कुरुंबा जाति: Difference between revisions
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*आज कुछ कुरूंबा खेतिहर मज़दूर या शिकारी हैं, जो वनोपजों को बेचते हैं। | *आज कुछ कुरूंबा खेतिहर मज़दूर या शिकारी हैं, जो वनोपजों को बेचते हैं। | ||
*कुरूंबा समूह सामान्यतः एक-दूसरे से कटे रहते हैं और एक मुखिया | *कुरूंबा समूह सामान्यतः एक-दूसरे से कटे रहते हैं और एक मुखिया द्वारा शासित होते हैं, जिसके दो सहायक विवादों को सुलझाते हैं। | ||
*कुछ हद तक हिंदुत्व को अपनाने वाले इन लोगों ने कई पारंपरिक प्रथाओं को त्याग दिया है। | *कुछ हद तक हिंदुत्व को अपनाने वाले इन लोगों ने कई पारंपरिक प्रथाओं को त्याग दिया है। | ||
*मानव विज्ञान के अनुसार इनसे मिलते-जुलते लोग कुरूब मैदानों में छोटे भू-स्वामियों और भेड़ पालकों के रूप में रहते हैं और अब पहाड़ी कुरूंबा से पृथक् माने जाते हैं। | *मानव विज्ञान के अनुसार इनसे मिलते-जुलते लोग कुरूब मैदानों में छोटे भू-स्वामियों और भेड़ पालकों के रूप में रहते हैं और अब पहाड़ी कुरूंबा से पृथक् माने जाते हैं। |
Latest revision as of 10:22, 13 October 2017
कुरुंबा जाति नीलगिरि और कार्डमम की पहाड़ियों पर रहने वाली नीग्रो सदृश जनजाति है। भारत में कुरुंबा पश्चिम-मध्य तमिलनाडु राज्य, दक्षिण में मूल रूप से पशुपालक थे, जो संभवतः पल्लवों के समरूप अथवा उनके निकटस्थ थे। आठवी शताब्दी में पल्लव वंश के पतन के साथ ही कुरूंबाओं के पूर्वज दक्षिण भारत के बड़े भाग में फैल गए और एक-दूसरे से भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से पृथक् हो गए।
- कुरुंबा उपवर्गों के सदस्य शिकार अथवा भोजन एकत्रित कर थोड़ी बहुत खेती करके अथवा दासों के रूप में जीवित रहे।
- आज कुछ कुरूंबा खेतिहर मज़दूर या शिकारी हैं, जो वनोपजों को बेचते हैं।
- कुरूंबा समूह सामान्यतः एक-दूसरे से कटे रहते हैं और एक मुखिया द्वारा शासित होते हैं, जिसके दो सहायक विवादों को सुलझाते हैं।
- कुछ हद तक हिंदुत्व को अपनाने वाले इन लोगों ने कई पारंपरिक प्रथाओं को त्याग दिया है।
- मानव विज्ञान के अनुसार इनसे मिलते-जुलते लोग कुरूब मैदानों में छोटे भू-स्वामियों और भेड़ पालकों के रूप में रहते हैं और अब पहाड़ी कुरूंबा से पृथक् माने जाते हैं।
- 20वीं शाताब्दी के अंत में कुरूब और कुरूंबाओं की कुल जनसंख्या लगभग10 हज़ार थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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