सिलिकॉन: Difference between revisions

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सिलिकॉन चतुर्थ समूह का तत्व होने के कारण [[कार्बन]] से अनेक गुणों में मिलता-जुलता है। सिलिकॉन [[परमाणु]] के बाहरी कक्ष में चार [[इलेक्ट्रॉन]] हैं। ये इलेक्ट्रॉन अन्य तत्वों के इलेक्ट्रॉनों से मिलकर चार सहसंयोजक बंध बनाते हैं। इन बंधों में कार्बन से अधिक आयनिक गुण वर्तमान हैं। फिर भी इसके सहसंयोजक बंध बनाते हैं। इस बंधों में कार्बन से अधिक आयनिक गुण वर्तमान हैं। फिर भी इसके सहसंयोजक गुण प्रधान होते हैं। कभी-कभी चार संयोजकता से अधिक के यौगिक भी मिलते हैं।
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Latest revision as of 06:23, 17 February 2021

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सिलिकॉन (अंग्रेज़ी:Silicon) आवर्त सारणी के चतुर्थ समूह का दूसरा अधातु तत्व है। सिलिकॉन के तीन स्थायी समस्थानिक होते है, जिनके परमाणु भार क्रमश: 28.29 है। यह स्वतंत्र अवस्था में नहीं मिलता।

सिलिकॉन डाई ऑक्साइड अथवा सिलकन को वैज्ञानिक प्राचीन काल से तत्व मानते आए हैं। सर्वप्रथम फ्रांसीसी वैज्ञानिक लेवाजिये ने यह बताया कि यह तत्व न होकर ऑक्साइड यौगिक है। 1823 ई. में स्वीडन के रसायन व बर्जीलियस ने इस तत्व के पोटैशियम सिलिको फ्लोराइड (K2SiF6) का पोटैशियम धातु द्वारा अपचयन कर प्राप्त किया। 1854 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक सांत क्लेर देविल ने इसे विशुद्ध अवस्था में तैयार किया।

उपस्थिति

भूपर्पटी का चौथाई भाग सिलिकॉन है। यह ऑक्सीजन के बाद सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है और संयुक्त अवस्था में प्राय: सभी स्थानों में पाया जाता है। ऑक्सीजन जन से संयुक्त केवल सिलिकॉन डाईऑक्साइड (SiO2) है। रेत अथवा सिलिकेट्स के रूप में पत्थरों, मिट्टी तथा खनिज पदार्थों में सिलिकॉन सर्वदा उपस्थित है। अनेक पौधों तथा पशु शरीर में भी यह मिलता है।

निर्माण

विद्युत भट्ठी में कार्बन द्वारा सिलिकॉन के डाईआक्साइड को अपचन कराकर सिलिकॉन प्राप्त किया जाता है। ऐलुमिनियम, पोटैशियम या जिंक की सिलिकॉन क्लोराइड (SiCl4) पर क्रिया द्वारा भी सिलिकॉन तत्व बनाया गया है। रक्त तप्त टेंटेलम पर सिलिकॉन क्लोराइड के विघटन द्वारा विशुद्ध अवस्था में सिलिकॉन प्राप्त होता है।

गुण

विशुद्ध सिलिकॉन मिलना कठिन है। अन्य तत्वों की सूक्ष्म मात्रा द्वारा इसके गुणों में बहुत अंतर आ जाता है, जिसके कारण विभिन्न विधियों से प्राप्त सिलिकॉन के गुण भिन्न-भिन्न ही मिलते हैं। विशुद्ध सिलिकॉन के कुछ स्थिरांक जैसे संकेत (Si) परमाणु संख्या 14, परमाणु भार 28.086, गलनांक 1410° सें., क्वथनांक 2680° सें., घनत्व 2.33 ग्राम प्रति घ. सेंमी. परमाणु व्यास 1.32 एंगस्ट्राम, विशिष्ट ताप 0.162 कैलोरी और वर्तनांक 4.24 हैं। सिलिकॉन क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय दोनों अवस्थाओं में मिलता है। क्रिस्टल सिलिकॉन में धातु की सी चमक और विद्युत चालकता होती है। यह काँच से भी कठोर है।

सिलिकॉन जल या साधारण अम्लों से प्रभावित नहीं होता। केवल हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल की क्रिया द्वारा फ्लोरोसिलिसिक अम्ल (H2SiF6) बनाता है। उबलते क्षार के विलयन की अभिक्रिया द्वारा सिलिकेट बनता है। फ्लोरीन तथा क्लोरीन गैस सिलिकॉन से शीघ्र किया कर क्रमश: सिलिकॉन फ्लोराइड (SiF4) और सिलिकॉन क्लोराइड (SiCl4) बनाते हैं। उच्च ताप पर ऑक्सीजन, जलवाष्प तथा अनेक धातुएँ सिलिकॉन से अभिक्रिया करती हैं।

सिलिकॉन चतुर्थ समूह का तत्व होने के कारण कार्बन से अनेक गुणों में मिलता-जुलता है। सिलिकॉन परमाणु के बाहरी कक्ष में चार इलेक्ट्रॉन हैं। ये इलेक्ट्रॉन अन्य तत्वों के इलेक्ट्रॉनों से मिलकर चार सहसंयोजक बंध बनाते हैं। इन बंधों में कार्बन से अधिक आयनिक गुण वर्तमान हैं। फिर भी इसके सहसंयोजक बंध बनाते हैं। इस बंधों में कार्बन से अधिक आयनिक गुण वर्तमान हैं। फिर भी इसके सहसंयोजक गुण प्रधान होते हैं। कभी-कभी चार संयोजकता से अधिक के यौगिक भी मिलते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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