Difference between revisions of "एकव्यावहारिक निकाय"

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जो लोग एक क्षण में [[बुद्ध]] की सर्वज्ञता का उत्पाद मानते हैं, वे 'एकव्यावहारिक' कहलाते हैं। अर्थात इनके मतानुसार एक चित्तक्षण से सम्प्रयुक्त प्रज्ञा के द्वारा समस्त धर्मों का अवबोध हो जाता है। इस एकक्षणावबोध को स्वीकार करने के कारण इनका यह नामकरण हुआ है। महावंस टीका के अनुसार एकव्यावहारिक और गोकुलिक ये दोनों निकाय सभी कुशल-अकुशल संस्कारों को ज्वालारहित अङ्गार से मिश्रित भस्मनिरय के समान समझते हैं।  
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जो लोग एक क्षण में [[बुद्ध]] की सर्वज्ञता का उत्पाद मानते हैं, वे 'एकव्यावहारिक' कहलाते हैं। अर्थात् इनके मतानुसार एक चित्तक्षण से सम्प्रयुक्त प्रज्ञा के द्वारा समस्त धर्मों का अवबोध हो जाता है। इस एकक्षणावबोध को स्वीकार करने के कारण इनका यह नामकरण हुआ है। महावंस टीका के अनुसार एकव्यावहारिक और गोकुलिक ये दोनों निकाय सभी कुशल-अकुशल संस्कारों को ज्वालारहित अङ्गार से मिश्रित भस्मनिरय के समान समझते हैं।  
  
 
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Latest revision as of 07:53, 7 November 2017

bauddh dharm mean ekavyavaharik nikay atharah nikayoan mean se ek hai:-

jo log ek kshan mean buddh ki sarvajnata ka utpad manate haian, ve 'ekavyavaharik' kahalate haian. arthath inake matanusar ek chittakshan se samprayukt prajna ke dvara samast dharmoan ka avabodh ho jata hai. is ekakshanavabodh ko svikar karane ke karan inaka yah namakaran hua hai. mahavans tika ke anusar ekavyavaharik aur gokulik ye donoan nikay sabhi kushal-akushal sanskaroan ko jvalarahit angar se mishrit bhasmaniray ke saman samajhate haian.


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