उस्ताद-शागिर्द के मक़बरे: Difference between revisions
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*अंग्रेजी शासनकाल में चाहे इन मक़बरों की देखभाल नहीं हुई, लेकिन [[1958]] में पुरातत्त्व विभाग के नियंत्रण में आने के बाद इनकी देखरेख प्रगति पर है। [[1981]] के बाद से इनका रखरखाव निरंतर जारी है। | *अंग्रेजी शासनकाल में चाहे इन मक़बरों की देखभाल नहीं हुई, लेकिन [[1958]] में पुरातत्त्व विभाग के नियंत्रण में आने के बाद इनकी देखरेख प्रगति पर है। [[1981]] के बाद से इनका रखरखाव निरंतर जारी है। | ||
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उस्ताद-शागिर्द के मक़बरे (अंग्रेज़ी: Tombs of Ustad-Shagird, Sirhind) भारत के पंजाब राज्य के फ़तेहगढ़ साहिब ज़िले के लेन गांव में हैं। यह मुग़ल काल में निर्मित इमारतें हैं, जो राज्य सरकार की तरफ से स्मारक घोषित कर दी गई हैं। मुग़ल काल के समय पंजाब का यह क्षेत्र सरहिंद का हिस्सा था।
- बादशाह जहाँगीर के समय में बनाए गए उस्ताद मोहम्मद मोमिन व शागिर्द हाजी जमाल के दोनों मक़बरे नकोदर की ऐतिहासिक शान को बरकरार रखे हुए हैं।
- अंग्रेजी शासनकाल में चाहे इन मक़बरों की देखभाल नहीं हुई, लेकिन 1958 में पुरातत्त्व विभाग के नियंत्रण में आने के बाद इनकी देखरेख प्रगति पर है। 1981 के बाद से इनका रखरखाव निरंतर जारी है।
- उस्ताद मोहम्मद मोमिन ने 1612 ईस्वी में मक़बरा बनवाया, इसमें बगदादी कलाकृति को अपनाया गया। मक़बरे को बाहर से आठ कोणों में रखा गया है, जबकि अंदर से चार कोणों में बना है।
- मोहम्मद मोमिन के मक़बरे के सामने उनके शागिर्द हाजी जमाल का मक़बरा है। इसे बाहर से चार कोणों व अंदर से आठ कोणों का आकार दिया गया है।
- दोनों मक़बरों में लाखोड़ी टाइल, चूना, सुर्खी का इस्तेमाल किया गया है। यही वजह है कि नकोदर के उस्ताद व शागिर्द के मक़बरे नकोदर की शान का प्रतीक है।
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