विशु: Difference between revisions

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Revision as of 07:27, 22 September 2011

[[चित्र:Vishu.jpg|200px|भगवान कृष्ण|thumb]] विशु केरल का प्राचीन उत्सव है। यह केरलवासियों के लिए नववर्ष का दिन है। यह मलयालम महीने मेष की पहली तिथि को मनाया जाता है। केरल में विशु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरू होता है। इस दिन को यहाँ "मलयाली न्यू ईयर विशु" के नाम से पुकारा जाता है।

पूजा

मलयालम समाज में इस दिन मंदिरो में विशुक्कणी के दर्शन कर समाज के लिये नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। केरल में विशु उत्सव पर पारंपरिक नृ्त्य गान के साथ आतिशबाज़ी का आनन्द लिया जाता है। इस दिन विशेषकर अय्यापा मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। विशु यानी भगवान "श्री कृष्ण" और कणी यानी "टोकरी"। विशु पर्व पर भगवान श्री कृष्ण को टोकरी में रखकर उसमें कटहल, कद्दू, पीले फूल, कांच, नारियल और अन्य चीज़ों से सजाया जाता है। इस दिन सबसे पहले घर का मुखिया आँखें बंद कर विशुक्कणी के दर्शन करता है। कई जगहों पर घर के मुखिया से पहले बच्चों को देव विशुक्कणी के दर्शन कराये जाते हैं। नव वर्ष के दिन सबसे पहले देव के दर्शन करने का उद्देश्य अपने पूरे वर्ष को शुभ करने से जुड़ा हुआ है। पूजा अर्चना का सामान|thumb

विशुक्कणी

केरल में विशुक्कणी अथवा शुभ दृश्य के अवलोकन की प्रथा नव वर्ष उत्सव का महत्त्वपूर्ण भाग होता है। समृद्धि के सूचक जैसे अक्षत, नया परिधान, स्वर्ण, खीरा, ताम्बूल पत्र, सुपारी, दर्पण, अमलतास, शास्त्र और मुद्रा, कांस्य धातु के बर्तन ‘उरुली’ में रखे जाते हैं जिसे ‘विशुक्कणी’ कहते हैं। विशुक्कणी की व्यवस्था परिवार के सबसे बड़े सदस्य द्वारा विशु की पूर्व रात्रि में की जाती है। मलयाली लोगों का विश्वास है कि सुबह आँख खुलते ही सबसे पहले इसे देखने से साल भर परिवार में संपन्नता बनी रहती है। दिया, नारियल, सिक्के और पीले फूल भी शुभ वस्तुओं में गिने जाते हैं। इस त्यौहार की मुख्य विशेषता कई तरह का स्वादिष्ट खाना है जिसमें अधिकांश मौसमी सब्जियों और फलों जैसे ककड़ी, आम और कटहल आदि को शामिल किया जाता है।

विशुकैनीतम

विशु उत्सव पर लोग ‘कोडी वस्त्रम’ या नया वस्त्र धारण करते हैं। परिवार के वयोवृद्ध सदस्य इस दिन उन्हें मुद्रा और मिष्ठान बाँटते हैं जो इनसे आशीर्वाद माँगने आते हैं। इसे ‘विशुकैनीतम’ कहते हैं। बच्चे इस परम्परा को पसन्द करते हैं और पैसे एकत्र करने के लिए बड़ों के पास जाते हैं। इसे वे ‘विशुवेला’ के मेले में खाने-पीने और आनन्द मनाने में खर्च करते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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