लोदी वंश: Difference between revisions

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[[दिल्ली]] की गद्दी पर अधिकार करने वाले इस वंश की स्थापना बहलोल लोदी ने 1451 ई॰ में की थी। यह वंश 1526 ई॰ तक सत्ता में रहा। इस वंश में निम्न महत्त्वपूर्ण शासक हुए-  
'''लोदी वंश''' की स्थापना [[दिल्ली]] की गद्दी पर अधिकार करने वाले [[बहलोल लोदी]] ने 1451 ई. में की थी। यह वंश 1526 ई. तक सत्ता में रहा और सफलतापूर्वक शासन करता रहा। बहलोल लोदी [[सरहिन्द]] का इक्तादार था और जिसने शीघ्र ही सारे [[पंजाब]] पर अपना अधिकार जमा लिया था। बहलोल लोदी की फ़ौज ने कुछ ही समय में समस्त दिल्ली पर भी अपना अधिकार कर लिया और वहाँ के [[सैयद वंश]] का अंत कर दिया।
==इतिहास==
[[तैमूर]] के आक्रमण के पश्चात दिल्ली में सैयद वंश के रूप में एक नया राजवंश उभरा। कई [[अफ़ग़ान]] सरदारों ने पंजाब में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली थी। इन सरदारों में सबसे महत्वपूर्ण 'बहलोल लोदी' था, जो सरहिन्द का इक्तादार था। बहलोल लोदी ने खोखरों की बढ़ती शक्ति को रोका। खोखर एक युद्ध प्रिय जाति थी और [[सिंध]] की पहाड़ियों में रहती थी। अपनी नीतियों और अपने साहस के बल पर बहलोल ने शीघ्र ही सारे पंजाब पर अधिकार जमा लिया। मालवा के सम्भावित आक्रमण को रोकने के लिए उसे दिल्ली आमंत्रित किया गया और वह बाद में भी दिल्ली में ही रुका रहा। जल्दी ही उसकी फौंजों ने दिल्ली पर भी अधिकार कर लिया। जब दिल्ली का सुल्तान 1451 में एक प्रवासी के रूप में मर गया, तो बहलोल औपचारिक रूप से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। इस प्रकार सैयद वंश का अंत हुआ।
==शासक==
लोदी वंश में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण शासक हुए-
*[[बहलोल लोदी]] (1451-1489 ई.)  
*[[बहलोल लोदी]] (1451-1489 ई.)  
*[[सिकन्दर शाह लोदी]] (1489-1517 ई.) और
*[[सिकन्दर शाह लोदी]] (1489-1517 ई.)  
*[[इब्राहीम लोदी]] (1517-1526 ई.)
*[[इब्राहीम लोदी]] (1517-1526 ई.)


'''इब्राहीम लोदी 1526 ई॰ में''' [[पानीपत]] की पहली लड़ाई में [[बाबर]] के हाथों मारा गया और उसी के साथ ही लोदी वंश भी समाप्त हो गया।
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Revision as of 10:33, 8 April 2012

लोदी वंश की स्थापना दिल्ली की गद्दी पर अधिकार करने वाले बहलोल लोदी ने 1451 ई. में की थी। यह वंश 1526 ई. तक सत्ता में रहा और सफलतापूर्वक शासन करता रहा। बहलोल लोदी सरहिन्द का इक्तादार था और जिसने शीघ्र ही सारे पंजाब पर अपना अधिकार जमा लिया था। बहलोल लोदी की फ़ौज ने कुछ ही समय में समस्त दिल्ली पर भी अपना अधिकार कर लिया और वहाँ के सैयद वंश का अंत कर दिया।

इतिहास

तैमूर के आक्रमण के पश्चात दिल्ली में सैयद वंश के रूप में एक नया राजवंश उभरा। कई अफ़ग़ान सरदारों ने पंजाब में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली थी। इन सरदारों में सबसे महत्वपूर्ण 'बहलोल लोदी' था, जो सरहिन्द का इक्तादार था। बहलोल लोदी ने खोखरों की बढ़ती शक्ति को रोका। खोखर एक युद्ध प्रिय जाति थी और सिंध की पहाड़ियों में रहती थी। अपनी नीतियों और अपने साहस के बल पर बहलोल ने शीघ्र ही सारे पंजाब पर अधिकार जमा लिया। मालवा के सम्भावित आक्रमण को रोकने के लिए उसे दिल्ली आमंत्रित किया गया और वह बाद में भी दिल्ली में ही रुका रहा। जल्दी ही उसकी फौंजों ने दिल्ली पर भी अधिकार कर लिया। जब दिल्ली का सुल्तान 1451 में एक प्रवासी के रूप में मर गया, तो बहलोल औपचारिक रूप से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। इस प्रकार सैयद वंश का अंत हुआ।

शासक

लोदी वंश में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण शासक हुए-

इब्राहीम लोदी 1526 ई. में पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर के हाथों मारा गया और उसी के साथ ही लोदी वंश भी समाप्त हो गया।


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