बरन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "<references/>" to "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्)
Line 11: Line 11:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
*पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}

Revision as of 06:40, 16 June 2013

बरन उत्तर प्रदेश के आधुनिक बुलन्दशहर का प्राचीन नाम है। लगभग 800 ई० में मेवाड़ से भागकर आने वाले दोर राजपूतों की एक शाखा ने बरन पर अधिकार कर लिया था। माना जाता है कि महाभारत के अर्जुन के प्रपौत्र जन्मेजय ने इस नगर को बसाया था।

  • जैन अभिलेखों में बरन का 'उच्छ' नगर के नाम से उल्लेख किया गया है।
  • राजपूतों ने 1018 ई० में आक्रमणकारी महमूद ग़ज़नवी का डटकर सामना किया था। वे अपने पड़ौसी तोमर राजाओं से भी वे मोर्चा लेते रहे, किंतु बडगूजरों से जो तोमरों के मित्र थे, उन्हें दबना पड़ा।
  • 1193 ई० में कुतुबुद्दीन ऐबक ने उनकी शक्ति को पूरी तरह से कुचल दिया।
  • 'फ़तूहाते फ़िरोजशाही' का प्रख्यात लेखक 'जियाउद्दीन बरनी' बरन का ही रहने वाला था, जैसा कि उसके उपनाम से सूचित होता है।
  • मुस्लिमों के शासन काल में बरन उत्तर भारत का महत्वपूर्ण नगर था।[1]
  • मान्यता है कि बरन नगर की स्थापना जन्मेजय ने की थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'वरण' नामक एक नगर का बुद्धचरित 21, 25 में उल्लेख है। संभवत: यह बरन का ही संस्कृत रूप है
  • पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर

संबंधित लेख