सुन्दरलाल बहुगुणा: Difference between revisions
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चित्र:Sundar lal.jpg| | चित्र:Sundar lal.jpg|पुरानी तस्वीर | ||
चित्र:Sundar lal 1.jpg|सुंदरलाल बहुगुणा और गंगोत्री गर्ब्याल | चित्र:Sundar lal 1.jpg|सुंदरलाल बहुगुणा और गंगोत्री गर्ब्याल | ||
चित्र:Sundar lal 2.jpg|पंचा चुली पीक | |||
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सुन्दरलाल बहुगुणा
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पूरा नाम | सुन्दरलाल बहुगुणा |
जन्म | 9 जनवरी, 1927 |
जन्म भूमि | सिलयारा, उत्तराखंड |
पति/पत्नी | विमला नौटियाल |
संतान | राजीव बहुगुणा, माधुरी पाठक, प्रदीप बहुगुणा |
नागरिकता | भारतीय |
शिक्षा | बी.ए., एम.ए. (अपूर्ण) |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मश्री, पद्म विभूषण, राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, राइट लाइव लीहुड पुरस्कार (चिपको आंदोलन), जमनालाल बजाज पुरस्कार और सामाजिक विज्ञान के डॉक्टर की मानद उपाधि आईआईटी रुड़की द्वारा |
विशेष योगदान | चिपको आन्दोलन के प्रमुख नेता |
कार्य क्षेत्र | सामाजिक कार्यकर्ता, गांधीवादी |
अद्यतन | 19:49, 7 जुलाई 2012 (IST)
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सुन्दरलाल बहुगुणा (जन्म- 9 जनवरी, 1927, सिलयारा, उत्तराखंड) प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और 'चिपको आन्दोलन' के प्रमुख नेता थे। इन्हें सन 1984 के राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
जीवन परिचय
सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी, सन 1927 को देवों की भूमि उत्तराखंड के सिलयारा नामक स्थान पर हुआ था। प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से उन्होंने कला स्नातक किया था। अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही 'पर्वतीय नवजीवन मण्डल' की स्थापना भी की। सन 1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी की। दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया। सिलयारा में ही 'पर्वतीय नवजीवन मण्डल' की स्थापना की । 1971 में सुन्दरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए ।
पुरस्कार
[[चित्र:Sundarlal.jpg|thumb|left|प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ सुन्दरलाल बहुगुणा]]
- बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । पर्यावरण को स्थाई सम्पति मानने वाला यह महापुरुष 'पर्यावरण गाँधी' बन गया। अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता के रूप में 1981 में स्टाकहोम का वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार मिला।
- सुन्दरलाल बहुगुणा को सन 1981 में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया जिसे उन्होंने यह कह कर स्वीकार नहीं किया कि जब तक पेड़ों की कटाई जारी है, मैं अपने को इस सम्मान के योग्य नहीं समझता हूँ।
- 1985 में जमनालाल बजाज पुरस्कार।
- रचनात्मक कार्य के लिए सन 1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार,
- 1987 में राइट लाइवलीहुड पुरस्कार (चिपको आंदोलन),
- 1987 में शेर-ए-कश्मीर पुरस्कार
- 1987 में सरस्वती सम्मान
- 1989 सामाजिक विज्ञान के डॉक्टर की मानद उपाधि आईआईटी रुड़की द्वारा
- 1998 में पहल सम्मान
- 1999 में गाँधी सेवा सम्मान
- 2000 में सांसदों के फोरम द्वारा सत्यपाल मित्तल एवार्ड
- सन 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सुन्दरलाल बहुगुणा (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 6 जनवरी, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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पुरानी तस्वीर
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सुंदरलाल बहुगुणा और गंगोत्री गर्ब्याल
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पंचा चुली पीक
संबंधित लेख
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