किशोरी अमोनकर: Difference between revisions
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==शब्द और धुन== | |||
[[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किशोरी ने योगराज सिद्धनाथ की सारेगामा द्वारा निकाली गई एलबम 'ऋषि गायत्री' के लोकार्पण के अवसर पर कहा, "मैं शब्दों और धुनों के साथ प्रयोग करना चाहती थी और देखना चाहती थी कि वे मेरे स्वरों के साथ कैसे लगते हैं। बाद में मैंने यह सिलसिला तोड़ दिया क्योंकि मैं स्वरों की दुनिया में ज़्यादा काम करना चाहती थी। मैं अपनी गायकी को स्वरों की एक भाषा कहती हूं।" उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि मैं फिल्मों में दोबारा गाऊंगी। मेरे लिए स्वरों की भाषा बहुत कुछ कहती हैं। यह आपको अद्भुत शांति में ले जा सकती है और आपको जीवन का बहुत सा ज्ञान दे सकती है। इसमें शब्दों और धुनों को जोड़ने से स्वरों की शक्ति कम हो जाती है।" वह कहती हैं, "संगीत का मतलब स्वरों की अभिव्यक्ति है। इसलिए यदि सही भारतीय ढंग से इसे अभिव्यक्त किया जाए तो यह आपको असीम शांति देता है।"<ref>{{cite web |url=http://www.samaylive.com/entertainment-news-in-hindi/bollywod/112611/famous-classical-singer-kishori-amonkar-bollywwod-moovie-sing-so.html|title=बॉलीवुड फिल्मों में नहीं गाऊंगी|accessmonthday=20 जून|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=समय लाइव|language=हिंदी}}</ref> | |||
== किशोरी अमोनकर पर वृत्तचित्र== | |||
देश की प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायिका एवं पद्मविभूषण किशोरी अमोनकर पर 'भिन्न षड़ज' नामक वृत्तचित्र एक समय के लोकप्रिय फिल्म कलाकर अमोल पालेकर और उनकी जीवन संगीनी संध्या गोखले ने बनायी है। यह वृत्तचित्र 72 मिनट का है। किशोरी जी के जीवन में एक ऐसा समय आया, जब उनकी आवाज चली गई। आयुर्वेदिक उपचार के बाद जब इनकी आवाज वापस आई, तो इनकी गायकी एक सर्वथा नवीन दृष्टि लेकर, एक नई चमक लेकर वापस आई। अमोल पालेकर बताते हैं कि 'हमने छोटी-मोटी बातों पर ध्यान देने की बजाए पूरी डॉक्युमेंट्री को उनके संगीत, उनके व्यक्तित्व और उनकी सोच-प्रक्रिया तक केंद्रित रखा है।' गोवा, मुंबई और पुणे में डॉक्युमेंट्री की शूटिंग हुई। इसमें पं. हरिप्रसाद चौरसिया, पं. शिवकुमार शर्मा और उस्ताद अमजद अली जैसे संगीत क्षेत्र के दिग्गजों ने अमोनकर और उनके संगीत पक्ष के बारे में टिप्पणी करते हुए दिखाया गया है।<ref>{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/other-news-mumbai/-/articleshow/9812527.cms|title=गायिका किशोरी अमोनकर पर डॉक्युमेंट्री|accessmonthday=20 जून|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नवभारत टाइम्स|language=हिंदी}}</ref> | |||
==पुरस्कार== | |||
*सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका श्रीमती किशोरी अमोनकर को शास्त्रीय संगीत की परम्परा को लोकप्रिय और समृद्ध बनाने में उनके योगदान के लिए 'आईटीसी संगीत पुरस्कार' से सम्मानित किया गया । पुरस्कार के तहत उन्हें प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। | |||
*'गान सरस्वती' की उपाधि एवं पद्म विभूषण से सम्मानित श्रीमती अमोनकर ने इस अवसर पर अपनी मिठास भरी भावपूर्ण शैली में राग तिलक कामोद में निबद्ध रचना "सकल दुख हरन सदानन्द घट घट प्रगट " और एक अन्य रचना "मेरो पिया रसिया सुन री सखी तेरो दोष कहां " प्रस्तुत की।<ref>{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/36150629.cms|title=किशोरी अमोनकर आईटीसी संगीत पुरस्कार से सम्मानित|accessmonthday=20 जून|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नवभारत टाइम्स|language=हिंदी}}</ref> | |||
==एलबम== | |||
ख्याल गायकी, ठुमरी और भजन गाने में विशेषज्ञता प्राप्त किशोरी की अब तक 'प्रभात', 'समर्पण' और 'बॉर्न टू सिंग' सहित कई एलबम जारी हो चुकी हैं। | |||
==सम्मान और पुरस्कार== | ==सम्मान और पुरस्कार== | ||
* [[1987]] - [[पद्म भूषण]] | * [[1987]] - [[पद्म भूषण]] |
Revision as of 13:25, 20 June 2013
किशोरी अमोनकर
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पूरा नाम | किशोरी अमोनकर |
जन्म | 10 अप्रैल 1931 |
जन्म भूमि | महाराष्ट्र |
कर्म-क्षेत्र | शास्त्रीय गायिका |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | किशोरी अमोनकर की माता मोघूबाई कुर्दीकर भी प्रसिद्ध गायिका रही हैं। |
किशोरी अमोनकर (अंग्रेज़ी:Kishori Amonkar, जन्म: 10 अप्रैल 1931) हिंदुस्तानी शास्त्रीय परंपरा की प्रमुख गायिकाओं में से एक और जयपुर घराने की अग्रणी गायिका हैं। प्रसिद्ध गायिका मोघूबाई कुर्दीकर (जिन्होंने जयपुर घराने के वरिष्ठ गायन सम्राट उस्ताद अल्लादिया ख़ाँ साहब से शिक्षा प्राप्त की) की बेटी किशोरी अमोनकर संगीत से ओतप्रोत वातावरण में पली-बढ़ीं।
गायन प्रतिभा
किशोरी अमोनकर ने न केवल जयपुर घराने की गायकी की बारीकियों और तकनीकों पर अधिकार प्राप्त किया, बल्कि कालांतर में अपने कौशल और कल्पना से एक नवीन शैली भी विकसित की। इस प्रकार उनकी शैली में अन्य घरानों की बारीकियां भी झलकती हैं। अमोनकर की प्रस्तुतियां ऊर्जा और लावण्य से अनुप्राणित होती हैं। उन्होंने प्राचीन संगीत ग्रंथों पर विस्तृत शोध किया है और उन्हें संगीत की गहरी समझ है। उनका संगीत भंडार विशाल है और वह न केवल पारंपरिक रागों, जैसे जौनपुरी, पटट् बिहाग, अहीर और भैरव प्रस्तुत करती हैं, बल्कि ठुमरी, भजन और खयाल भी गाती हैं।
शब्द और धुन
पद्म विभूषण से सम्मानित किशोरी ने योगराज सिद्धनाथ की सारेगामा द्वारा निकाली गई एलबम 'ऋषि गायत्री' के लोकार्पण के अवसर पर कहा, "मैं शब्दों और धुनों के साथ प्रयोग करना चाहती थी और देखना चाहती थी कि वे मेरे स्वरों के साथ कैसे लगते हैं। बाद में मैंने यह सिलसिला तोड़ दिया क्योंकि मैं स्वरों की दुनिया में ज़्यादा काम करना चाहती थी। मैं अपनी गायकी को स्वरों की एक भाषा कहती हूं।" उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि मैं फिल्मों में दोबारा गाऊंगी। मेरे लिए स्वरों की भाषा बहुत कुछ कहती हैं। यह आपको अद्भुत शांति में ले जा सकती है और आपको जीवन का बहुत सा ज्ञान दे सकती है। इसमें शब्दों और धुनों को जोड़ने से स्वरों की शक्ति कम हो जाती है।" वह कहती हैं, "संगीत का मतलब स्वरों की अभिव्यक्ति है। इसलिए यदि सही भारतीय ढंग से इसे अभिव्यक्त किया जाए तो यह आपको असीम शांति देता है।"[1]
किशोरी अमोनकर पर वृत्तचित्र
देश की प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायिका एवं पद्मविभूषण किशोरी अमोनकर पर 'भिन्न षड़ज' नामक वृत्तचित्र एक समय के लोकप्रिय फिल्म कलाकर अमोल पालेकर और उनकी जीवन संगीनी संध्या गोखले ने बनायी है। यह वृत्तचित्र 72 मिनट का है। किशोरी जी के जीवन में एक ऐसा समय आया, जब उनकी आवाज चली गई। आयुर्वेदिक उपचार के बाद जब इनकी आवाज वापस आई, तो इनकी गायकी एक सर्वथा नवीन दृष्टि लेकर, एक नई चमक लेकर वापस आई। अमोल पालेकर बताते हैं कि 'हमने छोटी-मोटी बातों पर ध्यान देने की बजाए पूरी डॉक्युमेंट्री को उनके संगीत, उनके व्यक्तित्व और उनकी सोच-प्रक्रिया तक केंद्रित रखा है।' गोवा, मुंबई और पुणे में डॉक्युमेंट्री की शूटिंग हुई। इसमें पं. हरिप्रसाद चौरसिया, पं. शिवकुमार शर्मा और उस्ताद अमजद अली जैसे संगीत क्षेत्र के दिग्गजों ने अमोनकर और उनके संगीत पक्ष के बारे में टिप्पणी करते हुए दिखाया गया है।[2]
पुरस्कार
- सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका श्रीमती किशोरी अमोनकर को शास्त्रीय संगीत की परम्परा को लोकप्रिय और समृद्ध बनाने में उनके योगदान के लिए 'आईटीसी संगीत पुरस्कार' से सम्मानित किया गया । पुरस्कार के तहत उन्हें प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
- 'गान सरस्वती' की उपाधि एवं पद्म विभूषण से सम्मानित श्रीमती अमोनकर ने इस अवसर पर अपनी मिठास भरी भावपूर्ण शैली में राग तिलक कामोद में निबद्ध रचना "सकल दुख हरन सदानन्द घट घट प्रगट " और एक अन्य रचना "मेरो पिया रसिया सुन री सखी तेरो दोष कहां " प्रस्तुत की।[3]
एलबम
ख्याल गायकी, ठुमरी और भजन गाने में विशेषज्ञता प्राप्त किशोरी की अब तक 'प्रभात', 'समर्पण' और 'बॉर्न टू सिंग' सहित कई एलबम जारी हो चुकी हैं।
सम्मान और पुरस्कार
- 1987 - पद्म भूषण
- 2002 - पद्म विभूषण
- 1985 - संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- 2009 - संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बॉलीवुड फिल्मों में नहीं गाऊंगी (हिंदी) समय लाइव। अभिगमन तिथि: 20 जून, 2013।
- ↑ गायिका किशोरी अमोनकर पर डॉक्युमेंट्री (हिंदी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 20 जून, 2013।
- ↑ किशोरी अमोनकर आईटीसी संगीत पुरस्कार से सम्मानित (हिंदी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 20 जून, 2013।
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