निंगोल चकौबा: Difference between revisions
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'''निंगोल चकौबा''' ([[अंग्रेज़ी]]: '' | '''निंगोल चकौबा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ningol Chakouba'') [[मणिपुर]] का सबसे बड़ा और रंगीन त्योहार है। यह मैतेई लोगों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। ‘निंगोल चकौबा’ का अर्थ है महिलाओं को पैतृक घर में भव्य भोज के लिए आमंत्रित करना। ‘निंगोल’ का अर्थ है ‘महिला’ और ‘चकौबा’ का अर्थ है ‘भोजन के लिए बुलाना’। इसलिए यह दिन विवाहिता बेटियों और बहनों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। इसमें सभी उम्र की बहन और बेटियों को आमंत्रित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष [[अक्टूबर]]- [[नवंबर]] माह में इस त्योहार का आयोजन किया जाता है। | ||
==बहन-बेटियों को आमंत्रण== | ==बहन-बेटियों को आमंत्रण== | ||
इस त्योहार में अमीर-गरीब सभी शामिल होते हैं। परंपरा के अनुसार त्योहार के कुछ दिन पहले सभी बहन-बेटियों को औपचारिक रूप से आमंत्रण भेजा जाता है। इस त्योहार के अवसर पर सभी बहन-बेटियाँ अपने [[माता]]-[[पिता]] के घर में कुछ समय बिताती हैं। इस त्योहार में महिलाएं पारंपरिक परिधान और अलंकार धारण कर अपने बच्चों के साथ अपने पैतृक घर में आती हैं, अपने माता-पिता और भाइयों से मिलती हैं और उनके साथ भोजन करती हैं। दूर देश-प्रदेश में रहने वाली महिलाएं भी इस मौके को छोड़ना नहीं चाहती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार में शामिल होने वाली महिलाएं भाग्यशाली होती हैं।<ref name="pp">{{cite web |url=http://www.apnimaati.com/2020/07/blog-post_32.html |title=मणिपुर के पर्व–त्योहार|accessmonthday=28 सितम्बर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=apnimaati.com |language=हिंदी}}</ref> | इस त्योहार में अमीर-गरीब सभी शामिल होते हैं। परंपरा के अनुसार त्योहार के कुछ दिन पहले सभी बहन-बेटियों को औपचारिक रूप से आमंत्रण भेजा जाता है। इस त्योहार के अवसर पर सभी बहन-बेटियाँ अपने [[माता]]-[[पिता]] के घर में कुछ समय बिताती हैं। इस त्योहार में महिलाएं पारंपरिक परिधान और अलंकार धारण कर अपने बच्चों के साथ अपने पैतृक घर में आती हैं, अपने माता-पिता और भाइयों से मिलती हैं और उनके साथ भोजन करती हैं। दूर देश-प्रदेश में रहने वाली महिलाएं भी इस मौके को छोड़ना नहीं चाहती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार में शामिल होने वाली महिलाएं भाग्यशाली होती हैं।<ref name="pp">{{cite web |url=http://www.apnimaati.com/2020/07/blog-post_32.html |title=मणिपुर के पर्व–त्योहार|accessmonthday=28 सितम्बर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=apnimaati.com |language=हिंदी}}</ref> | ||
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निंगोल चकौबा (अंग्रेज़ी: Ningol Chakouba) मणिपुर का सबसे बड़ा और रंगीन त्योहार है। यह मैतेई लोगों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। ‘निंगोल चकौबा’ का अर्थ है महिलाओं को पैतृक घर में भव्य भोज के लिए आमंत्रित करना। ‘निंगोल’ का अर्थ है ‘महिला’ और ‘चकौबा’ का अर्थ है ‘भोजन के लिए बुलाना’। इसलिए यह दिन विवाहिता बेटियों और बहनों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। इसमें सभी उम्र की बहन और बेटियों को आमंत्रित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष अक्टूबर- नवंबर माह में इस त्योहार का आयोजन किया जाता है।
बहन-बेटियों को आमंत्रण
इस त्योहार में अमीर-गरीब सभी शामिल होते हैं। परंपरा के अनुसार त्योहार के कुछ दिन पहले सभी बहन-बेटियों को औपचारिक रूप से आमंत्रण भेजा जाता है। इस त्योहार के अवसर पर सभी बहन-बेटियाँ अपने माता-पिता के घर में कुछ समय बिताती हैं। इस त्योहार में महिलाएं पारंपरिक परिधान और अलंकार धारण कर अपने बच्चों के साथ अपने पैतृक घर में आती हैं, अपने माता-पिता और भाइयों से मिलती हैं और उनके साथ भोजन करती हैं। दूर देश-प्रदेश में रहने वाली महिलाएं भी इस मौके को छोड़ना नहीं चाहती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार में शामिल होने वाली महिलाएं भाग्यशाली होती हैं।[1]
अपने माता-पिता के घर पर महिलाओं को स्वादिष्ट भोजन, उपहार और पूर्ण आराम दिया जाता है। माता-पिता और भाइयों द्वारा अपनी बेटियों और बहनों के लिए सुस्वादु भोजन तैयार किए जाते हैं। माता-पिता, दादा- दादी, भाई आदि घर के सभी सदस्य अपनी निंगोल (बेटियों और बहनों) का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं। पारिवारिक आत्मीयता को पुनर्जीवित करने के लिए इससे बेहतर कोई अवसर नहीं हो सकता है।
परिवार के पुनर्मिलन का उत्सव
परंपरा के अनुसार विवाह के बाद महिला अपने पैतृक घर को भौतिक रूप से तो छोड़ देती है, लेकिन जिस घर में वह पैदा हुई और पली-बढ़ी, उस घर को मन से कभी नहीं छोड़ पाती है। निश्चित रूप से यह त्योहार परिवार के सदस्यों को पुनर्मिलन का अवसर देता है। यह मूल रूप से परिवार के पुनर्मिलन का उत्सव है। इस त्योहार में कई पीढ़ियों के लोग, पुरुष और महिला, युवा और बुजुर्ग मिलते हैं और त्योहार का आनंद लेते हैं। यह त्योहार भाई-बहनों के बीच स्नेह सूत्र को मजबूत बनाता है। भव्य दावत के बाद माता-पिता बेटियों और बहनों को सामान्य उपहार के साथ आशीर्वाद भी देते हैं।[1]
कहा जाता है कि बहन के साथ कभी भी दुर्व्यवहार नही करना चाहिए, क्योंकि भाई की खुशी उसकी बहन की खुशी में निहित है। यह त्योहार पारिवारिक आत्मीयता को पुनर्जीवित करने और रिश्तेदारों के बीच स्नेह का संचार करने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आजकल यह त्योहार पंगल (मणिपुरी मुसलमानों) द्वारा भी मनाया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 मणिपुर के पर्व–त्योहार (हिंदी) apnimaati.com। अभिगमन तिथि: 28 सितम्बर, 2021।
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