सवातउल अलहाम: Difference between revisions
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*इस किताब की रचना से फ़ैज़ी की बड़े-बड़े मुल्लाओं में धाक जम गई थी। | *इस किताब की रचना से फ़ैज़ी की बड़े-बड़े मुल्लाओं में धाक जम गई थी। |
Revision as of 10:33, 14 May 2013
सवातउल अलहाम नामक पुस्तक की रचना मुग़ल बादशाह अकबर के दरबारी विद्वान और कवि फ़ैज़ी ने लिखी थी, जो अबुल फ़ज़ल का भाई था। इस क़ुरआन भाष्य को फ़ैज़ी ने हिजरी 1002 (1593-94 ई.) में समाप्त किया था।[1]
- इस किताब की रचना से फ़ैज़ी की बड़े-बड़े मुल्लाओं में धाक जम गई थी।
- पुस्तक लिखते वक्त फ़ैज़ी ने प्रतिज्ञा की थी कि मैं इसमें किसी भी बिन्दु वाले अक्षर को नहीं इस्तेमाल करूँगा।
- अरबी लिपि में आधे के करीब अक्षर बिन्दु वाले होते हैं और यह भी हैरान कर देने वाला है कि फ़ैज़ी की यह पुस्तक कोई छोटी-मोटी नहीं, बल्कि विशाल पुस्तक है।
- पुस्तक में अकबर की तारीफ़ के साथ अपनी शिक्षा और बाप-भाइयों का भी हाल लिखा गया है।
- 'सवातउल अलहाम' को पढ़कर एक बहुत बड़े जबर्दस्त अरबी के आलिम मियाँ अमाबुल्ला सरहिन्दी ने फ़ैजी को अहरारुस्सानी (द्वितीय अहरार) कहा है। ख़्वाजा अहरार समरकन्द-बुख़ारा के एक अद्वितीय विद्वान थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अकबर |लेखक: राहुल सांकृत्यायन |प्रकाशक: किताब महल, इलाहाबाद |पृष्ठ संख्या: 294 |