शीतला अष्टमी व्रत: Difference between revisions

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==शीतला अष्टमी व्रत / Sheetala Ashtami==
'''शीतला अष्टमी व्रत / Sheetala Ashtami'''
 
*यह व्रत करने से कुल में दाह ज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धयुक्त फोड़े, नेत्रों के सारे रोग, शीतला की फुन्सियों के चिन्ह तथा शीतलाजनित रोग दूर हो जाते हैं।  
*यह व्रत करने से कुल में दाह ज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धयुक्त फोड़े, नेत्रों के सारे रोग, शीतला की फुन्सियों के चिन्ह तथा शीतलाजनित रोग दूर हो जाते हैं।  
*व्रती को प्रात:काल शीतलजल से स्नान करके संकल्प करें।  
*व्रती को प्रात:काल शीतलजल से स्नान करके संकल्प करें।  

Revision as of 11:36, 20 April 2010

शीतला अष्टमी व्रत / Sheetala Ashtami

  • यह व्रत करने से कुल में दाह ज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धयुक्त फोड़े, नेत्रों के सारे रोग, शीतला की फुन्सियों के चिन्ह तथा शीतलाजनित रोग दूर हो जाते हैं।
  • व्रती को प्रात:काल शीतलजल से स्नान करके संकल्प करें।
  • देवी को भोग लगाने वाले सभी पदार्थ एक दिन पहले ही बनाये जाते हैं अर्थात शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।
  • यह व्रत बसौड़ा नाम से भी जाना जाता है।
  • मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि एक दिन पहले से ही बनाए जाते हैं अर्थात व्रत के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता।
  • व्रती रसोईघर की दीवार पर 5 अंगुली घी में डुबोकर छापा लगाया जाता है। इस पर रोली, चावल, आदि चढ़ाकर माँ के गीत गाए जाते हैं।
  • इस दिन शीतला स्त्रोत तथा शीतला माता की कथा भी सुननी चाहिए।
  • रात्रि में दीपक जलाकर एक थाली में भात, रोटी, दही, चीनी, जल, रोली, चावल, मूँग, हल्दी, मोठ, बाजरा आदि डालकर मन्दिर में चढ़ाना चाहिए।
  • इसके साथ ही चौराहे पर जल चढ़ाकर पूजा करते हैं।
  • इसके बाद मोठ, बाजरा का बयाना निकाल कर उस पर रूपया रखकर अपनी सास जी के चरणस्पर्श कर उन्हें दें उसके पश्चात किसी वृध्दा को भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए।

अन्य लिंक

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