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आज का दिन - 13 May 2025 (भारतीय समयानुसार)
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भारतकोश हलचल
भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
100px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2012
यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें
पिछले सभी लेख → | सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी | शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र | शर्मदार की मौत |
एक आलेख
right|150px|link=संसद भवन|border
संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें
पिछले आलेख → | राष्ट्रपति | रसखान की भाषा | मौर्य काल |
एक व्यक्तित्व
right|90px|link=राहुल सांकृत्यायन|border
महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें
पिछले लेख → | पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर | जे. आर. डी. टाटा | आर. के. लक्ष्मण |
एक पर्यटन स्थल
right|डल झील|120px|link=डल झील|border
डल झील का प्रमुख आकर्षण केन्द्र तैरते हुए बग़ीचे हैं। पौराणिक मुग़ल किलों में यहाँ की संस्कृति तथा इतिहास के दर्शन होते हैं। डल झील के पास ही मुग़लों के सुंदर एवं प्रसिद्ध पुष्प वाटिका से डल झील की आकृति और उभरकर सामने आती है। कश्मीर के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय झील के तट पर स्थित है। शिकारे के माध्यम से सैलानी नेहरू पार्क, कानुटुर खाना, चारचीनारी, कुछ द्वीप जो यहाँ पर स्थित हैं, उन्हें देख सकते हैं। श्रद्घालुओं के लिए हज़रतबल तीर्थस्थल के दर्शन करे बिना उनकी यात्रा अधूरी रह जाती है। शिकारे के माध्यम से श्रद्धालु इस तीर्थस्थल के दर्शन कर सकते हैं। दुनिया भर में यह झील विशेष रूप से शिकारों या हाऊस बोट के लिए जानी जाती है। डल झील के आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता अधिक संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। ... और पढ़ें
पिछले पर्यटन स्थल → | लक्षद्वीप | चंडीगढ़ | लाल क़िला |
एक रोग
border|right|120px|link=कोरोना विषाणु
कोरोना विषाणु (अंग्रेज़ी: Corona virus) कई प्रकार के विषाणुओं का एक समूह है, जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग के कारण हैं। यह आर.एन.ए. विषाणु होते हैं। मानव में यह श्वास तंत्र संक्रमण का कारण बनते हैं, जो अधिकांशत: कम घातक लेकिन कभी-कभी जानलेवा सिद्ध होते हैं। गाय और सूअर में कोरोना विषाणु अतिसार और मुर्गियों में ऊपरी श्वास तंत्र के रोग के कारण बनते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या एंटीवायरल अभी उपलब्ध नहीं है। साबुन से हाथ धोना ही बचाव का सबसे बेहतरीन तरीका है, क्योंकि कोरोना वायरस की बाहरी परत प्रोटीन या तैलीय लिपिड से बनी होती है, जिसे साबुन का पानी तोड़ देता है। इसके बाद वायरस का स्ट्रेन कमजोर पड़ जाता है। चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला '2019 नोवेल कोरोना विषाणु' इसी समूह के वायरसों का एक उदहारण है, जिसका संक्रमण 2019-2020 से बड़ी ही तेज़ी से पूरे में फैल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 'कोविड-19' (COVID-19) नाम दिया है। ...और पढ़ें
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