सिद्धार्थ: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
नवनीत कुमार (talk | contribs) No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "शृंगार" to "श्रृंगार") |
||
Line 31: | Line 31: | ||
|व्रत-वार= | |व्रत-वार= | ||
|पर्व-त्योहार= | |पर्व-त्योहार= | ||
| | |श्रृंगार= | ||
|अस्त्र-शस्त्र= | |अस्त्र-शस्त्र= | ||
|निवास= | |निवास= |
Revision as of 07:57, 7 November 2017
चित्र:Disamb2.jpg सिद्धार्थ | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सिद्धार्थ (बहुविकल्पी) |
सिद्धार्थ
| |
अन्य नाम | सिद्धार्थ, गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध, शाक्य मुनि |
अवतार | भगवान विष्णु के दस अवतारों में नौवें अवतार |
पिता | राजा शुद्धोदन |
माता | रानी महामाया |
जन्म विवरण | 563 ईसा पूर्व, लुम्बिनी (कपिलवस्तु) |
धर्म-संप्रदाय | बौद्ध धर्म- 'थेरवाद', 'महायान', 'वज्रयान' |
विवाह | यशोधरा |
संतान | राहुल |
शासन-राज्य | शाक्य गणराज्य |
अन्य विवरण | बौद्ध धर्म को पैंतीस करोड़ से अधिक लोग मानते हैं और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है। |
मृत्यु | 483 ईसा पूर्व, कुशीनगर (आयु- 80 वर्ष) |
संबंधित लेख | सारनाथ, सांकाश्य, कौशांबी, वैरंजा, कान्यकुब्ज |
जयंती | वैशाख की पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) |
अंतिम शब्द | "हे भिक्षुओं, इस समय आज तुमसे इतना ही कहता हूँ कि जितने भी संस्कार हैं, सब नाश होने वाले हैं, प्रमाद रहित हो कर अपना कल्याण करो।"[1] |
अन्य जानकारी | मथुरा में अनेक बौद्ध कालीन मूर्तियाँ मिली हैं। जो मौर्य काल और कुषाण काल में मथुरा की अति उन्नत मूर्ति कला की अमूल्य धरोहर हैं। |
सिद्धार्थ गौतम बुद्ध का मूल नाम था। सिंहली अनुश्रुति, खारवेल के अभिलेख, अशोक के सिंहासनारोहण की तिथि, कैण्टन के अभिलेख आदि के आधार पर महात्मा बुद्ध की जन्म तिथि 563 ई.पूर्व स्वीकार की गयी है।
- सिद्धार्थ का जन्म शाक्य वंश के राजा शुद्धोदन की रानी महामाया के गर्भ से माघ मास की पूर्णिमा के दिन हुआ था।
- शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी इनकी जन्म स्थली थी।
- सिद्धार्थ के पिता शाक्यों के राजा शुद्धोधन थे, इसीलिए बुद्ध को 'शाक्य मुनिभी कहते हैं।
- इनकी माता मायादेवी उनके जन्म के कुछ देर बाद ही मर गई थी।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
बुद्ध के अन्य नाम
[[चित्र:Buddha1.jpg|thumb|left|अभिलिखित अभय मुद्रा में बुद्ध]]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी
- ↑ हदं हानि भिक्खये, आमंतयामि वो, वयध्म्मा संखारा, अप्पमादेन सम्पादेया -महापरिनिब्वान सुत्त, 235 (यह 483 ई. पू. की घटना है। वे अस्सी वर्ष के थे।)