ईंधन: Difference between revisions

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'''ईंधन''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Fuel) वह [[पदार्थ]] है जो हवा में जलकर बगैर अनावश्यक उतपाद के [[ऊष्मा]] उत्पन्न करता है।


'''एक अच्छे ईंधन के निम्नमिखित गुण होने चाहिए''' -
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==मुख्यतः तीन प्रकार के ईंधन==
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ये ईंधन [[ठोस]] रूप में होते हैं तथा जलाने पर कार्बन हाइड्रोक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड व [[ऊष्मा]] उत्पन करते हैं। लकड़ी, कोयला, कोक आदि ठोस ईंधन के उदाहरण है।
ये ईंधन [[ठोस]] रूप में होते हैं तथा जलाने पर कार्बन हाइड्रोक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड व [[ऊष्मा]] उत्पन्नकरते हैं। लकड़ी, [[कोयला]], कोक आदि ठोस ईंधन के उदाहरण है।
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कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला चार प्रकार का होता हैं -  
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*'''पीट कोयला :-''' इसमें कार्बन की मात्रा 50% से 60% तक होती है। इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुआँ निकलता है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है।
*'''पीट कोयला :-''' इसमें कार्बन की मात्रा 50% से 60% तक होती है। इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुआँ निकलता है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है।
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*'''एन्थ्रासाइट कोयला :-''' यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है। इसमें कार्बन की मात्रा 85% से भी अधिक रहती है।
*'''एन्थ्रासाइट कोयला :-''' यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है। इसमें कार्बन की मात्रा 85% से भी अधिक रहती है।


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द्रव ईंधन विभिन्न प्रकार के हाइड्रो कार्बन के [[मिश्रण]] से बने होते हैं तथा जलाने पर कार्बन डाईऑक्साइड व [[जल]] का निर्माण करते हैं। केरोसिन, पेट्रोल, डीजल, एल्कोहल आदि [[द्रव]] ईंधनों के उदाहरण है।  
द्रव ईंधन विभिन्न प्रकार के [[हाइड्रोकार्बन]] के [[मिश्रण]] से बने होते हैं तथा जलाने पर कार्बन डाईऑक्साइड व [[जल]] का निर्माण करते हैं। [[केरोसिन]], पेट्रोल, [[डीज़ल]], [[अल्कोहल]] आदि [[द्रव]] ईंधनों के उदाहरण है।  


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जिस प्रकार ठोस व द्रव ईंधन जलाने पर ऊष्मा उत्पन्न करते हैं, उसी प्रकार कुछ ऐसी गैस भी हैं जो जलाने पर ऊष्मा उत्पन्न करती हैं। गैस ईंधन द्रव व ठोस ईंधनों की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक होते हैं व पाइपों द्वारा एक स्थान से दुसरे स्थान तक सरलतापूर्वक नियन्त्रित की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त गैस ईंधनों की ऊष्मा सरलतापूर्वक नियन्त्रित की जा सकती है। प्रमुख ईंधन गैसें निम्न हैं
जिस प्रकार ठोस व द्रव ईंधन जलाने पर ऊष्मा उत्पन्न करते हैं, उसी प्रकार कुछ ऐसी गैस भी हैं जो जलाने पर ऊष्मा उत्पन्न करती हैं। गैस ईंधन द्रव व ठोस ईंधनों की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक होते हैं व पाइपों द्वारा एक स्थान से दुसरे स्थान तक सरलतापूर्वक नियन्त्रित की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त गैस ईंधनों की ऊष्मा सरलतापूर्वक नियन्त्रित की जा सकती है। प्रमुख ईंधन गैसें निम्न हैं


*'''प्रकृतिक गैस :-''' यह पेट्रोलियम कुआँ से निकलती है। इसमें 95% हाइड्रोकार्बन होता है, जिसमेम80% मिथेन रहता है। घरों में प्रयुक्त होने वाली द्रवित प्राकृतिक गैस को एल॰ पी॰ जी॰ कहते हैं। यह ब्यूटेन एवं प्रओमेन का मिश्रण होता है, जिसे उच्च दाव पर द्रवित कर सिलेण्डरों में भर लिया जाता हैं।
*'''प्राकृतिक गैस :-''' यह पेट्रोलियम कुआँ से निकलती है। इसमें 95% हाइड्रोकार्बन होता है, जिसमे 80% मिथेन रहता है। घरों में प्रयुक्त होने वाली द्रवित प्राकृतिक गैस को एल॰ पी॰ जी॰ कहते हैं। यह [[ब्यूटेन]] एवं प्रओमेन का मिश्रण होता है, जिसे उच्च दाव पर द्रवित कर सिलेण्डरों में भर लिया जाता हैं।
*'''गोबर गैस :-''' गीले गोबर (पशुओं के मल) के सड़ने पर ज्वलनशील मिथेन गैस बनती है, जो [[वायु]] की उपस्थिति में सुगमता से जलती है। गोबर गैस संयत्र में शेष रहे पदार्थ का उपयोग कार्बनिक खाद के रूप में किया जाता है।
*'''गोबर गैस :-''' गीले गोबर (पशुओं के मल) के सड़ने पर ज्वलनशील मिथेन गैस बनती है, जो वायु की उपस्थिति में सुगमता से जलती है। गोबर गैस संयत्र में शेष रहे पदार्थ का उपयोग कार्बनिक खाद के रूप में किया जाता है।
*'''प्रोड्यूसर गैस :-''' यह गैस [[लाल]] तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके बनायी जाती है, इसमें मुख्यतः कार्बन मोनोक्साइड ईंधन का काम करता है। इसमें 70% नाइट्रोजन, 25% कार्बन मोनोक्साइड एवं 4% कार्बनडाइक्साइड रहता है। इसका ऊष्मीय मान 1100 kcal / kg होता है। काँच एवं इस्पात उद्योग में इसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
*'''प्रोड्यूसर गैस :-''' यह गैस [[लाल रंग|लाल]] तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके बनायी जाती है, इसमें मुख्यतः कार्बन मोनोक्साइड ईंधन का काम करता है। इसमें 70% नाइट्रोजन, 25% कार्बन मोनोक्साइड एवं 4% कार्बनडाइक्साइड रहता है। इसका ऊष्मीय मान 1100 kcal / kg होता है। काँच एवं इस्पात उद्योग में इसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
*'''जल गैस :-''' इसमें [[हाइड्रोजन]] 49%, कार्बन मोनोक्साइड 45% तथा कार्बनडाइक्साइड 4-5% होता है। इसका ऊष्मीय मान 2500 से 2800 kcal / kg होता है। इसका उपयोग हइड्रोजन एवं अल्कोहक के निर्माण में अपचायक के रूप में होता है।
*'''जल गैस :-''' इसमें [[हाइड्रोजन]] 49%, कार्बन मोनोक्साइड 45% तथा कार्बनडाइक्साइड 4-5% होता है। इसका ऊष्मीय मान 2500 से 2800 kcal / kg होता है। इसका उपयोग हइड्रोजन एवं [[अल्कोहल]] के निर्माण में अपचायक के रूप में होता है।
*'''कोल गैस :-''' यह कोयले के भंजक आसवन से बनाया जाता है। यह रंगहीन तीक्ष्ण गंध वाली गैस है, यह वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनाती है। इसमें 54% हाइड्रोजन, 35% मिथेन, 11% कार्बन मोनोक्साइड, 5% हाइड्रोकार्बन, 3% कार्बन डाइआक्साइड होता है।
*'''कोल गैस :-''' यह कोयले के भंजक आसवन से बनाया जाता है। यह रंगहीन तीक्ष्ण गंध वाली गैस है, यह वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनाती है। इसमें 54% हाइड्रोजन, 35% मिथेन, 11% कार्बन मोनोक्साइड, 5% [[हाइड्रोकार्बन]], 3% कार्बन डाइआक्साइड होता है।
*ईंधन का ऊष्मीय मान उसकी कोटि का निर्धारण करता है।
*ईंधन का ऊष्मीय मान उसकी कोटि का निर्धारण करता है।
*अल्कोहल को जब पेट्रोल में मिला दिया जाता है, तो उसे अल्कोहल कहते हैं, जो [[ऊर्जा]] का एक वैकल्पिक स्रोत है।
*[[अल्कोहल]] को जब पेट्रोल में मिला दिया जाता है, तो उसे अल्कोहल कहते हैं, जो [[ऊर्जा]] का एक वैकल्पिक स्रोत है।
*एल॰ पी॰ जी॰ अत्यधिक ज्वलनशील होती है, अतः इससे होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए इसमें [[सल्फर]] के यौगिक (मिथाइल मरकॉप्टेन) को मिला देते हैं, ताकि इसके रिसाव को इसकी गंध से पहचान लिया जाय।
*एल॰ पी॰ जी॰ अत्यधिक ज्वलनशील होती है, अतः इससे होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए इसमें [[सल्फर]] के यौगिक (मिथाइल मरकॉप्टेन) को मिला देते हैं, ताकि इसके रिसाव को इसकी गंध से पहचान लिया जाय।


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==अपस्फोटन व आक्टेन संख्या==
==अपस्फोटन व आक्टेन संख्या==
कुछ ईंधन ऐसे होते हैं जिनका वायु मिश्रण का इंजनों के सिलेण्डर में ज्वलन समय के पहले हो जाता है, जिससे ऊष्मा पूर्णतया कार्य में परिवर्तित न होकर धात्विक ध्वनि उत्पन्न करने में नष्ट हो जाती है। यही ध्हत्विक ध्वनि अपस्फोटन कहलाती है। ऐसे ईंधन जिनका अपस्फोटन अधिक होता है अपयोग के लिए उचित नहीं माने जाते हैं जिससे इनका अपस्फोटन कम हो जाता है सबसे अच्छा अपस्फोटरोधी यौगिक टेट्रा एथिल लेड है। अपस्फोटन को आक्टेन संख्या के द्वारा व्यक्त किया जाता है। किसी ईंधन, जिसकी आक्टेन संख्या जितनी अधिक होती है, का अपस्फोटन उतना ही कम होता है तथा वह उतना ही उत्तम ईंधन माना जाता है।
कुछ ईंधन ऐसे होते हैं जिनका वायु मिश्रण का इंजनों के सिलेण्डर में ज्वलन समय के पहले हो जाता है, जिससे ऊष्मा पूर्णतया कार्य में परिवर्तित न होकर धात्विक ध्वनि उत्पन्न करने में नष्ट हो जाती है। यही ध्हत्विक ध्वनि अपस्फोटन कहलाती है। ऐसे ईंधन जिनका अपस्फोटन अधिक होता है अपयोग के लिए उचित नहीं माने जाते हैं जिससे इनका अपस्फोटन कम हो जाता है सबसे अच्छा अपस्फोटरोधी यौगिक टेट्रा एथिल लेड है। अपस्फोटन को आक्टेन संख्या के द्वारा व्यक्त किया जाता है। किसी ईंधन, जिसकी आक्टेन संख्या जितनी अधिक होती है, का अपस्फोटन उतना ही कम होता है तथा वह उतना ही उत्तम ईंधन माना जाता है।
 
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Latest revision as of 10:03, 9 February 2021

ईंधन (अंग्रेज़ी:Fuel) वह पदार्थ है जो हवा में जलकर बगैर अनावश्यक उतपाद के ऊष्मा उत्पन्न करता है।

एक अच्छे ईंधन के निम्नमिखित गुण होने चाहिए -

  • वह सस्ता एवं आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
  • उसका ऊष्मीय मान उच्च होना चाहिए।
  • जलने के बाद उससे अधिक मात्रा में अवशिष्ट होना चाहिए।
  • जलने के दौरान या बाद कोई हानिकारक पदार्थ नहीं होना चाहिए।
  • उसका जमाव, परिवह्न आसान होना चाहिए।
  • उसका जलना नियंत्रित होना चाहिए।
  • उसका प्रज्वलन ताप निम्न होना चाहिए।

मुख्यतः तीन प्रकार के ईंधन

ठोस ईंधन

ये ईंधन ठोस रूप में होते हैं तथा जलाने पर कार्बन हाइड्रोक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड व ऊष्मा उत्पन्नकरते हैं। लकड़ी, कोयला, कोक आदि ठोस ईंधन के उदाहरण है।

कोयला
  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला चार प्रकार का होता हैं -

  • पीट कोयला :- इसमें कार्बन की मात्रा 50% से 60% तक होती है। इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुआँ निकलता है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है।
  • लिग्नाइट कोयला :- कोयला इसमें कार्बन की मात्रा 65% से 70% तक होती है। इसका रंग भूरा होता है, इसमें जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है।
  • बिटुमिनस कोयला :- इसे मुलायम कोयला भी कहा जाता है। इसका उपयोग घरेलू कार्यों में होता है। इसमें कर्बन की मात्रा 70% से 85% तक होती है।
  • एन्थ्रासाइट कोयला :- यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है। इसमें कार्बन की मात्रा 85% से भी अधिक रहती है।

द्रव ईंधन

द्रव ईंधन विभिन्न प्रकार के हाइड्रोकार्बन के मिश्रण से बने होते हैं तथा जलाने पर कार्बन डाईऑक्साइड व जल का निर्माण करते हैं। केरोसिन, पेट्रोल, डीज़ल, अल्कोहल आदि द्रव ईंधनों के उदाहरण है।

गैस ईंधन

जिस प्रकार ठोस व द्रव ईंधन जलाने पर ऊष्मा उत्पन्न करते हैं, उसी प्रकार कुछ ऐसी गैस भी हैं जो जलाने पर ऊष्मा उत्पन्न करती हैं। गैस ईंधन द्रव व ठोस ईंधनों की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक होते हैं व पाइपों द्वारा एक स्थान से दुसरे स्थान तक सरलतापूर्वक नियन्त्रित की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त गैस ईंधनों की ऊष्मा सरलतापूर्वक नियन्त्रित की जा सकती है। प्रमुख ईंधन गैसें निम्न हैं

  • प्राकृतिक गैस :- यह पेट्रोलियम कुआँ से निकलती है। इसमें 95% हाइड्रोकार्बन होता है, जिसमे 80% मिथेन रहता है। घरों में प्रयुक्त होने वाली द्रवित प्राकृतिक गैस को एल॰ पी॰ जी॰ कहते हैं। यह ब्यूटेन एवं प्रओमेन का मिश्रण होता है, जिसे उच्च दाव पर द्रवित कर सिलेण्डरों में भर लिया जाता हैं।
  • गोबर गैस :- गीले गोबर (पशुओं के मल) के सड़ने पर ज्वलनशील मिथेन गैस बनती है, जो वायु की उपस्थिति में सुगमता से जलती है। गोबर गैस संयत्र में शेष रहे पदार्थ का उपयोग कार्बनिक खाद के रूप में किया जाता है।
  • प्रोड्यूसर गैस :- यह गैस लाल तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके बनायी जाती है, इसमें मुख्यतः कार्बन मोनोक्साइड ईंधन का काम करता है। इसमें 70% नाइट्रोजन, 25% कार्बन मोनोक्साइड एवं 4% कार्बनडाइक्साइड रहता है। इसका ऊष्मीय मान 1100 kcal / kg होता है। काँच एवं इस्पात उद्योग में इसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
  • जल गैस :- इसमें हाइड्रोजन 49%, कार्बन मोनोक्साइड 45% तथा कार्बनडाइक्साइड 4-5% होता है। इसका ऊष्मीय मान 2500 से 2800 kcal / kg होता है। इसका उपयोग हइड्रोजन एवं अल्कोहल के निर्माण में अपचायक के रूप में होता है।
  • कोल गैस :- यह कोयले के भंजक आसवन से बनाया जाता है। यह रंगहीन तीक्ष्ण गंध वाली गैस है, यह वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनाती है। इसमें 54% हाइड्रोजन, 35% मिथेन, 11% कार्बन मोनोक्साइड, 5% हाइड्रोकार्बन, 3% कार्बन डाइआक्साइड होता है।
  • ईंधन का ऊष्मीय मान उसकी कोटि का निर्धारण करता है।
  • अल्कोहल को जब पेट्रोल में मिला दिया जाता है, तो उसे अल्कोहल कहते हैं, जो ऊर्जा का एक वैकल्पिक स्रोत है।
  • एल॰ पी॰ जी॰ अत्यधिक ज्वलनशील होती है, अतः इससे होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए इसमें सल्फर के यौगिक (मिथाइल मरकॉप्टेन) को मिला देते हैं, ताकि इसके रिसाव को इसकी गंध से पहचान लिया जाय।

ईंधन का ऊष्मीय मान

किसी ईंधन का ऊष्मीय मान ऊष्मा की वह मात्रा है, जो उस ईंधन के एक ग्राम को वायु या ऑक्सीजन में पूर्णतः जलाने के पश्चात् प्राप्त होता है। किसी भी अच्छे ईंधन का ऊष्मीय मान अधिक होना चाहिए। सभी ईंधनों में हाइड्रोजन का ऊष्मीय मान सबसे आधिक होता है परन्तु सुरक्षित भंडारण की सुविधा नहीं होने के कारण उपयोग आमतौर पर नहीं किया जाता है। हाइड्रोजन का उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में तथा उच्च ताप उत्पन्न करने वाले ज्वालकों में किया जाता है। हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन भी कहा जाता है।

अपस्फोटन व आक्टेन संख्या

कुछ ईंधन ऐसे होते हैं जिनका वायु मिश्रण का इंजनों के सिलेण्डर में ज्वलन समय के पहले हो जाता है, जिससे ऊष्मा पूर्णतया कार्य में परिवर्तित न होकर धात्विक ध्वनि उत्पन्न करने में नष्ट हो जाती है। यही ध्हत्विक ध्वनि अपस्फोटन कहलाती है। ऐसे ईंधन जिनका अपस्फोटन अधिक होता है अपयोग के लिए उचित नहीं माने जाते हैं जिससे इनका अपस्फोटन कम हो जाता है सबसे अच्छा अपस्फोटरोधी यौगिक टेट्रा एथिल लेड है। अपस्फोटन को आक्टेन संख्या के द्वारा व्यक्त किया जाता है। किसी ईंधन, जिसकी आक्टेन संख्या जितनी अधिक होती है, का अपस्फोटन उतना ही कम होता है तथा वह उतना ही उत्तम ईंधन माना जाता है।


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