ईद उल फ़ितर: Difference between revisions
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'''ईद-उल-फ़ितर / Eid ul-Fitr''' | |||
*ईद-उल-फ़ितर मुसलमानों का पवित्र त्योहार है। | *ईद-उल-फ़ितर मुसलमानों का पवित्र त्योहार है। | ||
*रमज़ान के पूरे महीने में मुसलमान रोज़े रखकर अर्थात भूखे-प्यासे रहकर पूरा महीना अल्लाह की इबादत में गुज़ार देते हैं। इस पूरे महीने को अल्लाह की इबादत में गुज़ार कर जब वे रोज़ों से फ़ारिग हो जाते हैं तो चांद की पहली तारीख़ अर्थात जिस दिन चांद दिखाई देता है, उस रोज़ को छोड़कर दूसरे दिन ईद का त्योहार अर्थात ‘बहुत ख़ुशी का दिन’ मनाया जाता है। इस ख़ुशी के दिन को ईद-उल-फ़ितर कहते हैं। | *रमज़ान के पूरे महीने में मुसलमान रोज़े रखकर अर्थात भूखे-प्यासे रहकर पूरा महीना अल्लाह की इबादत में गुज़ार देते हैं। इस पूरे महीने को अल्लाह की इबादत में गुज़ार कर जब वे रोज़ों से फ़ारिग हो जाते हैं तो चांद की पहली तारीख़ अर्थात जिस दिन चांद दिखाई देता है, उस रोज़ को छोड़कर दूसरे दिन ईद का त्योहार अर्थात ‘बहुत ख़ुशी का दिन’ मनाया जाता है। इस ख़ुशी के दिन को ईद-उल-फ़ितर कहते हैं। | ||
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Revision as of 10:33, 20 April 2010
ईद-उल-फ़ितर / Eid ul-Fitr
- ईद-उल-फ़ितर मुसलमानों का पवित्र त्योहार है।
- रमज़ान के पूरे महीने में मुसलमान रोज़े रखकर अर्थात भूखे-प्यासे रहकर पूरा महीना अल्लाह की इबादत में गुज़ार देते हैं। इस पूरे महीने को अल्लाह की इबादत में गुज़ार कर जब वे रोज़ों से फ़ारिग हो जाते हैं तो चांद की पहली तारीख़ अर्थात जिस दिन चांद दिखाई देता है, उस रोज़ को छोड़कर दूसरे दिन ईद का त्योहार अर्थात ‘बहुत ख़ुशी का दिन’ मनाया जाता है। इस ख़ुशी के दिन को ईद-उल-फ़ितर कहते हैं।
- ईद का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान किसी पाक साफ़ जगह पर जिसे 'ईदगाह' कहते हैं, वहां इकट्ठे होकर दो रक्आत नमाज़ शुक्राने की अदा करते हैं। 'ए अल्लाह, आपका शुक्रिया कि आपने हमारी इबादत कबूल की।' इसके शुक्राने में हम दो रक्आत ईद की नमाज पढ़ रहे हैं। आप इसे क़बूल भी करें। ईद की नमाज़ का हुक्म भी अल्लाह तआला की तरफ से है।
- ईदगाह में नमाज़ पढ़ने के लिए जाने से मुसलमान लोग 'फ़ितरा' अर्थात 'जान व माल का सदक़ा' जो हर मुसलमान पर फ़र्ज होता है, वह ग़रीबों में बांटा जाता है। सदक़ा अल्लाह ने ग़रीबों की इमदाद का एक तरीक़ा सिखा दिया है। ग़रीब आदमी भी इस इमदाद से साफ़ और नये कपड़े पहनकर और अपना मनपसन्द खाना खाकर अपनी ईद मना सकते हैं। अमीर-ग़रीब एक साथ मिलकर नमाज़ पढ़ सकते हैं।
रोज़ा क्या है?
क़ुरान शरीफ़ के शब्दों में 'ए ईमान वालो, हमने तुम पर रोज़े पाक कर दिये हैं, जैसा कि तुमने पिछली उम्मतों (अनुयायियों) पर फ़र्ज किए थे ताकि तुम मुत्तफ़िक़ अर्थात फ़रमाबरदार बन जाओ। यह गिनती के चन्द दिन हैं अगर तुम में से कोई मरीज़ है या सफ़र में है, तो उस वक्त रोज़े छोड़कर ईद के बाद में अपने रोज़े पूरे कर सकता है। रमज़ान के पूरे महीने में मुसलमान भूखे-प्यासे रहकर और इन्द्रियों पर नियंत्रण रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं। वह शबे-क़द्र की रात को सारी रात जाग कर अल्लाह की इबादत करते हैं।
रमज़ान क्या है?
रमज़ान महीने का नाम है, जिस प्रकार हिन्दी महीने चैत, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ़, सावन, भाद्र पद, आश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ, फाल्गुन होते हैं और अंग्रेज़ी महीने जनवरी, फ़रवरी, मार्च, अप्रेल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर होते हैं । उसी प्रकार, मुस्लिम महीने, मोहर्रम, सफ़र, रबीउल अव्वल, रबीउलसानी, जुमादलऊला, जुमादल उख़्र, रजब, शाबान, रमज़ान, शव्वाल, द्हू अल-क़िदाह, द्हू अल-हिज्जाह ये बारह महीने आते हैं।
रमज़ान के महीने में अल्लाह की तरफ़ से हज़रत मोहम्मद साहब सल्लहो अलहै व सल्लम पर क़ुरान शरीफ़ नाज़िल (उतरा) था। इस महीने की बरकत में अल्लाह ने बताया कि इसमें मेरे बंदे मेरी इबादत करें। इस महीने के आख़री दस दिनों में एक रात ऐसी है जिसे शबे-क़द्र कहते हैं। 21, 23, 25, 27, 29 वें में शबे-क़द्र को तलाश करते हैं। यह रात हज़ार महीने की इबादत करने से भी अधिक बेहतर होती है। शबे-क़द्र का अर्थ है, वह रात जिसकी क़द्र की जाए । यह रात जाग कर अल्लाह की इबादत में गुज़ार दी जाती है।