भील: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "फायदा" to "फ़ायदा")
No edit summary
Line 4: Line 4:


{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|आधार=
|प्रारम्भिक=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|पूर्णता=
|शोध=
|शोध=
}}
}}
 
==संबंधित लेख==
{{जातियाँ और जन जातियाँ}}
[[Category:राजस्थान]]
[[Category:राजस्थान]]
[[Category:जातियाँ और जन जातियाँ]]
[[Category:जातियाँ और जन जातियाँ]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 11:13, 27 December 2010

भील भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। भील जाती राजस्थान की मुख्य जाति है और लगभग 39 प्रतिशत लोग जो राजस्थान, में बनस्वारा गाँव में बसते हैं वे सभी भील जाति के हैं। वे चित्तौड़गढ़ में अरावली के पहाड़ी इलाके बंस्वारा और डंगरपुर में बसते हैं। देखने में भील जाति के लोग साँवले रंग के घुँघराले बालों वाले, जिनकी नाक कुछ चौड़ी होती है वे नाटे और चुस्त होते हैं। वे छोटे-छोटे गाँवों में रहना पसंद करते हैं बजाय इसके कि बड़े-बड़े गाँवों में रहें। हालाँकि वे पिछड़ी हुई जाति के हैं और बहुत ही निर्धन होते हैं तौ भी उनकी आँखों की चमक हमेशा उनकों हँसमुख और खुशहाल प्रतीत होते हैं।

भील जाति की स्त्रियाँ बहुत ही संकीर्ण विचारों की होती हैं परन्तु उन को हाथी दाँत, लाख, चाँदी और काँसे के गहने पहनने का बहुत शौक होता है। आप कभी भी किसी भी भील औरत को ज़रूरी गहनों के बिना नहीं देखेंगे। बोरला जिसे वे माथे पर पहनती हैं, झीला जो सिर के सिरे से कानों पर लटकते हैं। फिर पंडे जो कान के बाहरी उपरी हिस्से में तीन की संख्या में पहने जाते हैं। फिर कर्णफूल जो कानों में छेद करा कर पहने जाते हैं। फिर तुस्सा या बज़ार बट्टी अर्थात चूड़ियाँ भी होती हैं। इस जाति के लोगों में चाहे लड़की हो या लड़का पढ़ाने के लिए किसी को भी उत्साहित नहीं किया जाता है। इसलिए उनके शिक्षित होने की संख्या बहुत ही कम पाई जाती है। इसी कारण लोग उनका फ़ायदा उठाते हैं और वे एक प्रकार के बन्धुवे मज़दूरों को समान कास करते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख