ऐल्यूमिनियम कांस: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''ऐल्यूमिनियम कांस''' ऐल्यूमिनियम और ताम्र की मिश्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 15: Line 15:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{रसायन  विज्ञान}}
{{रसायन  विज्ञान}}
[[Category:रासयनिक तत्त्व]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:विज्ञान कोश]]
[[Category:रासायनिक तत्त्व]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:विज्ञान कोश]]
[[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
[[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 11:52, 19 July 2018

ऐल्यूमिनियम कांस ऐल्यूमिनियम और ताम्र की मिश्र धातुएँ, जिनमें ताम्र की मात्रा अधिक हो, ऐल्यूमिनियम कांस (ऐल्यूमिनियम ब्रांज़) कहलाती हैं। इनकी विशेषताएँ हैं उच्च दृढ़ता, विधि आकारों में निर्मित किए जाने की क्षमता, क्षय (वेयर) तथा क्लांति (फ़ैटीग) के प्रति उच्च प्रतिरोधशक्ति, सुंदर स्वर्णिम रंग और उष्मा उपचार से धातु का कड़ा और नरम हो सकना। ढलाई करते समय सीमावर्ती दानों के चारों और ऐल्युमिना की एक कठोर और चिमड़ी परत जम जाती है, जिससे धातु बाहर से भीतर तक एक समान नहीं रह जाती। इस कठिनाई से बचने के लिए घरिया के पेंदे से पिघली हुई धातु ऊपर चढ़ाई जाती है। इस क्रिया में तलछट को रोकने के लिए विशेष प्रकार की चलनी का उपयोग किया जाता है और पिघली धातु में हलचल रोकने के लिए उसे मंद गति से भीतर डालते हैं। वेल्डिंग संबंधी कठिनाइयाँ अब दूर कर दी गई हैं। ऐल्यूमिनियम कांस में भट्ठी की गंधकमय गैस, समुद्रजल और तनु अम्ल के प्रति प्रतिरोधशक्ति होती है। इसलिए इसका उपयोग बर्तन बनाने में किया जाता है।

साधारणत: तीन प्रकार की मिश्रधातुओं का प्रयोग होता है :

(1) पीटकर बनाई गई मिश्रधातु, जिसमें 5 से 7 प्रतिशत ऐल्यूमिनियम रहता है।

(2) 10 प्रतिशत ऐल्यूमिनियम वाली मिश्रधातु जिसका प्रयोग ढलाई में और तपाकर इच्छित रूप देने में किया जाता है।[1]

(3) मिश्रित ऐल्यूमिनियम कांस। साधारण मिलावट में लौह, निकेल और मैंगनीज़ का उपयोग किया जाता है। 5 प्रतिशत तक मैंगनीज और 3 प्रतिशत तक लोहा मिलाया जा सकता है। अधिक मैंगनीज़ अथवा लोहावाला कांस ऐल्यूमिनियम कांस नहीं कहलाता। इन मिश्रधातुओं से वस्तुएँ ठंढी अवस्था में एक सीमा तक ही पीटकर बनाई जा सकती हैं। अधिकतर तप्त करके ही इनको पीटा जाता है।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 287 |
  2. सं.ग्रं. –प्रोसीडिंग्स ऑव दि इंस्टिटयूट ऑव मिकैनिकल इंजीनियर्स (1907, पृष्ठ 57 1910, पृष्ठ 119)।

संबंधित लेख