गंगा दशहरा: Difference between revisions
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Revision as of 06:55, 29 June 2010
[[चित्र:Haridwar.jpg|गंगा नदी, हरिद्वार
Ganga River, Haridwar|thumb]]
गंगा दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। स्कन्द पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान और दान तो विशेष करके करें। किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पूजादिक) एवम् तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) अवश्य करें। ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है। ज्येष्ठ शु0 10 को गंगावतरण का दिन मन्दिरों एवं सरोवरों में स्नान कर पवित्रता के साथ मनाया जाता है। इस दिन मथुरा में पतंगबाजी का विशेष आयोजन होता है।
सबसे पवित्र नदी गंगा के पृथ्वी पर आने का पर्व है- गंगा दशहरा। मनुष्यों को मुक्ति देने वाली गंगा नदी अतुलनीय हैं। संपूर्ण विश्व में इसे सबसे पवित्र नदी माना जाता है। राजा भगीरथ ने इसके लिए वर्षो तक तपस्या की थी। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा धरती पर आई। इससे न केवल सूखा और निर्जीव क्षेत्र उर्वर बन गया, बल्कि चारों ओर हरियाली भी छा गई थी। गंगा-दशहरा पर्व मनाने की परंपरा इसी समय से आरंभ हुई थी। राजा भगीरथ की गंगा को पृथ्वी पर लाने की कोशिशों के कारण इस नदी का एक नाम भागीरथी भी है।
महिमा
[[चित्र:Haridwar1.jpg|गंगा नदी, हरिद्वार
Ganga River, Haridwar|thumb]]
भविष्य पुराण में लिखा हुआ है कि जो मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर दस बार ओम नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा। इस स्तोत्र को पढ़ता है, चाहे वो दरिद्र हो, असमर्थ हो वह भी गंगा की पूजा कर पूर्ण फल को पाता है।
अच्छे योग
यदि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन मंगलवार हो तथा हस्त नक्षत्र युता तिथि हो तो यह सब पापों को हरनेवाली होती है। वराह पुराण में लिखा है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी बुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी। वह दस पापों को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं।
दस योग
- ज्येष्ठ मास
- शुक्ल पक्ष
- बुधवार
[[चित्र:Haridwar2.jpg|गंगा नदी, हरिद्वार
Ganga River, Haridwar|thumb]]
- हस्त नक्षत्र
- गर
- आनंद
- व्यतिपात
- कन्या का चंद्र
- वृषभ
- सूर्य
इन दस योगों में मनुष्य स्नान करके सब पापों से छूट जाता है।