बोधगया: Difference between revisions
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*बोधगया में बोधवृक्ष ([[पीपल]] वृक्ष) के नीचे 'सिद्धार्थ' ज्ञान प्राप्त कर [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] कहलाए थे। | *बोधगया में बोधवृक्ष ([[पीपल]] वृक्ष) के नीचे 'सिद्धार्थ' ज्ञान प्राप्त कर [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] कहलाए थे। | ||
*यहाँ के दशर्नीय स्थलों में महाबोध मन्दिर, [[पीपल]] वृक्ष, अनिमेषलोचन चैत्य, चंक्रमण, रत्नाकार, मुचलिन्द सरोवर, तिब्बती मन्दिर, चीन का मन्दिर, जापानी मन्दिर, थाई मन्दिर, भूटान का मन्दिर, पुरातात्विक संग्रहालय दशर्नीय है। | *यहाँ के दशर्नीय स्थलों में महाबोध मन्दिर, [[पीपल]] वृक्ष, अनिमेषलोचन चैत्य, चंक्रमण, रत्नाकार, मुचलिन्द सरोवर, तिब्बती मन्दिर, चीन का मन्दिर, जापानी मन्दिर, थाई मन्दिर, भूटान का मन्दिर, पुरातात्विक संग्रहालय दशर्नीय है। | ||
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Latest revision as of 12:48, 8 August 2014
[[चित्र:Buddha-Statue-Bodhgaya-Bihar.jpg|thumb|250px|बुद्ध प्रतिमा, बोधगया, बिहार]] बोधगया भारत के बिहार राज्य में गया से 12 किमी दूरी पर स्थित एक बौद्ध धार्मिक स्थल है।
- बोधगया में बोधवृक्ष (पीपल वृक्ष) के नीचे 'सिद्धार्थ' ज्ञान प्राप्त कर गौतम बुद्ध कहलाए थे।
- यहाँ के दशर्नीय स्थलों में महाबोध मन्दिर, पीपल वृक्ष, अनिमेषलोचन चैत्य, चंक्रमण, रत्नाकार, मुचलिन्द सरोवर, तिब्बती मन्दिर, चीन का मन्दिर, जापानी मन्दिर, थाई मन्दिर, भूटान का मन्दिर, पुरातात्विक संग्रहालय दशर्नीय है।
- सम्भवतः इस स्तूप की नींव अशोक द्वारा रखी गयी थी।
- यह स्तूप ग्रेनाइट या पत्थर के बने है। इसमें लगभग 30 जंगले हैं।
- बोघगया से 12 किमी पर ढोगेश्वरी गुफा है। जहां बुद्ध ने मनन-चिन्तन किया था।
- गया के समीप ही बांकेधाम से शिव की प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई है।
- परैया प्रखण्ड में देवकाली गांव पाल कालीन दीवारों और मूर्तियों के लिए चर्चित है। यहीं टिकारी का क़िला स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है।
- इस प्रकार बिहार राज्य का गया ज़िला ऎतिहासिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
- बुद्ध युग से उद्रार गुप्त युग तक की ऎतिहासिक जानकारियां यहाँ से मिलती हैं।
[[चित्र:Buddha-Statue-Bodhgaya-Bihar-2.jpg|thumb|250px|बुद्ध प्रतिमा, बोधगया, बिहार]]
- मौर्य शासक अशोक ने बोधगया की यात्रा की थी और वहां एक स्तूप निर्मित कराया था।
- गया में बराबर की पहाड़ियों में सात गुफाएं हैं, जिनमें तीन को अशोक ने आजीविकों को दान कर दिया था।
- श्रीलंका के शासक मेघवर्मन ने समुद्रगुप्त की अनुमति से बोधगया में एक बौद्ध-विहार बनवाया था।
- बराकर की पहाड़ी से प्राप्त एक अभिलेख में मौखरी शासक अनन्तवर्मन का वर्णन है।
- बोधगया के ताराडीह में पालकालीन अवशेष प्राप्त हैं।
- गया के समीप सोनपुर से कुषाणों के अवशेष मिले हैं।
- गया की यात्रा चीनी यात्रियों फ़ाह्यान तथा ह्वेनसांग ने की थी।
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वीथिका
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बुद्ध के पैरों के निशान, बोधगया
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महाबोधि मंदिर, बोधगया, बिहार
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महाबोधि मंदिर, बोधगया, बिहार
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बुद्ध और सुजाता, सुजाता मंदिर, बोधगया
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महाबोधि मंदिर, बोधगया, बिहार
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख