उपगुप्त: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Adding category Category:भारतीय चरित कोश (को हटा दिया गया हैं।)) |
|||
Line 17: | Line 17: | ||
{{बौद्ध धर्म}} | {{बौद्ध धर्म}} | ||
[[Category:बौद्ध धर्म]][[Category:बौद्ध दर्शन]][[Category:गौतम बुद्ध]][[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]] | [[Category:बौद्ध धर्म]][[Category:बौद्ध दर्शन]][[Category:गौतम बुद्ध]][[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]] | ||
[[Category:भारतीय चरित कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 11:21, 8 January 2020
उपगुप्त प्राचीन समय में मथुरा नगरी का एक विख्यात बौद्ध धर्माचार्य था। इन्हें 'अलक्षणक बुद्ध' भी कहा जाता है। ये वाराणसी के गुप्त नामक इत्र विक्रेता के पुत्र थे। 17 वर्ष की अवस्था में संन्यास लेकर इन्होंने योगसाधना की और काम पर विजय प्राप्त करने के उपरांत समाधिकाल में भगवान बुद्ध के दर्शन किए। सम्राट अशोक को बौद्ध धर्म का प्रचार करने और स्तूप आदि को निर्मित कराने की प्रेरणा धर्माचार्य उपगुप्त ने ही दी। जब उपगुप्त युवा थे, तब इन पर एक गणिका वासवदत्ता मुग्ध हो गई थी। उपगुप्त ने उस गणिका को सन्मार्ग की ओर प्रेरित किया। मथुरा के समीप नतभक्तिकारण्य में उरुमुंड या रुरुमुंड पर्वत पर इन्हें उपसंपदा हुई और वहीं उपगुप्त विहार नामक बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध प्रचार केंद्र बना।
- जब भगवान बुद्ध दूसरी बार मथुरा आये थे, तब उन्होंने भविष्यवाणी की और अपने प्रिय शिष्य आनंद से कहा कि- "कालांतर में यहाँ उपगुप्त नाम का एक प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान् होगा, जो उन्हीं की तरह बौद्ध धर्म का प्रचार करेगा और उसके उपदेश से अनेक भिक्षु योग्यता और पद प्राप्त करेंगे।"
- भविष्यवाणी के अनुसार उपगुप्त ने मथुरा के एक वणिक के घर जन्म लिया। उसका पिता सुगंधित द्रव्यों का व्यापार करता था।
- उपगुप्त अत्यंत रूपवान और प्रतिभाशाली था। वह किशोरावस्था में ही विरक्त होकर बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया।
- आनंद के शिष्य शाणकवासी ने उपगुप्त को मथुरा के नट-भट विहार में बौद्ध धर्म के सर्वास्तिवादी संप्रदाय की दीक्षा दी थी।
- 'बोधिसत्वावदानकल्पलता' में उल्लेख है कि उपगुप्त ने 18 लाख व्यक्तियों को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था।
- बौद्ध परंपरा के अनुसार उपगुप्त सम्राट अशोक के धार्मिक गुरु थे और इन्होंने ही अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी।
- 'दिव्यावदान' के अनुसार चंपारन, लुंबिनीवन, कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, जेतवन आदि बौद्ध तीर्थ स्थलों की यात्रा के समय उपगुप्त अशोक के साथ थे।
- उल्लेख मिलता है कि पाटलिपुत्र में आयोजित तृतीय बौद्ध संगीति में उपगुप्त भी विद्यमान थे। इन्होंने ही उक्त संगीति का संचालन किया और कथावस्तु की रचना अथवा संपादन किया। संभवत: इसीलिए कुछ विद्वानों में मोग्गलिपुत्त तिस्स तथा उपगुप्त को एक ही मान लिया गया है, क्योंकि अनेक बौद्ध ग्रंथों में तृतीय संगीति के संचालन एवं कथावस्तु के रचनाकार के रूप में तिस्स का ही नाम मिलता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 103 |