कोनगमन बुद्ध: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (श्रेणी:नया पन्ना सितंबर-2011 (को हटा दिया गया हैं।)) |
|||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 10: | Line 10: | ||
कोनगमन की कथा केवल साहित्यिक स्रोत्रों पर ही आधारित नहीं है, उनका पुरातात्त्विक आधार भी है क्योंकि [[अशोक|सम्राट अशोक]] ने अपने राज्याभिषेक के बीसवें वर्ष में 'कोनगमन बुद्ध' के [[स्तूप]] को, जो उनके जन्मस्थान पर निर्मित था, दुगुना बड़ा करवाया था। इसके अतिरिक्त, [[फ़ाह्यान]] व [[ह्वेनसांग]] ने भी उस स्तूप की चर्चा की है।<ref>{{cite web |url=http://www.ignca.nic.in/coilnet/jatak101.htm |title=101 - Konagamana Buddha / कोनगमन बुद्ध |accessmonthday=14 सितम्बर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }} </ref> | कोनगमन की कथा केवल साहित्यिक स्रोत्रों पर ही आधारित नहीं है, उनका पुरातात्त्विक आधार भी है क्योंकि [[अशोक|सम्राट अशोक]] ने अपने राज्याभिषेक के बीसवें वर्ष में 'कोनगमन बुद्ध' के [[स्तूप]] को, जो उनके जन्मस्थान पर निर्मित था, दुगुना बड़ा करवाया था। इसके अतिरिक्त, [[फ़ाह्यान]] व [[ह्वेनसांग]] ने भी उस स्तूप की चर्चा की है।<ref>{{cite web |url=http://www.ignca.nic.in/coilnet/jatak101.htm |title=101 - Konagamana Buddha / कोनगमन बुद्ध |accessmonthday=14 सितम्बर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }} </ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | |||
{{लेख प्रगति|आधार= | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
Line 23: | Line 19: | ||
{{अशोक}} | {{अशोक}} | ||
{{बौद्ध धर्म}} | {{बौद्ध धर्म}} | ||
[[Category: | [[Category:बौद्ध_धर्म]][[Category:बौद्ध_धर्म_कोश]][[Category:बौद्ध_काल]][[Category:इतिहास_कोश]][[Category:अशोक]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
Latest revision as of 08:13, 3 August 2014
अशोक ने संबोधि[1], लुंबिनी[2] और बुद्ध कोनाकमन (कनक मुनि) के स्तूप आदि बौद्ध तीर्थों की यात्रा की। इस राज यात्री की पाटलिपुत्र से इन स्थानों की यात्रा की प्रगति के सूचक स्तम्भ अब तक विद्यमान हैं और उसके विभिन्न चरणों का साक्ष्य देते हैं। [3]
जातक कथा में
कोनगमन तेईसवें बुद्ध माने जाते हैं। ये भद्र कल्प के दूसरे बुद्ध हैं। सोभावती के समगवती उद्यान में जन्मे कोनगमन के पिता का नाम यञ्ञदत्त था। उत्तरा उनकी माता थी। इनकी धर्मपत्नी का नाम रुचिगत्ता था; और उनके पुत्र का नाम सत्तवाहा था।
- गृह-त्याग
तीन हज़ार सालों तक एक गृहस्थ के रुप में रहने के बाद एक हाथी पर सवार होकर इन्होंने गृह-त्याग किया और संयास को उन्मुख हुए। छ: महीनों के कठिन तप के बाद इन्होंने अग्गिसोमा नाम की एक ब्राह्मण कन्या के हाथों खीर ग्रहण किया। फिर तिन्दुक नामक व्यक्ति द्वारा दी गई घास का आसन उदुम्बरा वृक्ष के नीचे बिछा कर तब तक समाधिस्थ रहे जब तक कि 'बोधि' प्राप्त नहीं की। तत: सुदस्मन नगर के उद्यान में उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया।
- प्रमुख शिष्य
भिथ्य व उत्तर उनके प्रमुख शिष्य थे और समुद्दा व उत्तरा उनकी प्रमुख शिष्याएँ। कोपगमन का नाम 'कनकगमन' से विश्पत्त है क्योंकि उनके जन्म के समय समस्त जम्बूद्वीप[4] में सुवर्ण-वर्षा हुई थी। इन्हीं का नाम संस्कृत परम्परा में कनक मुनि है। इनके काल में राजगीर के वेपुल्ल पर्वत का नाम वंकक था और वहाँ के लोग रोहितस्स के नाम से जाने जाते थे। उन दिनों बोधिसत्त मिथिला के एक क्षत्रिय कुल में उत्पन्न हुए थे। तब उनका नाम पब्बत था। तीस हज़ार वर्ष की आयु में पब्बताराम में उनका परिनिर्वाण हुआ।
- पुरातात्त्विक आधार
कोनगमन की कथा केवल साहित्यिक स्रोत्रों पर ही आधारित नहीं है, उनका पुरातात्त्विक आधार भी है क्योंकि सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के बीसवें वर्ष में 'कोनगमन बुद्ध' के स्तूप को, जो उनके जन्मस्थान पर निर्मित था, दुगुना बड़ा करवाया था। इसके अतिरिक्त, फ़ाह्यान व ह्वेनसांग ने भी उस स्तूप की चर्चा की है।[5]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
मुकर्जी, राधाकुमुद “मौर्य साम्राज्य”, प्राचीन भारत (हिंदी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: राजकमल प्रकाशन, 67।
बाहरी कड़ियाँ
101 - Konagamana Buddha / कोनगमन बुद्ध (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 14 सितम्बर, 2011।