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रेडियम आवर्त सारणी के द्वितीय मुख्य समूह का अंतिम तत्व है। रेडियोऐक्टिव तत्वों में इसका मुख्य स्थान है। इसके अनेक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक मिलते हैं, जिनमें 226 द्रव्यमान संख्या का समस्थानिक सबसे स्थिर है।

रेडियम की खोज पियरे क्यूरी तथा श्रीमति क्यूरी ने 1898 ई. में की थी। यूरेनियम अयस्क, पिचब्लेंड, की रेडियोऐक्टिवता विशुद्ध यूरेनियम से अधिक होती है। उपर्युक्त दोनों वैज्ञानिकों ने रासायनिक क्रियाओं द्वारा अधिक रेडियोऐक्टिव वाले अंश को पिचब्लेंड से अलग कर इस तत्व की उपस्थिति सिद्ध की थी। 1902 ई. में इसका विशुद्ध यौगिक बना और 1910 ई. में रेडियम धातु का निर्माण हुआ।

यूरेनियम अयस्कों के साथ रेडियम सदा मिश्रित रहता है। यूरेनियम रेडियोऐक्टिव तत्व है। इसी क्रिया द्वारा रेडियम की उत्पत्ति होती है, परंतु रेडियम का, स्वयं रेडियोऐक्टिव होने के कारण, क्षय भी होता रहता है। इस कारण यूरेनियम अयस्क में रेडियम की मात्रा वस्तुत: स्थिर रहती है। इसके अतिरिक्त थोरियम अयस्क भी इसका स्रोत है। समुद्र तथा उसकी निचली सतह और कुछ नदियों के जल में भी इसकी सूक्ष्म मात्रा मिलती है।

पिचब्लेंड अयस्क मुख्यत: अफ्रीका में कांगो के कटैंगा प्रांत में तथा कैनाडा और पश्चिम अमरीका में मिलता है। इसके अतिरिक्त यूरोप के कुछ स्थानों में, दक्षिणी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा मैडागास्कर में भी इसके अयस्क मिलते हैं। भारत के केरल राज्य में मोनोजाइट अयस्क बहुत मात्रा में प्राप्य है। इससे रेडियम का दूसरा समस्थानिक, जिसे मिज़ोथोरियम कहते हैं, मिलता है। यह अधिक अस्थायी रूप का समस्थानिक है।


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