माघ स्नान: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (1 अवतरण)
No edit summary
Line 1: Line 1:
==माघ स्नान / Maagh Snan==
==माघ स्नान / Maagh Snan==
यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर माघ की पूर्णिमा तक होता है अर्थात पौष शुक्ल पूर्णिमा माघ स्नान की आरम्भिक तिथि है। पूरा माघ [[प्रयाग]] में कल्पवास करके त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन 'माघ पूर्णिमा' ही है। माघ पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। स्नान पर्वों का यह अंतिम प्रतीक है। इस पर्व में [[यज्ञ]]], तप तथा दान का विशेष महत्व है। इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान [[विष्णु]] का पूजन, पितरों का [[श्राद्ध]] और भिखारियों को दान करने का विशेष फल है। निर्धनों को भोजन, वस्त्र, तिल, कम्बल, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न, पादुका आदि का दान करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराने का माहात्म्य व्रत करने से ही होता है। इस दिन [[गंगा]] स्नान करने से मनुष्य की भवबाधाएं कट जाती हैं।
यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर माघ की पूर्णिमा तक होता है अर्थात पौष शुक्ल पूर्णिमा माघ स्नान की आरम्भिक तिथि है। पूरा माघ [[प्रयाग]] में कल्पवास करके त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन 'माघ पूर्णिमा' ही है। माघ पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। स्नान पर्वों का यह अंतिम प्रतीक है। इस पर्व में [[यज्ञ]]], तप तथा दान का विशेष महत्व है। इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान [[विष्णु]] का पूजन, पितरों का [[श्राद्ध]] और भिखारियों को दान करने का विशेष फल है। निर्धनों को भोजन, वस्त्र, तिल, कम्बल, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न, पादुका आदि का दान करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराने का माहात्म्य व्रत करने से ही होता है। इस दिन [[गंगा]] स्नान करने से मनुष्य की भवबाधाएं कट जाती हैं।
Line 5: Line 4:
माघ मास में प्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, तालाब, कुआं, बावड़ी आदि के शुद्ध जल से स्नान करके भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए। पूरे माघ मास भगवान [[मधुसूदन]] की प्रसन्नता के लिए नित्य ब्राह्मण को भोजन कराना, दक्षिणा देना अथवा मगद के लड्डू जिसके अंदर स्वर्ण या रजत छिपा दी जाती है, प्रतिदिन स्नान करके ब्राह्मणों को देना चाहिए। इस मास में काले तिलों से हवन और काले तिलों से ही पितरों का तर्पण करना चाहिए। [[मकर संक्राति]] के समान ही तिल के दान का इस माह में विशेष महत्व माना जाता है। माघ स्नान करने वाले पर भगवान माधव प्रसन्न रहते हैं तथा उसे सुख-सौभाग्य, धन-संतान तथा स्वर्गादि उत्तम लोकों में निवास तथा देव विमानों में विहार का अधिकार देते हैं। यह माघ स्नान परम पुण्यशाली व्यक्ति को ही कृपा अनुग्रह से प्राप्त होता है। माघ स्नान का संपूर्ण विधान वैशाख मास के स्नान के समान ही होता है। [[सूर्य]] को अर्घ्य देते समय मन्त्र को बोलना चाहिए-
माघ मास में प्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, तालाब, कुआं, बावड़ी आदि के शुद्ध जल से स्नान करके भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए। पूरे माघ मास भगवान [[मधुसूदन]] की प्रसन्नता के लिए नित्य ब्राह्मण को भोजन कराना, दक्षिणा देना अथवा मगद के लड्डू जिसके अंदर स्वर्ण या रजत छिपा दी जाती है, प्रतिदिन स्नान करके ब्राह्मणों को देना चाहिए। इस मास में काले तिलों से हवन और काले तिलों से ही पितरों का तर्पण करना चाहिए। [[मकर संक्राति]] के समान ही तिल के दान का इस माह में विशेष महत्व माना जाता है। माघ स्नान करने वाले पर भगवान माधव प्रसन्न रहते हैं तथा उसे सुख-सौभाग्य, धन-संतान तथा स्वर्गादि उत्तम लोकों में निवास तथा देव विमानों में विहार का अधिकार देते हैं। यह माघ स्नान परम पुण्यशाली व्यक्ति को ही कृपा अनुग्रह से प्राप्त होता है। माघ स्नान का संपूर्ण विधान वैशाख मास के स्नान के समान ही होता है। [[सूर्य]] को अर्घ्य देते समय मन्त्र को बोलना चाहिए-


<poem>
<blockquote><poem>
'ज्योति धाम सविता प्रबल, तुमरे तेज प्रताप।
'ज्योति धाम सविता प्रबल, तुमरे तेज प्रताप।
छार-छार है जल बहै, जनम-जनम गम पाप॥'
छार-छार है जल बहै, जनम-जनम गम पाप॥'
</poem>
</poem></blockquote>


<br />
==अन्य लिंक==
{{साँचा:पर्व और त्योहार}}
{{साँचा:पर्व और त्योहार}}
[[Category:संस्कृति कोश]]
[[Category:संस्कृति कोश]]
[[Category:पर्व और त्योहार]]
[[Category:पर्व और त्योहार]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 08:15, 27 March 2010

माघ स्नान / Maagh Snan

यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर माघ की पूर्णिमा तक होता है अर्थात पौष शुक्ल पूर्णिमा माघ स्नान की आरम्भिक तिथि है। पूरा माघ प्रयाग में कल्पवास करके त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन 'माघ पूर्णिमा' ही है। माघ पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। स्नान पर्वों का यह अंतिम प्रतीक है। इस पर्व में यज्ञ], तप तथा दान का विशेष महत्व है। इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का पूजन, पितरों का श्राद्ध और भिखारियों को दान करने का विशेष फल है। निर्धनों को भोजन, वस्त्र, तिल, कम्बल, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न, पादुका आदि का दान करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराने का माहात्म्य व्रत करने से ही होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य की भवबाधाएं कट जाती हैं।

माघ मास में प्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, तालाब, कुआं, बावड़ी आदि के शुद्ध जल से स्नान करके भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए। पूरे माघ मास भगवान मधुसूदन की प्रसन्नता के लिए नित्य ब्राह्मण को भोजन कराना, दक्षिणा देना अथवा मगद के लड्डू जिसके अंदर स्वर्ण या रजत छिपा दी जाती है, प्रतिदिन स्नान करके ब्राह्मणों को देना चाहिए। इस मास में काले तिलों से हवन और काले तिलों से ही पितरों का तर्पण करना चाहिए। मकर संक्राति के समान ही तिल के दान का इस माह में विशेष महत्व माना जाता है। माघ स्नान करने वाले पर भगवान माधव प्रसन्न रहते हैं तथा उसे सुख-सौभाग्य, धन-संतान तथा स्वर्गादि उत्तम लोकों में निवास तथा देव विमानों में विहार का अधिकार देते हैं। यह माघ स्नान परम पुण्यशाली व्यक्ति को ही कृपा अनुग्रह से प्राप्त होता है। माघ स्नान का संपूर्ण विधान वैशाख मास के स्नान के समान ही होता है। सूर्य को अर्घ्य देते समय मन्त्र को बोलना चाहिए-

'ज्योति धाम सविता प्रबल, तुमरे तेज प्रताप।
छार-छार है जल बहै, जनम-जनम गम पाप॥'

अन्य लिंक

Template:साँचा:पर्व और त्योहार