यूरेनियम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(युरेनियम को अनुप्रेषित (रिडायरेक्ट))
 
No edit summary
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
#REDIRECT [[युरेनियम]]
{{पुनरीक्षण}}
[[चित्र:Uranium.jpg|thumb|220px|यूरेनियम]]
'''यूरेनियम''' [[आवर्त सारणी]] की एक अंतर्वर्ती श्रेणी, [[ऐक्टिनाइड]] श्रेणी का तृतीय [[तत्व]] है। इस श्रेणी में आंतरिक इलेक्ट्रॉनीय परिकक्षा (5 परिकक्षा) के [[इलेक्ट्रॉन]] स्थान लेते हैं। कुछ समय पहले तक इस तत्व को छठे अंतर्वर्ती समूह का अंतिम तत्व माना जाता था। यूरेनियम गहरे काले रंग का पिण्डो के रूप में मिलता है। यूरेनियम के प्रमुख अयस्क हैं- पिचब्लैड, सामरस्काइट तथा थोरियानाइट।
 
==इतिहास==
यूरेनियम तत्व की खोज 1789 ई. में क्लाप्रोट द्वारा पिचब्लेंड नामक अयस्क से हुई। उसने नए तत्व का नाम कुछ वर्ष पहले ज्ञात [[अरुण|यूरेनस ग्रह]] के आधार पर यूरेनियम रखा। इस खोज के 52 वर्ष पश्चात्‌ पेलीगाट ने 1841 ई. में यह प्रदर्शित किया कि क्लाप्रोट द्वारा खोजा गया [[पदार्थ]] यूरेनियम टेट्राक्लोराइड के [[पोटैशियम]] द्वारा अपचयन से यूरेनियम [[धातु]] तैयार की।
 
1896 ई. में हेनरी बेक्वरेल ने यूरेनियम में रेडियों ऐक्टिवता की खोज की। उसके अनुसंधानों से ज्ञात हुआ कि यह गुण यूरेनियम के सब [[यौगिक|यौगिकों]] में तथा कुछ अन्य अयस्कों में भी वर्तमान है। इन निरीक्षणें के फलस्वरूप ही पिचब्लेंड अयस्क से रेडियम की ऐतिहासिक खोज संभव हो सकी थी।
 
==उपस्थिति==
यूरेनियम [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] की संपूर्ण ऊपरी सतह पर फैला है। ऐसा अनुमान है कि पृथ्वी की पपड़ी में यूरेनियम की मात्रा लगभग 1014 टन है। इस प्रकार इसकी मात्रा लगभग 1 ग्राम शैल में 4x10-6 होगी। इसकी मात्रा अम्लीय शैल (जैसे ग्रैनाइट) में अधिक और क्षारीय शैल (जैसे बेसाल्ट) में कम रहती है। समुद्री जल में भी यूरेनियम उपस्थित है, यद्यपि समुद्री जल में इसकी मात्रा शैल में उपस्थित मात्रा का 1/2000 वाँ भाग है। इतने विस्तार से फैले होने के पश्चात्‌ भी इसके केवल दो मुख्य अयस्क ज्ञात हैं, एक पिचब्लेंड और दूसरा कॉर्नोटाइट।
==प्राप्ति स्थान==
[[भारत]] में यूरेनियम की प्राप्ति [[धारवाड़ चट्टान|धारवाड़]] एवं आर्कियन श्रेणी की शैलों, पेग्मेटाइट्स, [[मोनाजाइट]] बालू तथा चैरालाइट से होती है। इसकी प्राप्ति के प्रमुख क्षेत्र हैं- [[झारखण्ड]] में सिंहभूम तथा उत्तरी भाग के [[अभ्रक]] क्षेत्र, [[कर्नाटक]] में येदायूर के समीप, [[आंध्र प्रदेश]] में नेल्लौर ज़िले की सांकर खाने, [[राजस्थान]] में [[उदयपुर]] का सीमावर्ती क्षेत्र, [[केरल]] तथा [[तमिलनाडु]] राज्यो का समुद्रतटीय मोनाजाइट बालू क्षेत्र आदि।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{आवर्त सारणी}}{{रसायन विज्ञान}}
[[Category:रसायन विज्ञान]]
[[Category:रासायनिक तत्त्व]]
[[Category:ऐक्टिनाइड]]
[[Category:संक्रमण तत्त्व]]
[[Category:विज्ञान_कोश]]
__INDEX__

Latest revision as of 06:33, 16 February 2021

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

thumb|220px|यूरेनियम यूरेनियम आवर्त सारणी की एक अंतर्वर्ती श्रेणी, ऐक्टिनाइड श्रेणी का तृतीय तत्व है। इस श्रेणी में आंतरिक इलेक्ट्रॉनीय परिकक्षा (5 परिकक्षा) के इलेक्ट्रॉन स्थान लेते हैं। कुछ समय पहले तक इस तत्व को छठे अंतर्वर्ती समूह का अंतिम तत्व माना जाता था। यूरेनियम गहरे काले रंग का पिण्डो के रूप में मिलता है। यूरेनियम के प्रमुख अयस्क हैं- पिचब्लैड, सामरस्काइट तथा थोरियानाइट।

इतिहास

यूरेनियम तत्व की खोज 1789 ई. में क्लाप्रोट द्वारा पिचब्लेंड नामक अयस्क से हुई। उसने नए तत्व का नाम कुछ वर्ष पहले ज्ञात यूरेनस ग्रह के आधार पर यूरेनियम रखा। इस खोज के 52 वर्ष पश्चात्‌ पेलीगाट ने 1841 ई. में यह प्रदर्शित किया कि क्लाप्रोट द्वारा खोजा गया पदार्थ यूरेनियम टेट्राक्लोराइड के पोटैशियम द्वारा अपचयन से यूरेनियम धातु तैयार की।

1896 ई. में हेनरी बेक्वरेल ने यूरेनियम में रेडियों ऐक्टिवता की खोज की। उसके अनुसंधानों से ज्ञात हुआ कि यह गुण यूरेनियम के सब यौगिकों में तथा कुछ अन्य अयस्कों में भी वर्तमान है। इन निरीक्षणें के फलस्वरूप ही पिचब्लेंड अयस्क से रेडियम की ऐतिहासिक खोज संभव हो सकी थी।

उपस्थिति

यूरेनियम पृथ्वी की संपूर्ण ऊपरी सतह पर फैला है। ऐसा अनुमान है कि पृथ्वी की पपड़ी में यूरेनियम की मात्रा लगभग 1014 टन है। इस प्रकार इसकी मात्रा लगभग 1 ग्राम शैल में 4x10-6 होगी। इसकी मात्रा अम्लीय शैल (जैसे ग्रैनाइट) में अधिक और क्षारीय शैल (जैसे बेसाल्ट) में कम रहती है। समुद्री जल में भी यूरेनियम उपस्थित है, यद्यपि समुद्री जल में इसकी मात्रा शैल में उपस्थित मात्रा का 1/2000 वाँ भाग है। इतने विस्तार से फैले होने के पश्चात्‌ भी इसके केवल दो मुख्य अयस्क ज्ञात हैं, एक पिचब्लेंड और दूसरा कॉर्नोटाइट।

प्राप्ति स्थान

भारत में यूरेनियम की प्राप्ति धारवाड़ एवं आर्कियन श्रेणी की शैलों, पेग्मेटाइट्स, मोनाजाइट बालू तथा चैरालाइट से होती है। इसकी प्राप्ति के प्रमुख क्षेत्र हैं- झारखण्ड में सिंहभूम तथा उत्तरी भाग के अभ्रक क्षेत्र, कर्नाटक में येदायूर के समीप, आंध्र प्रदेश में नेल्लौर ज़िले की सांकर खाने, राजस्थान में उदयपुर का सीमावर्ती क्षेत्र, केरल तथा तमिलनाडु राज्यो का समुद्रतटीय मोनाजाइट बालू क्षेत्र आदि।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख