावा पांचवी [[शताब्दी]] की सिहंली भाषा की टिप्पणी भी है, जिसका संबंध बौद्ध विद्वान् [[बुद्धघोष]] से है, जिन्हें 'जातकत्थावन्नन' या 'जातकत्थकथा' कहते हैं, जिनमें 550 जातक कहानियाँ हैं, इनमें से कुछ बहुत छोटी तो कुछ उपन्यासिकाओं जैसी लंबी हैं। | |||
====मूर्तियों और चित्रों में प्रदर्शन==== | |||
कई जातक कथाएँ [[महाभारत]], [[पंचतंत्र]], [[पुराण]] और गैर बौद्ध भारतीय साहित्य की [[कथा|कथाओं]] के समान हैं। कुछ बाद में ईसप की कहानियों में भी मिलती हैं। जातक कथाएँ संपूर्ण बौद्ध विश्व की मूर्तियों और चित्रों में भी प्राय: प्रदर्शित की गई हैं। [[साँची]] के [[स्तूप|स्तूपों]] में, जिनका निर्माण तीसरी [[शताब्दी]] ई. पूर्व में हुआ था, जातक कथाएँ अंकित हैं। इन कथाओं के लेखकों का नाम अज्ञात है। इनमें रचनाकालीन [[भारत]] की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति का विवरण भी मिलता है।<ref name="a"/> | |||
==कहानी का प्रारम्भ== | |||
प्रत्येक [[कहानी]] अपने कथन के अवसर के उल्लेख से शुरू होती है और [[बुद्ध]] द्वारा पिछली कहानी के पात्रों के जीवन को नई कहानी के पात्रों में पहचानने के साथ समाप्त होती है। इन कहानियों में विनोद का पुट और विविधता भी है। इनमें भावी बुद्ध राजा, बहिष्कृत व्यक्ति, भगवान, [[हाथी]] आदि के रूप में आ सकते हैं, लेकिन वह किसी भी रूप में आएं, उनमें कोई ऐसा गुण होता है, जिसकी शिक्षा कहानी देती है। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{बौद्ध साहित्य}}{{बौद्ध धर्म}} | |||
[[Category:बौद्ध साहित्य]][[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
Latest revision as of 14:24, 6 July 2017
जातक कथाएँ भगवान बुद्ध के पूर्वजन्मों की बेहद लोकप्रिय कहानियाँ हैं, जिन्हें बौद्ध धर्म के सभी मतों में संरक्षित किया गया है। कुछ जातक कहानियाँ पालि बौद्ध लेखों की विभिन्न शाखाओं में हैं। इनमें वे 35 काहानियाँ भी हैं, जिनका संकलन उपदेश देने के लिए किया गया था। इनकी रचना का समय तीसरी शताब्दी ई. पूर्व से पहले का माना जाता है।[1]
भाषा
पालि में लिखित 35 कहानियाँ अंतिम पुस्तक 'करिय पिटक'[2] में हैं, जो 'खुद्दक निकाय'[3] का अंग है। इसके अलावा पांचवी शताब्दी की सिहंली भाषा की टिप्पणी भी है, जिसका संबंध बौद्ध विद्वान् बुद्धघोष से है, जिन्हें 'जातकत्थावन्नन' या 'जातकत्थकथा' कहते हैं, जिनमें 550 जातक कहानियाँ हैं, इनमें से कुछ बहुत छोटी तो कुछ उपन्यासिकाओं जैसी लंबी हैं।
मूर्तियों और चित्रों में प्रदर्शन
कई जातक कथाएँ महाभारत, पंचतंत्र, पुराण और गैर बौद्ध भारतीय साहित्य की कथाओं के समान हैं। कुछ बाद में ईसप की कहानियों में भी मिलती हैं। जातक कथाएँ संपूर्ण बौद्ध विश्व की मूर्तियों और चित्रों में भी प्राय: प्रदर्शित की गई हैं। साँची के स्तूपों में, जिनका निर्माण तीसरी शताब्दी ई. पूर्व में हुआ था, जातक कथाएँ अंकित हैं। इन कथाओं के लेखकों का नाम अज्ञात है। इनमें रचनाकालीन भारत की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति का विवरण भी मिलता है।[1]
कहानी का प्रारम्भ
प्रत्येक कहानी अपने कथन के अवसर के उल्लेख से शुरू होती है और बुद्ध द्वारा पिछली कहानी के पात्रों के जीवन को नई कहानी के पात्रों में पहचानने के साथ समाप्त होती है। इन कहानियों में विनोद का पुट और विविधता भी है। इनमें भावी बुद्ध राजा, बहिष्कृत व्यक्ति, भगवान, हाथी आदि के रूप में आ सकते हैं, लेकिन वह किसी भी रूप में आएं, उनमें कोई ऐसा गुण होता है, जिसकी शिक्षा कहानी देती है।
|
|
|
|
|