कैल्सियम हाइपोक्लोराइट: Difference between revisions

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'''कैल्सियम हाइपोक्लोराइट''' [[रसायन विज्ञान]] में एक अकार्बनिक यौगिक है। इसका रासायनिक सूत्र Ca(OCl)Cl है। इस विरजंग चूर्ण (ब्लीचिंग पाउडर) भी कहा जाता है। यह [[सफ़ेद रंग]] का एक [[ठोस]] है, जिसमें से [[क्लोरीन]] की काफ़ी तेज़ गंध निकलती रहती है। [[जल]] के शुद्धिकरण में इसका उपयोग किया जाता है। क्लोरोफ़ॉर्म तथा क्लोरीन के निर्माण में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
'''कैल्सियम हाइपोक्लोराइट''' [[रसायन विज्ञान]] में एक अकार्बनिक यौगिक है। इसका रासायनिक सूत्र Ca(OCl)Cl है। इसे 'विरजंक चूर्ण' (ब्लीचिंग पाउडर) भी कहा जाता है। यह [[सफ़ेद रंग]] का एक [[ठोस]] है, जिसमें से [[क्लोरीन]] की काफ़ी तेज़ गंध निकलती रहती है। [[जल]] के शुद्धिकरण में इसका उपयोग किया जाता है। क्लोरोफ़ॉर्म तथा क्लोरीन के निर्माण में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
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==परिचय==
==परिचय==

Latest revision as of 12:59, 14 September 2015

कैल्सियम हाइपोक्लोराइट रसायन विज्ञान में एक अकार्बनिक यौगिक है। इसका रासायनिक सूत्र Ca(OCl)Cl है। इसे 'विरजंक चूर्ण' (ब्लीचिंग पाउडर) भी कहा जाता है। यह सफ़ेद रंग का एक ठोस है, जिसमें से क्लोरीन की काफ़ी तेज़ गंध निकलती रहती है। जल के शुद्धिकरण में इसका उपयोग किया जाता है। क्लोरोफ़ॉर्म तथा क्लोरीन के निर्माण में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

परिचय

विरंजक चूर्ण स्थायी नहीं होता। समय बीतने के साथ-साथ इसमें क्लोरीन की मात्रा कम होती जाती है, जिससे इसके विरंजक गुण का ह्रास होता जाता है। व्यापारिक विरंजक चूर्ण में विरंजन की दृष्टि से पर्याप्त मात्रा में निष्क्रिय पदार्थ मिले रहते हैं। उच्च ताप पर यह विघटित हो जाता है। वायु की आर्द्रता और कार्बन डाइऑक्साइड से भी इसका विघटन धीरे धीरे होता है।

निर्माण

यह चूने का क्लोराइड होता है और देखने में चूने की तरह सफ़ेद रंग का होता है; पर इसमें क्लोरीन की गंध होती है। इसका निर्माण सर्वप्रथम ग्लैसगो के चार्ल्स टेनैंट ने सन 1799 ई. में किया था। विरंजक चूर्ण का निर्माण चूने और क्लोरीन से होता है। बुझे चूने पर क्लोरीन की क्रिया से यह बनता है। चूने के दो से तीन इंच गहरे स्तर पर क्लोरीन गैस प्रवाहित की जाती है। चूने का यह स्तर 10 से लेकर 20 फुट चौड़े, 100 फुट लंबे और 6 से लेकर 7 फुट ऊँचे कक्ष में बना होता है और आवश्यकतानुसार समय-समय पर स्तर को उलटते रहने की व्यवस्था रहती है। क्लोरीन का अवशोषण पहले तीव्रता से होता है पर पीछे मंद पड़ जाता है। कक्ष के स्थान में अब नलों का व्यवहार होता है, जिनमें ऊपर से चूना गिरता है और नीचे से क्लोरीन प्रविष्ट करता है और दोनों नलों के मध्य चूने द्वारा क्लोरीन के अवशोषण से तत्काल चूर्ण प्राप्त होता है।

कैल्सियम प्रक्रम से निर्माण

2 Ca(OH)2 + 2 Cl2 → Ca(ClO)2 + CaCl2 + 2 H2O

सोडियम प्रक्रम से निर्माण

2 Ca(OH)2 + 3 Cl2 + 2 NaOH → Ca(ClO)2 + CaCl2 + 2 H2O + 2 NaCl


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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