पादशाहनामा: Difference between revisions
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*[[इतिहासकार]] अब्दुल हमीद लाहौरी के अनुसार [[राजा जयसिंह]] अपने पुरखों की आलीशान मंज़िल से बेहद प्यार करते थे और देना नहीं चाहते थे, किंतु बादशाह के दबाव मे वह इसे देने के लिए तैयार हो गए थे। | *[[इतिहासकार]] अब्दुल हमीद लाहौरी के अनुसार [[राजा जयसिंह]] अपने पुरखों की आलीशान मंज़िल से बेहद प्यार करते थे और देना नहीं चाहते थे, किंतु बादशाह के दबाव मे वह इसे देने के लिए तैयार हो गए थे। | ||
*अब्दुल हमीद लाहौरी के अतिरिक्त काजविनी कृत 'पादशाहनामा' और मुहम्मद वारीस कृत 'पादशाहनामा' का भी उल्लेख [[इतिहास]] में मिलता है। इन तीनों ही कृतियों में बादशाह [[शाहजहाँ]] के शासन के 10, 20 [[वर्ष]] तक शेष काल का हवाला है। तीनों [[इतिहासकार]] राजकीय सेवा में घटनाक्रमों को लिखने हेतु नियुक्त थे। अत: इनका वर्णन शाहजहाँ तथा [[राजपूत]] सम्बन्धों के लिए ही नहीं अपितु इनमें उदृत आर्थिक-सामाजिक दशा हेतु भी उपयोगी है। | |||
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पादशाहनामा एक मुग़लकालीन ऐतिहासिक कृति है, जिसकी रचना अब्दुल हमीद लाहौरी ने की थी। 'पादशाहनामा' को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के शासन काल का प्रामाणिक इतिहास माना जाता है। इसमें शाहजहाँ का सम्पूर्ण वृतांत लिखा हुआ है।
- अब्दुल हमीद लाहौरी बादशाह शाहजहाँ का सरकारी इतिहासकार था। उसकी रचना का नाम 'पादशाहनामा' है।
- 'पादशाहनामा' कृति में शाहजहाँ के शासन के 20 वर्षों के इतिहास का उल्लेख मिलता है।
- यह कृति शाहजहाँ के शासन काल की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति पर भी प्रकाश डालती है।
- शाहजहाँ के दरबारी लेखक अब्दुल हमीद लाहौरी ने अपने 'पादशाहनामा' में मुग़ल बादशाह का सम्पूर्ण वृतांत एक हज़ार से अधिक पृष्ठों मे लिखा है, जिसके खंड एक के पृष्ठ 402 और 403 पर इस बात का उल्लेख है कि शाहजहाँ की बेगम 'मुमताज-उल-ज़मानी', जिसे मृत्यु के बाद बुरहानपुर, मध्य प्रदेश में अस्थाई तौर पर दफना दिया गया था और इसके छ: महीने बाद शुक्रवार के दिन शव को अकबराबाद, आगरा लाया गया। यहाँ महाराजा जयसिंह से लिए गए एक असाधारण सुंदर और शानदार भवन मे शव को पुनः दफनाया गया।
- इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी के अनुसार राजा जयसिंह अपने पुरखों की आलीशान मंज़िल से बेहद प्यार करते थे और देना नहीं चाहते थे, किंतु बादशाह के दबाव मे वह इसे देने के लिए तैयार हो गए थे।
- अब्दुल हमीद लाहौरी के अतिरिक्त काजविनी कृत 'पादशाहनामा' और मुहम्मद वारीस कृत 'पादशाहनामा' का भी उल्लेख इतिहास में मिलता है। इन तीनों ही कृतियों में बादशाह शाहजहाँ के शासन के 10, 20 वर्ष तक शेष काल का हवाला है। तीनों इतिहासकार राजकीय सेवा में घटनाक्रमों को लिखने हेतु नियुक्त थे। अत: इनका वर्णन शाहजहाँ तथा राजपूत सम्बन्धों के लिए ही नहीं अपितु इनमें उदृत आर्थिक-सामाजिक दशा हेतु भी उपयोगी है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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