Difference between revisions of "असंग बौद्धाचार्य"
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− | + | '''आचार्य असङ्ग बौद्धाचार्य'''<br /> | |
*आर्य असंग, [[वसुबन्धु बौद्धाचार्य|वसुबन्धु]] एवं विरिञ्चिवत्स तीनों भाई थे। इनमें आर्य असंग सबसे बड़े एवं विरिञ्चिवत्स सबसे छोटे थे। | *आर्य असंग, [[वसुबन्धु बौद्धाचार्य|वसुबन्धु]] एवं विरिञ्चिवत्स तीनों भाई थे। इनमें आर्य असंग सबसे बड़े एवं विरिञ्चिवत्स सबसे छोटे थे। | ||
*गान्धार प्रदेश के पुरुषपुर में इनका जन्म हुआ था। ये कौशिकगोत्रीय ब्राह्मण थे। एक अन्य परम्परा के अनुसार असंग और वसुबन्धु की माँ एक थीं, किन्तु पिता भिन्न-भिन्न थे। | *गान्धार प्रदेश के पुरुषपुर में इनका जन्म हुआ था। ये कौशिकगोत्रीय ब्राह्मण थे। एक अन्य परम्परा के अनुसार असंग और वसुबन्धु की माँ एक थीं, किन्तु पिता भिन्न-भिन्न थे। | ||
*तारानाथ के अनुसार माता ब्राह्मणी थी और उनका नाम प्रकाशशीला था। असंग के पिता क्षत्रिय थे तथा वसुबन्धु के पिता ब्राह्मण। | *तारानाथ के अनुसार माता ब्राह्मणी थी और उनका नाम प्रकाशशीला था। असंग के पिता क्षत्रिय थे तथा वसुबन्धु के पिता ब्राह्मण। | ||
*इनके काल के बारे में अत्यधिक वाद-विवाद है, किन्तु सबका परिशीलन करने के अनन्तर इनका काल चतुर्थ शताब्दी मानना उचित है। | *इनके काल के बारे में अत्यधिक वाद-विवाद है, किन्तु सबका परिशीलन करने के अनन्तर इनका काल चतुर्थ शताब्दी मानना उचित है। | ||
− | *आचार्य असंग [[बौद्ध दर्शन]] के योगाचार | + | *आचार्य असंग [[बौद्ध दर्शन]] के योगाचार अर्थात् विज्ञानवाद प्रस्थान के प्रवर्तक हैं। |
*परम्परा के अनुसार अनागत बुद्ध मैत्रेय बोधिसत्त्व ने तुषितलोक में आर्य असंग को पाँच ग्रन्थ प्रकाशित किये थे, जिनका असंग ने लोक में प्रसार किया। | *परम्परा के अनुसार अनागत बुद्ध मैत्रेय बोधिसत्त्व ने तुषितलोक में आर्य असंग को पाँच ग्रन्थ प्रकाशित किये थे, जिनका असंग ने लोक में प्रसार किया। | ||
*इधर विद्वानों की यह धारणा बनी कि जिन ग्रन्थों के बारे में ऐसी प्रसिद्धि है, वे असंग के गुरु किसी मानवरूपी मैत्रेयनाथ की रचनाएँ हैं। अत: अब यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि योगाचार प्रस्थान के प्रवर्तक वस्तुत: मैत्रेयनाथ हैं। | *इधर विद्वानों की यह धारणा बनी कि जिन ग्रन्थों के बारे में ऐसी प्रसिद्धि है, वे असंग के गुरु किसी मानवरूपी मैत्रेयनाथ की रचनाएँ हैं। अत: अब यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि योगाचार प्रस्थान के प्रवर्तक वस्तुत: मैत्रेयनाथ हैं। | ||
− | *योगाचार (विज्ञानवाद) के विकास के इतिहास में असंग अत्यधिक | + | *योगाचार (विज्ञानवाद) के विकास के इतिहास में असंग अत्यधिक महत्त्वपूर्ण आचार्य हैं। मैत्रेयनाथ की समस्त रचनाएँ विज्ञानवादविषयक ही हैं, यह निश्चितरूप से नहीं कहा जा सकता। |
*उत्तरतन्त्र और अभिसमयालङ्कार तो निश्चय ही माध्यमिक ग्रन्थ हैं। असंग के साहित्य में विज्ञानवाद का बहुत प्रतिपादन है। | *उत्तरतन्त्र और अभिसमयालङ्कार तो निश्चय ही माध्यमिक ग्रन्थ हैं। असंग के साहित्य में विज्ञानवाद का बहुत प्रतिपादन है। | ||
*आचार्य असंग की शैली आगमों की तरह है और उन्होंने युक्ति से अधिक आगमों का आश्रय लिया है। | *आचार्य असंग की शैली आगमों की तरह है और उन्होंने युक्ति से अधिक आगमों का आश्रय लिया है। | ||
*आचार्य असंग की अनेक कृतियाँ हैं, जिनका संस्कृत मूल प्राय: अनुपलब्ध है। | *आचार्य असंग की अनेक कृतियाँ हैं, जिनका संस्कृत मूल प्राय: अनुपलब्ध है। | ||
*भोटभाषा में उनका अनुवाद उपलब्ध होता है। तथा वे वहाँ के 'तन-ग्युर' संग्रह में संकलित हैं। | *भोटभाषा में उनका अनुवाद उपलब्ध होता है। तथा वे वहाँ के 'तन-ग्युर' संग्रह में संकलित हैं। | ||
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Latest revision as of 07:53, 7 November 2017
achary asang bauddhachary
- ary asang, vasubandhu evan virinchivats tinoan bhaee the. inamean ary asang sabase b de evan virinchivats sabase chhote the.
- gandhar pradesh ke purushapur mean inaka janm hua tha. ye kaushikagotriy brahman the. ek any parampara ke anusar asang aur vasubandhu ki maan ek thian, kintu pita bhinn-bhinn the.
- taranath ke anusar mata brahmani thi aur unaka nam prakashashila tha. asang ke pita kshatriy the tatha vasubandhu ke pita brahman.
- inake kal ke bare mean atyadhik vad-vivad hai, kintu sabaka parishilan karane ke anantar inaka kal chaturth shatabdi manana uchit hai.
- achary asang bauddh darshan ke yogachar arthath vijnanavad prasthan ke pravartak haian.
- parampara ke anusar anagat buddh maitrey bodhisattv ne tushitalok mean ary asang ko paanch granth prakashit kiye the, jinaka asang ne lok mean prasar kiya.
- idhar vidvanoan ki yah dharana bani ki jin granthoan ke bare mean aisi prasiddhi hai, ve asang ke guru kisi manavaroopi maitreyanath ki rachanaean haian. at: ab yah sambhavana vyakt ki ja rahi hai ki yogachar prasthan ke pravartak vastut: maitreyanath haian.
- yogachar (vijnanavad) ke vikas ke itihas mean asang atyadhik mahattvapoorn achary haian. maitreyanath ki samast rachanaean vijnanavadavishayak hi haian, yah nishchitaroop se nahian kaha ja sakata.
- uttaratantr aur abhisamayalankar to nishchay hi madhyamik granth haian. asang ke sahity mean vijnanavad ka bahut pratipadan hai.
- achary asang ki shaili agamoan ki tarah hai aur unhoanne yukti se adhik agamoan ka ashray liya hai.
- achary asang ki anek kritiyaan haian, jinaka sanskrit mool pray: anupalabdh hai.
- bhotabhasha mean unaka anuvad upalabdh hota hai. tatha ve vahaan ke 'tan-gyur' sangrah mean sankalit haian.
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