शंकरदयाल शर्मा: Difference between revisions
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'''शंकरदयाल शर्मा''' (जन्म- 19 अगस्त, 1918 ई.; मृत्यु- 27 दिसम्बर, 1999 ई.) [[भारत]] के नवें राष्ट्रपति थे। इनका जन्म [[भोपाल]] में हुआ था। इनके पिता श्री खुशीलाल शर्मा एक वैद्य थे। शंकरदयाल शर्मा [[मध्य प्रदेश]] के पहले ऐसे व्यक्ति रहे, जो अपनी विद्वता, सुदीर्घ राजनैतिक समझबूझ, समर्पण और देश-प्रेम के बल पर भारत के [[राष्ट्रपति]] बने। इन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य रूप से भाग लिया था। शंकरदयाल शर्मा ने 1992 ई. में भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण किया था। | |||
==शिक्षा== | |||
डॉ शंकरदयाल शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय दिगम्बर जैन स्कूल में हासिल की थी। उन्होंने सेंट जोंस कॉलेज, [[आगरा]] और बाद में [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] और लखनऊ विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की उपाधि प्राप्त की थी। आपने [[अंग्रेज़ी साहित्य]] और [[संस्कृत]] सहित [[हिन्दी]] में स्नातकोत्तर उपाधियाँ अर्जित की थीं। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए [[इंग्लैण्ड]] गए। वहाँ क़ानून की शिक्षा ग्रहण की और पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। विश्वविद्यालय ने शंकरदयाल शर्मा को 'डॉक्टर आफ लॉ' की मानद विभूति से अलंकृत किया था। कुछ समय तक कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय में क़ानून के अध्यापक रहने के बाद आप भारत वापस लौट आए और लखनऊ विश्व विद्यालय में क़ानून का अध्यापन कार्य करते रहे। | |||
==मंत्री पद== | |||
स्वतंत्रता संग्राम में और भोपाल रियासत के विलय के आन्दोलन में आपने सक्रिय भाग लिया और जेल की याजनाएँ सहीं। देश के स्वतंत्र होने पर शंकरदयाल शर्मा 1952 से 1956 तक भोपाल राज्यसभा के सदस्य चुने गए और प्रथम [[मुख्यमंत्री]] बने। राज्यों के पुनर्गठन के बाद कुछ समय तक वहाँ मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण विभागों का कार्यभार सम्भाला। 1956 आप [[लोकसभा]] के सदस्य चुने गए और केन्द्र सरकार में संचार मंत्री बने। 1971 में वे पाँचवीं लोकसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। | |||
====कांग्रेस से लगाव==== | |||
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==राष्ट्रपति पद== | |||
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thumb|शंकरदयाल शर्मा
कार्यकाल- 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997
शंकरदयाल शर्मा (जन्म- 19 अगस्त, 1918 ई.; मृत्यु- 27 दिसम्बर, 1999 ई.) भारत के नवें राष्ट्रपति थे। इनका जन्म भोपाल में हुआ था। इनके पिता श्री खुशीलाल शर्मा एक वैद्य थे। शंकरदयाल शर्मा मध्य प्रदेश के पहले ऐसे व्यक्ति रहे, जो अपनी विद्वता, सुदीर्घ राजनैतिक समझबूझ, समर्पण और देश-प्रेम के बल पर भारत के राष्ट्रपति बने। इन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य रूप से भाग लिया था। शंकरदयाल शर्मा ने 1992 ई. में भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण किया था।
शिक्षा
डॉ शंकरदयाल शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय दिगम्बर जैन स्कूल में हासिल की थी। उन्होंने सेंट जोंस कॉलेज, आगरा और बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की उपाधि प्राप्त की थी। आपने अंग्रेज़ी साहित्य और संस्कृत सहित हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधियाँ अर्जित की थीं। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गए। वहाँ क़ानून की शिक्षा ग्रहण की और पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। विश्वविद्यालय ने शंकरदयाल शर्मा को 'डॉक्टर आफ लॉ' की मानद विभूति से अलंकृत किया था। कुछ समय तक कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय में क़ानून के अध्यापक रहने के बाद आप भारत वापस लौट आए और लखनऊ विश्व विद्यालय में क़ानून का अध्यापन कार्य करते रहे।
मंत्री पद
स्वतंत्रता संग्राम में और भोपाल रियासत के विलय के आन्दोलन में आपने सक्रिय भाग लिया और जेल की याजनाएँ सहीं। देश के स्वतंत्र होने पर शंकरदयाल शर्मा 1952 से 1956 तक भोपाल राज्यसभा के सदस्य चुने गए और प्रथम मुख्यमंत्री बने। राज्यों के पुनर्गठन के बाद कुछ समय तक वहाँ मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण विभागों का कार्यभार सम्भाला। 1956 आप लोकसभा के सदस्य चुने गए और केन्द्र सरकार में संचार मंत्री बने। 1971 में वे पाँचवीं लोकसभा के लिए भी निर्वाचित हुए।
कांग्रेस से लगाव
कांग्रेस संगठन से आपका निकट का सम्पर्क रहा है। 1950-1952 में भोपाल कांग्रेस कमेटी की और फिर 1967-1968 में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की आपने अध्यक्षता की। 1967 से आप अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य रहे हैं। 1968 से 1972 तक आप कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी थे और 1972-1974 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
राष्ट्रपति पद
शंकरदयाल शर्मा 21 अगस्त, 1987 को उपराष्ट्रपति पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुए और 3 सितंबर, 1987 को पद की शपथ ग्रहण की। इसके बाद डॉ शर्मा 16 जुलाई, 1992 को राष्ट्रपति पद के लिये निर्वाचित हुए और 25 जुलाई, 1992 को उन्होंने देश के सर्वोच्च पद की शपथ ग्रहण की थी। भोपाल की गुलिया दाई की गली से राष्ट्रपति भवन तक का डॉक्टर शर्मा का सफर बहुतों को रोमांचित करता है, परंतु यह निर्विवाद सत्य है, कि वे बाल्यकाल से ही मेधावी थे। उनके समकक्ष असाधारण शैक्षणिक योग्यता के धनी आज की राजनैतिक प़ीढी में तो बिरले ही मिलते है।
बहुमुखी प्रतिभा
शंकरदयाल शर्मा बहुज्ञ थे। साहित्य, कला और विज्ञान में उनकी समान रुचि थी। अपने विद्यार्थी जीवन में उन्होंने विभिन्न खेलों में भी बढ़कर भाग लिया था। शंकरदयाल शर्मा ने कई ग्रन्थों की रचना की, और कुछ पत्रिकाओं के सम्पादक भी रहे हैं। अपने राजनीतिक जीवन में वे आंध्र प्रदेश, पंजाब तथा महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद पर रहे थे।
निधन
देश के इस महान राष्ट्रपति का निधन 27 दिसम्बर, 1999 में हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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