मोलिब्डेनम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(2 intermediate revisions by one other user not shown)
Line 4: Line 4:
|name=मोलिब्डेनम
|name=मोलिब्डेनम
|pronounce=
|pronounce=
|left=[[काशातु]]  
|left=[[नियोबियम]]  
|right=[[चेष्टातु]]  
|right=[[टेक्निशियम]]  
|above=[[वर्णातु]]  
|above=[[क्रोमियम|Cr]]  
|below=[[चण्डातु]]  
|below=[[टंग्स्टन|W]]  
|hindi name=संवर्णातु
|series= [[संक्रमण धातु]]
|series= [[संक्रमण धातु]]
|group=6  
|group=6  
Line 78: Line 79:
|isotopes comment=
|isotopes comment=
}}
}}
'''संवर्णातु''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:मोलिब्डेनम) [[आवर्त सारणी]] के छठे संक्रमण समूह का [[तत्व]] है। इसके सात स्थिर [[समस्थानिक]] पाए जाते हैं, जिनकी [[द्रव्यमान संख्या]] 92, 94, 95, 96, 97, 98 और 100 है। इनके अतिरिक्त द्रव्यमान संख्या 93, 99, 101 और 105 के अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधि से निर्मित हुए हैं। इसके अयस्क मोलिब्डेनाइट को बहुत काल तक भूल से ग्रैफाइट समझा गया । सन्‌ 1778 में शीले ने इस अयस्क से मोलिब्डिक अम्ल बनाया। सन्‌ 1782 में येल्म ने मोलिब्डेनम ऑक्साइड का [[कार्बन]] द्वारा अपचयन कर संवर्णातु घातु तैयार की।
'''मोलिब्डेनम''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Molybdenum) [[आवर्त सारणी]] के छठे संक्रमण समूह का [[तत्व]] है। मोलिब्डेनम का [[हिन्दी]] नाम 'संवर्णातु' है। इसके सात स्थिर [[समस्थानिक]] पाए जाते हैं, जिनकी [[द्रव्यमान संख्या]] 92, 94, 95, 96, 97, 98 और 100 है। इनके अतिरिक्त द्रव्यमान संख्या 93, 99, 101 और 105 के अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधि से निर्मित हुए हैं। इसके अयस्क मोलिब्डेनाइट को बहुत काल तक भूल से ग्रैफाइट समझा गया । सन्‌ 1778 में शीले ने इस अयस्क से मोलिब्डिक अम्ल बनाया। सन्‌ 1782 में येल्म ने मोलिब्डेनम ऑक्साइड का [[कार्बन]] द्वारा अपचयन कर मोलिब्डेनम घातु तैयार की।
==निर्माण==
==निर्माण==
मोलिब्डेनाइट अयस्क को तेल प्लवन विधि द्वारा सांद्रित करते हैं। अयस्क को वायु में भून कर अथवा सोडियम कार्बोनेट के साथ संगलित कर, मोलिब्डेनम ऑक्साइड (MoO3) बनाते हैं। प्राप्त मोलिबडेनम ऑक्साइड का [[उदजन]] अथवा कार्बन द्वारा अपचयन कर चूर्ण धातु तैयार की जाती है। चूर्ण को दबाकर दंड बनाए जाते हैं। दंडों को हाइड्रोजन के वातावरण में रखकर, इनमें प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर इनका [[ताप]] बढ़ता है, जिससे सघन घातवर्ध्य गुणवाली धातु बन जाती है।
मोलिब्डेनाइट अयस्क को तेल प्लवन विधि द्वारा सांद्रित करते हैं। अयस्क को वायु में भून कर अथवा सोडियम कार्बोनेट के साथ संगलित कर, मोलिब्डेनम ऑक्साइड (MoO3) बनाते हैं। प्राप्त मोलिबडेनम ऑक्साइड का [[हाइड्रोजन]] अथवा कार्बन द्वारा अपचयन कर चूर्ण धातु तैयार की जाती है। चूर्ण को दबाकर दंड बनाए जाते हैं। दंडों को हाइड्रोजन के वातावरण में रखकर, इनमें प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर इनका [[ताप]] बढ़ता है, जिससे सघन घातवर्ध्य गुणवाली धातु बन जाती है।


==गुणधर्म==
==गुणधर्म==
चूर्ण संवर्णातु मटमैले रंग का होता है, परंतु सघन धातु चमकदार [[श्वेत रंग]] लिए रहती है। यद्यपि यह कठोर धातु हैं, तथापि इसपर पालिश की जा सकती है। इसका संकेत Mo, [[परमाणु संख्या]] 42, [[परमाणु भार]] 95.94, [[गलनांक]] 2,600° सें., [[क्वथनांक]] 4,800°, [[घनत्व]] 10.2 ग्राम प्रति घन सेंमी., परमाणु व्यास 2.8 A° विद्युत्‌ प्रतिरोधकता 5.17 माइक्रोओह्म सेंमी. तथा आयनन भिव 7.13 इवों है।
चूर्ण मोलिब्डेनम मटमैले रंग का होता है, परंतु सघन धातु चमकदार [[श्वेत रंग]] लिए रहती है। यद्यपि यह कठोर धातु हैं, तथापि इसपर पालिश की जा सकती है। इसका संकेत Mo, [[परमाणु संख्या]] 42, [[परमाणु भार]] 95.94, [[गलनांक]] 2,600° सें., [[क्वथनांक]] 4,800°, [[घनत्व]] 10.2 ग्राम प्रति घन सेंमी., परमाणु व्यास 2.8 A° विद्युत्‌ प्रतिरोधकता 5.17 माइक्रोओह्म सेंमी. तथा आयनन भिव 7.13 इवों है।


==उपयोग==
==उपयोग==
*संवर्णातु विशेष प्रकार के इस्पात बनाने में प्रयोग किया जाने वाला मुलायम एवं [[भूरा रंग|भूरे रंग]] का खनिज है।
*मोलिब्डेनम विशेष प्रकार के इस्पात बनाने में प्रयोग किया जाने वाला मुलायम एवं [[भूरा रंग|भूरे रंग]] का खनिज है।
*संवर्णातु का मुख्य उपयोग [[इस्पात]] उद्योग में है। तोप, ढाल, मोटी चादों आदि के इस्पात में संवर्णातु मिला रहता है, क्योंकि इसकी न्यून मात्रा भी इस्पात को शक्ति और कठोरता प्रदान करती है। कुछ अधिक मात्रा में मिलाने पर इस्पात अपनी कठोरता को उच्च [[ताप]] पर भी स्थिर रखता है।  
*मोलिब्डेनम का मुख्य उपयोग [[इस्पात]] उद्योग में है। तोप, ढाल, मोटी चादों आदि के इस्पात में मोलिब्डेंनम मिला रहता है, क्योंकि इसकी न्यून मात्रा भी इस्पात को शक्ति और कठोरता प्रदान करती है। कुछ अधिक मात्रा में मिलाने पर इस्पात अपनी कठोरता को उच्च [[ताप]] पर भी स्थिर रखता है।  
*विशुद्ध संवर्णातु बिजली के बल्बों के तंतु और रेडियों वाल्वों के आधार में उपयोगी है।  
*विशुद्ध मोलिब्डेनम बिजली के बल्बों के तंतु और रेडियों वाल्वों के आधार में उपयोगी है।  
*[[चण्डातु]] के साथ थोड़ी मात्रा में मिलाने पर बिजली के अच्छे तापदीप्त तंतु बनते हैं।
*[[टंग्स्टन]] के साथ थोड़ी मात्रा में मिलाने पर बिजली के अच्छे तापदीप्त तंतु बनते हैं।
==प्राप्ति स्थान==
==प्राप्ति स्थान==
संवर्णातु मोलिब्डेनाइट नामक अयस्क से प्राप्त होता है। इसकी प्राप्ति के प्रमुख स्थल हैं- [[आन्ध्र प्रदेश]] में गोदावरी ज़िले का जीदीगप्पा क्षेत्र एवं [[करीमनगर ज़िला|करीमनगर]] तथा मेडक ज़िले, [[तमिलनाडु]] में [[कन्याकुमारी ज़िला|कन्याकुमारी ज़िले]] का अरुमनाल्लूर क्षेत्र एवं [[मदुरई ज़िला|मदुरई ज़िले]] की सिरुमलाई पहाड़ियाँ, [[मेघालय]] में चेरापूँजी का समीपवर्ती क्षेत्र, [[झारखण्ड]] में [[हज़ारीबाग़ ज़िला|हज़ारीबाग़ ज़िले]] के ऊपरी, महाबाग तथा बारागुंडी क्षेत्र, [[राजस्थान]] में [[किशनगढ़]] के समीप मनडोरिया तथा [[कर्नाटक]] का [[बैंगलोर ज़िला]]।
मोलिब्डेनम मोलिब्डेनाइट नामक अयस्क से प्राप्त होता है। इसकी प्राप्ति के प्रमुख स्थल हैं- [[आन्ध्र प्रदेश]] में गोदावरी ज़िले का जीदीगप्पा क्षेत्र एवं [[करीमनगर ज़िला|करीमनगर]] तथा मेडक ज़िले, [[तमिलनाडु]] में [[कन्याकुमारी ज़िला|कन्याकुमारी ज़िले]] का अरुमनाल्लूर क्षेत्र एवं [[मदुरई ज़िला|मदुरई ज़िले]] की सिरुमलाई पहाड़ियाँ, [[मेघालय]] में चेरापूँजी का समीपवर्ती क्षेत्र, [[झारखण्ड]] में [[हज़ारीबाग़ ज़िला|हज़ारीबाग़ ज़िले]] के ऊपरी, महाबाग तथा बारागुंडी क्षेत्र, [[राजस्थान]] में [[किशनगढ़]] के समीप मनडोरिया तथा [[कर्नाटक]] का [[बैंगलोर ज़िला]]।
 
 
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारतीय आवर्त सारणी}}
{{आवर्त सारणी}}{{रसायन विज्ञान}}
{{आवर्त सारणी}}
[[Category:रसायन विज्ञान]]
[[Category:रसायन विज्ञान]]
[[Category:रासायनिक तत्त्व]]
[[Category:संक्रमण तत्त्व]]
[[Category:विज्ञान_कोश]]
[[Category:विज्ञान_कोश]]
[[Category:रासायनिक तत्त्व]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 07:55, 16 February 2021

  1. REDIRECTसाँचा:Infobox element

मोलिब्डेनम (अंग्रेज़ी:Molybdenum) आवर्त सारणी के छठे संक्रमण समूह का तत्व है। मोलिब्डेनम का हिन्दी नाम 'संवर्णातु' है। इसके सात स्थिर समस्थानिक पाए जाते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 92, 94, 95, 96, 97, 98 और 100 है। इनके अतिरिक्त द्रव्यमान संख्या 93, 99, 101 और 105 के अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधि से निर्मित हुए हैं। इसके अयस्क मोलिब्डेनाइट को बहुत काल तक भूल से ग्रैफाइट समझा गया । सन्‌ 1778 में शीले ने इस अयस्क से मोलिब्डिक अम्ल बनाया। सन्‌ 1782 में येल्म ने मोलिब्डेनम ऑक्साइड का कार्बन द्वारा अपचयन कर मोलिब्डेनम घातु तैयार की।

निर्माण

मोलिब्डेनाइट अयस्क को तेल प्लवन विधि द्वारा सांद्रित करते हैं। अयस्क को वायु में भून कर अथवा सोडियम कार्बोनेट के साथ संगलित कर, मोलिब्डेनम ऑक्साइड (MoO3) बनाते हैं। प्राप्त मोलिबडेनम ऑक्साइड का हाइड्रोजन अथवा कार्बन द्वारा अपचयन कर चूर्ण धातु तैयार की जाती है। चूर्ण को दबाकर दंड बनाए जाते हैं। दंडों को हाइड्रोजन के वातावरण में रखकर, इनमें प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर इनका ताप बढ़ता है, जिससे सघन घातवर्ध्य गुणवाली धातु बन जाती है।

गुणधर्म

चूर्ण मोलिब्डेनम मटमैले रंग का होता है, परंतु सघन धातु चमकदार श्वेत रंग लिए रहती है। यद्यपि यह कठोर धातु हैं, तथापि इसपर पालिश की जा सकती है। इसका संकेत Mo, परमाणु संख्या 42, परमाणु भार 95.94, गलनांक 2,600° सें., क्वथनांक 4,800°, घनत्व 10.2 ग्राम प्रति घन सेंमी., परमाणु व्यास 2.8 A° विद्युत्‌ प्रतिरोधकता 5.17 माइक्रोओह्म सेंमी. तथा आयनन भिव 7.13 इवों है।

उपयोग

  • मोलिब्डेनम विशेष प्रकार के इस्पात बनाने में प्रयोग किया जाने वाला मुलायम एवं भूरे रंग का खनिज है।
  • मोलिब्डेनम का मुख्य उपयोग इस्पात उद्योग में है। तोप, ढाल, मोटी चादों आदि के इस्पात में मोलिब्डेंनम मिला रहता है, क्योंकि इसकी न्यून मात्रा भी इस्पात को शक्ति और कठोरता प्रदान करती है। कुछ अधिक मात्रा में मिलाने पर इस्पात अपनी कठोरता को उच्च ताप पर भी स्थिर रखता है।
  • विशुद्ध मोलिब्डेनम बिजली के बल्बों के तंतु और रेडियों वाल्वों के आधार में उपयोगी है।
  • टंग्स्टन के साथ थोड़ी मात्रा में मिलाने पर बिजली के अच्छे तापदीप्त तंतु बनते हैं।

प्राप्ति स्थान

मोलिब्डेनम मोलिब्डेनाइट नामक अयस्क से प्राप्त होता है। इसकी प्राप्ति के प्रमुख स्थल हैं- आन्ध्र प्रदेश में गोदावरी ज़िले का जीदीगप्पा क्षेत्र एवं करीमनगर तथा मेडक ज़िले, तमिलनाडु में कन्याकुमारी ज़िले का अरुमनाल्लूर क्षेत्र एवं मदुरई ज़िले की सिरुमलाई पहाड़ियाँ, मेघालय में चेरापूँजी का समीपवर्ती क्षेत्र, झारखण्ड में हज़ारीबाग़ ज़िले के ऊपरी, महाबाग तथा बारागुंडी क्षेत्र, राजस्थान में किशनगढ़ के समीप मनडोरिया तथा कर्नाटक का बैंगलोर ज़िला


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख