गुरु पूर्णिमा: Difference between revisions
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चित्र:Danghati-Temple-Govardhan-Mathura-1.jpg|[[दानघाटी गोवर्धन|दानघाटी मन्दिर]] के सामने श्रद्धालुओं की भीड़, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]<br /> Crowd Of Devotees In Front Of DanGhati Temple, Govardhan, Mathura | चित्र:Danghati-Temple-Govardhan-Mathura-1.jpg|[[दानघाटी गोवर्धन|दानघाटी मन्दिर]] के सामने श्रद्धालुओं की भीड़, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]<br /> Crowd Of Devotees In Front Of DanGhati Temple, Govardhan, Mathura |
Revision as of 07:09, 19 July 2010
गुरु पूर्णिमा / व्यास पूर्णिमा / मुड़िया पूनों
[[चित्र:Guru-Purnima-Govardhan-Mathura-1.jpg|thumb|250px|गुरु पूर्णिमा, गोवर्धन, मथुरा
Guru Purnima, Govardhan, Mathura]]
आषाढ़ मास की पूर्णिमा 'व्यास पूर्णिमा' कहलाती है। गोवर्धन पर्वत की इस दिन लाखों श्रद्धालु परिक्रमा देते हैं । बंगाली साधु सिर मुंडाकर परिक्रमा करते हैं क्योंकि आज के दिन सनातन गोस्वामी का तिरोभाव हुआ था । ब्रज में इसे 'मुड़िया पूनों' कहा जाता है । आज का दिन गुरु–पूजा का दिन होता है । इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। वैसे तो व्यास नाम के कई विद्वान हुए हैं परंतु व्यास ऋषि जो चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता थे, आज के दिन उनकी पूजा की जाती है। हमें वेदों का ज्ञान देने वाले व्यास जी ही थे। अत: वे हमारे आदिगुरु हुए। उनकी स्मृति को बनाए रखने के लिए हमें अपने-अपने गुरुओं को व्यास जी का अंश मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु की पूजा किया करते थे और उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा अर्पण किया करते थे। इस दिन केवल गुरु की ही नहीं अपितु कुटुम्ब में अपने से जो बड़ा है अर्थात माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरुतुल्य समझना चाहिए।
इस दिन (गुरु पूजा) प्रात:काल स्नान पूजा आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण कर गुरु के पास जाना चाहिए। उन्हें ऊंचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर पुष्पमाला पहनानी चाहिए। इसके बाद वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर तथा धन भेंट करना चाहिए। इस प्रकार श्रद्धापूर्वक पूजन करने से गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गुरु के आशीर्वाद से ही विद्यार्थी को विद्या आती है। उसके हृदय का अज्ञानता का अन्धकार दूर होता है। गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होता है। संसार की संपूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती हैं और गुरु के आशीर्वाद से ही दी हुई विद्या सिद्ध और सफल होती है। इस पर्व को श्रद्धापूर्वक मनाना चाहिए, अंधविश्वासों के आधार पर नहीं। गुरु पूजन का मन्त्र है-
'गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:।'
गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।
वीथिका
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दानघाटी मन्दिर के सामने श्रद्धालुओं की भीड़, गोवर्धन, मथुरा
Crowd Of Devotees In Front Of DanGhati Temple, Govardhan, Mathura -
गुरु पूर्णिमा पर भक्तों का रेलगाड़ी द्वारा आगमन,मथुरा
Arrival Of Devotees By Train On Guru Purnima, Govardhan, Mathura
सम्बंधित लिंक
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