मंडावर उत्तर प्रदेश: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 9: Line 9:


==मतिपुर और युवानच्वांग==
==मतिपुर और युवानच्वांग==
मंडावर का प्राचीन नाम [[कनिंघम]] के अनुसार [[मतिपुर]] है, जहाँ 634 ई. के लगभग चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] आया था। यहाँ पर उस समय [[बौद्ध विहार]] था, जहाँ गुणप्रभ का शिष्य मित्रसेन रहता था। इसकी आयु 90 वर्ष की थी। गुणप्रभ ने सैकड़ों ग्रंथों की रचना की थी। युवानच्वांग के अनुसार मतिपुर जिस देश की राजधानी था, उसका क्षेत्रफल 6000 [[ली (माप)|ली]] या 1000 मील था। यहाँ पर उस समय 20 [[संघाराम|बौद्ध संघाराम]] और 50 देव मन्दिर स्थित थे। युवानच्वांग ने इस नगर को, जिसका राजा उस समय [[शूद्र]] जाति का था, बहुत समृद्ध दशा में पाया था। उसने इसे '''माटीपोलो''' नाम से अभिहित किया है। चीनी यात्री ने जिन [[स्तूप|स्तूपों]] का वर्णन किया है, उनका अभियान करने का प्रयास भी कनिंघम ने किया है। यहाँ से उत्खनन में [[कुषाण]] तथा [[गुप्त]] नरेशों के सिक्के, मध्यकालीन मूर्तियाँ तथा अन्य अवशेष मिले हैं। किंवदन्ती है कि यहाँ का पीरवाली ताल, [[बौद्ध]] संत विमल मित्र के मरने पर जो भूचाल आया था, उसके कारण बना है। यह घटना प्रायः 700 वर्ष पुरानी कही जाती है।
मंडावर का प्राचीन नाम [[कनिंघम]] के अनुसार [[मतिपुर]] है, जहाँ 634 ई. के लगभग चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] आया था। यहाँ पर उस समय [[बौद्ध विहार]] था, जहाँ गुणप्रभ का शिष्य मित्रसेन रहता था। इसकी आयु 90 वर्ष की थी। गुणप्रभ ने सैकड़ों ग्रंथों की रचना की थी। युवानच्वांग के अनुसार मतिपुर जिस देश की राजधानी था, उसका क्षेत्रफल 6000 [[ली (माप)|ली]] या 1000 मील था। यहाँ पर उस समय 20 [[संघाराम|बौद्ध संघाराम]] और 50 देव मन्दिर स्थित थे। युवानच्वांग ने इस नगर को, जिसका राजा उस समय [[शूद्र]] जाति का था, बहुत समृद्ध दशा में पाया था। उसने इसे '''माटीपोलो''' नाम से अभिहित किया है। चीनी यात्री ने जिन [[स्तूप|स्तूपों]] का वर्णन किया है, उनका अभियान करने का प्रयास भी कनिंघम ने किया है। यहाँ से [[उत्खनन]] में [[कुषाण]] तथा [[गुप्त]] नरेशों के सिक्के, मध्यकालीन मूर्तियाँ तथा अन्य अवशेष मिले हैं। किंवदन्ती है कि यहाँ का पीरवाली ताल, [[बौद्ध]] संत विमल मित्र के मरने पर जो भूचाल आया था, उसके कारण बना है। यह घटना प्रायः 700 वर्ष पुरानी कही जाती है।





Revision as of 09:28, 3 October 2011

मंडावर बिजनौर से प्रायः 10 मील उत्तर-पूर्व की ओर है।

नामकरण

कालीदास के अभिज्ञान शाकुंतलम् में वर्णित मालिनी नदी (मालन) के तट पर बसा हुआ प्राचीन स्थान है। स्थानीय किंवदन्ती में इस क़स्बे को बड़े प्राचीन काल से ही कण्व ऋषि का आश्रम माना गया है, जो यहाँ की स्थिति को देखते हुए ठीक जान पड़ता है। पाणिनि ने शायद इसी स्थान को [1] में मार्देयपुर कहा है।

गंगा नदी और शुक्करताल

मंडावर के उत्तर की ओर कुछ ही दूर पर गंगा है, जिसके दूसरे तट पर वर्तमान शुक्रताल है [2] हस्तिनापुर जाते समय शकुंतला की उंगली से दुष्यंत की अंगूठी इसी स्थान पर गंगा के स्रोत में गिर गई थी। हस्तिनापुर का मार्ग मंडावर से गंगा पार शुक्रताल हो कर ही जाता है। मंडावर के उत्तर-पश्चिम में नजीबाबाद के ऊपर कजलीवन स्थित है। जहाँ कालिदास के वर्णन के अनुसार दुष्यंत आखेट के लिए आया था।

मतिपुर और युवानच्वांग

मंडावर का प्राचीन नाम कनिंघम के अनुसार मतिपुर है, जहाँ 634 ई. के लगभग चीनी यात्री युवानच्वांग आया था। यहाँ पर उस समय बौद्ध विहार था, जहाँ गुणप्रभ का शिष्य मित्रसेन रहता था। इसकी आयु 90 वर्ष की थी। गुणप्रभ ने सैकड़ों ग्रंथों की रचना की थी। युवानच्वांग के अनुसार मतिपुर जिस देश की राजधानी था, उसका क्षेत्रफल 6000 ली या 1000 मील था। यहाँ पर उस समय 20 बौद्ध संघाराम और 50 देव मन्दिर स्थित थे। युवानच्वांग ने इस नगर को, जिसका राजा उस समय शूद्र जाति का था, बहुत समृद्ध दशा में पाया था। उसने इसे माटीपोलो नाम से अभिहित किया है। चीनी यात्री ने जिन स्तूपों का वर्णन किया है, उनका अभियान करने का प्रयास भी कनिंघम ने किया है। यहाँ से उत्खनन में कुषाण तथा गुप्त नरेशों के सिक्के, मध्यकालीन मूर्तियाँ तथा अन्य अवशेष मिले हैं। किंवदन्ती है कि यहाँ का पीरवाली ताल, बौद्ध संत विमल मित्र के मरने पर जो भूचाल आया था, उसके कारण बना है। यह घटना प्रायः 700 वर्ष पुरानी कही जाती है।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 684-685| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

संबंधित लेख