अत-तारिक़

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:50, 20 December 2014 by आरिफ़ बेग (talk | contribs) (''''अल-तारिक़''' इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ क़ुरआन क...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

अल-तारिक़ इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ क़ुरआन का 86वाँ सूरा (अध्याय) है जिसमें 17 आयतें होती हैं।
86:1- आसमान और रात को आने वाले की क़सम।
86:2- और तुमको क्या मालूम रात को आने वाला क्या है।
86:3- (वह) चमकता हुआ तारा है।
86:4- (इस बात की क़सम) कि कोई शख़्श ऐसा नहीं जिस पर निगेहबान मुक़र्रर नहीं।
86:5- तो इन्सान को देखना चाहिए कि वह किस चीज़ से पैदा हुआ हैं।
86:6- वह उछलते हुए पानी (मनी) से पैदा हुआ है।
86:7- जो पीठ और सीने की हड्डियों के बीच में से निकलता है।
86:8- बेशक ख़ुदा उसके दोबारा (पैदा) करने पर ज़रूर कुदरत रखता है।
86:9- जिस दिन दिलों के भेद जाँचे जाएँगे।
86:10- तो (उस दिन) उसका न कुछ ज़ोर चलेगा और न कोई मददगार होगा।
86:11- चक्कर (खाने) वाले आसमान की क़सम।
86:12- और फटने वाली (ज़मीन की क़सम)।
86:13- बेशक ये क़ुरान क़ौले फ़ैसल है।
86:14- और लग़ो नहीं है।
86:15- बेशक ये कुफ्फ़ार अपनी तदबीर कर रहे हैं।
86:16- और मैं अपनी तद्बीर कर रहा हूँ।
86:17- तो काफ़िरों को मोहलत दो बस उनको थोड़ी सी मोहलत दो।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः