राधेश्याम रामायण: Difference between revisions

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राधेश्याम रामायण की रचना प्रसिद्ध नाटककार राधेश्याम कथावाचक ने की थी। इस रामायण में श्रीराम की कथा का वर्णन बड़े ही मनोहारी ढँग से किया गया है। राधेश्याम रामायण में 8 काण्ड तथा 25 भाग हैं।

हिन्दी, उर्दू, अवधी और ब्रजभाषा के आम शब्दों के अलावा एक विशेष गायन शैली में रचित 'राधेश्याम रामायण' गाँव, कस्बा और शहरी क्षेत्र के धार्मिक लोगों में इतनी लोकप्रिय हुई कि राधेश्याम कथावाचक के जीवन काल में ही इस ग्रन्थ की हिन्दी व उर्दू में पौने दो करोड़ से अधिक प्रतियाँ छपीं और बिकीं।

राधेश्याम रामायण
क्र.सं. काण्ड कुल भाग संख्या भाग का नाम
1. बालकाण्ड 4 1. जन्म

2. पुष्प-वाटिका
3. धनुष-यग्य
4. विवाह

2. अयोध्याकाण्ड 5 5. दशरथ का प्रतिज्ञा-पालन

6. कौशल्या माता से विदाई
7. वन-यात्रा
8. सूनी-अयोध्या
9. चित्रकूट में भरत-मिलाप

3. अरण्यकाण्ड 2 10. पंचवटी

11. सीता-हरण

4. किष्किन्धाकाण्ड 1 12. राम-सुग्रीव की मित्रता
5. सुन्दरकाण्ड 3 13. अशोक-वाटिका

14. लंका-दहन
15. विभीषण की शरणागति

6. लंकाकाण्ड 5 16. अंगद-रावण का सम्वाद

17. मेघनाद का शक्ति-प्रयोग
18. सती-सुलोचना
19. अहिरावण-वध
20. रावण-वध

7. उत्तरकाण्ड 1 21. राज-तिलक
8. लव-कुश काण्ड 4 22. सीता-बनवास

23. रामाश्वमेघ
24. लव-कुश की वीरता
25. सतवन्ती सीता की विजय


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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