बेरिलियम: Difference between revisions
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रासायनिक अभिक्रियाओं में बेरिलियम की समानता [[मैग्नीशियम]] तथा ऐल्यूमिनियम दोनों से है। इस कारण इस समानता को विकर्ण सममिति कहते हैं। बेरिलियम में मैग्नीशियम से कम, परंतु ऐल्युमिनियम से अधिक, धातु गुण हैं। ऐल्यूमिनियम की भाँति बेरिलियम को वायु में गर्म करने पर, उसकी सतह पर [[ऑक्साइड]] की पतली परत जम जाती है, जो [[ऑक्सीजन]] के अधिक आक्रमण को रोकती है। बेरिलिय धातु [[अम्ल|अम्लों]] द्वारा घुल जाती है, परंतु उसके [[लवण]] शीघ्र जलविश्लेषित होते हैं। बेरिलियम धातु [[हैलोजन]] तत्वों से उच्च [[ताप]] पर अभिक्रिया कर, [[यौगिक]] बनाती है। 1,200 °सें. ताप पर बेरिलियम [[कार्बन]] और [[नाइट्रोजन]] से अभिक्रिया करता है। | रासायनिक अभिक्रियाओं में बेरिलियम की समानता [[मैग्नीशियम]] तथा ऐल्यूमिनियम दोनों से है। इस कारण इस समानता को विकर्ण सममिति कहते हैं। बेरिलियम में मैग्नीशियम से कम, परंतु ऐल्युमिनियम से अधिक, धातु गुण हैं। ऐल्यूमिनियम की भाँति बेरिलियम को वायु में गर्म करने पर, उसकी सतह पर [[ऑक्साइड]] की पतली परत जम जाती है, जो [[ऑक्सीजन]] के अधिक आक्रमण को रोकती है। बेरिलिय धातु [[अम्ल|अम्लों]] द्वारा घुल जाती है, परंतु उसके [[लवण]] शीघ्र जलविश्लेषित होते हैं। बेरिलियम धातु [[हैलोजन]] तत्वों से उच्च [[ताप]] पर अभिक्रिया कर, [[यौगिक]] बनाती है। 1,200 °सें. ताप पर बेरिलियम [[कार्बन]] और [[नाइट्रोजन]] से अभिक्रिया करता है। | ||
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बेरिलियम (अंग्रेज़ी:Beryllium) आवर्त सारणी के द्वितीय समूह का पहला तत्व है। बेरिलियम का केवल एक स्थिर समस्थानिक पाया गया है, जिसकी द्रव्यमान संख्या 9 है, परंतु द्रव्यमान संख्या 7, 8 और 10 वाले अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधियों से निर्मित हुए हैं। पन्ना और बेरूज बेरिलियम के यौगिक हैं, जो पुरातन काल से रत्न के रूप में अपनाए गए हैं। अनेकों ऐसे खनिज पदार्थ ज्ञात हैं, जिनमें बेरिलियम संयुक्त अवस्था में रहता है। अन्य स्रोतों से बेरिलियम प्राप्त करना बहुत मँहगा पड़ता है।
बेरिलियम की खोज
1798 ई. में सर्वप्रथम वोक्लैं ने बेरिलियम को बेरिल अयस्क से पृथक् किया, जिसके आधार पर इसका नाम बेरिलियम रखा गया था। बेरिलियम के विलेय लवण मीठे स्वाद के होते हैं। इस कारण बेरिलियम का नाम ग्लुसिनम भी रखा गया था, परंतु अब यह नाम लुप्त हो गया है। 1828 ई. में सर्वप्रथम वलर ने बेरिलियम धातु तैयार की।
निर्माण
सर्वप्रथम बेरिल अयस्क को कैल्सियम अथवा सोडियम कार्बोनेट, के साथ संगलित करते हैं। तत्पश्चात् सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ उच्च ताप पर गर्म जल में घुलाते हैं। विलयन से ऐलुमिनियम को अमोनियम एलम के रूप में क्रिस्टलीकृत किया जाता है। बचे विलयन से बेरिलियम सल्फेट के क्रिस्टल प्राप्त हो जाएँगे, जिसे जलाने पर बेरिलियम ऑक्साइड प्राप्त होगा।
गुण
बेरिलियम हल्की, चमकदार, श्वेत रंग की कठोर धातु है। बेरिलियम में इस्पात की सी प्रत्यास्थता है। बेरिलियम में एक्स विकिरण ऐल्यूमिनियम से 17 गुना अधिक प्रवेश कर सकता है। बेरिलियम धातु में ध्वनि का वेग इस्पात से ढाई गुना अधिक (12,600 मीटर प्रति सेकंड) है। इसके कुछ भौतिक स्थिरांक निम्नांकित हैं :
बेरिलियम के संकेत Be, परमाणु संख्या 4, परमाणु भार 9.012, गलनांक 1,280° सें., क्वथनांक 2,770° सें. घनत्व 1.86 ग्राम प्रति घ.सेंमी., परमाणु व्यास 2.25 ऐंग्स्ट्रॉम (A°), विद्युत प्रतिरोधकता 5.88 माइक्रोओम सेंमी. तथा आयनीकरण विभव 9.320 इवो. है।
रासायनिक अभिक्रियाओं में बेरिलियम की समानता मैग्नीशियम तथा ऐल्यूमिनियम दोनों से है। इस कारण इस समानता को विकर्ण सममिति कहते हैं। बेरिलियम में मैग्नीशियम से कम, परंतु ऐल्युमिनियम से अधिक, धातु गुण हैं। ऐल्यूमिनियम की भाँति बेरिलियम को वायु में गर्म करने पर, उसकी सतह पर ऑक्साइड की पतली परत जम जाती है, जो ऑक्सीजन के अधिक आक्रमण को रोकती है। बेरिलिय धातु अम्लों द्वारा घुल जाती है, परंतु उसके लवण शीघ्र जलविश्लेषित होते हैं। बेरिलियम धातु हैलोजन तत्वों से उच्च ताप पर अभिक्रिया कर, यौगिक बनाती है। 1,200 °सें. ताप पर बेरिलियम कार्बन और नाइट्रोजन से अभिक्रिया करता है।
उपयोग
- एक्स-रे उपकरणों में बेरिलियम के गवाक्ष प्रयुक्त हो रहे हैं।
- बेरिलियम से वायुयानों के कारबुरेटर, फ्लूरोसेण्ट, टयूब्स, निऑन सिग्रल्स, साइक्लोट्रान तथा विस्फोटक पदार्थ भी बनाये जाते हैं।
- बेरिलियम का सर्वाधिक उपयोग मिश्रधातुओं के निर्माण में किया जाता है।
- जंगरोधी इस्पात में 1 प्रतिशत बेरिलियम की सूक्ष्म मात्रा मिलाने पर, उससे बना हुआ स्प्रिंग अत्यंत कठोर हो जाता है। बेरिलियम-ताम्र मिश्रधातु का स्प्रिंग बनाने में बहुत उपयोग हो रहा है। यह स्प्रिंग संक्षारण प्रतिरोधी तथा टिकाऊ होता है। अन्य धातुओं में बेरिलियम की सूक्ष्म मात्रा (0.005 प्रतिशत) मिलाने पर, वे ऑक्सीकरण प्रतिरोधी हो जाते हैं।
प्राप्ति स्थान
बेरीलियम की प्राप्ति आग्नेय चट्टानों से होती हैं। भारत में ऐसा बेरिल, जो बेरिलियम निर्माण के लिए उत्तम सिद्ध हुआ है, अजमेर, बिहार राज्य तथा तमिलनाडु राज्य में मिलता है।
बेरिलियम की प्राप्ति के प्रमुख क्षेत्र हैं- झारखण्ड में हज़ारीबाग़, कोडरमा तथा, बिहार में गया ज़िले के क्षेत्र, राजस्थान में उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा अजमेर ज़िले, आंध्र प्रदेश का नेल्लौर तथा तमिलनाडु का कोयम्बटूर ज़िला।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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