कलवार: Difference between revisions
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*जस्सा सिंह से प्रेरित होकर अन्य [[सिक्ख]] कलालों ने अहलुवालिया उपनाम को स्वीकार कर लिया और अपने पारम्परिक व्यवसाय को छोड़ दिया। | *जस्सा सिंह से प्रेरित होकर अन्य [[सिक्ख]] कलालों ने अहलुवालिया उपनाम को स्वीकार कर लिया और अपने पारम्परिक व्यवसाय को छोड़ दिया। | ||
*शराब के निर्माण और विक्रय पर ब्रितानी प्रशासनिक उपनिवेश द्वारा लगाये गये नियमों ने इस प्रक्रिया को और | *शराब के निर्माण और विक्रय पर ब्रितानी प्रशासनिक उपनिवेश द्वारा लगाये गये नियमों ने इस प्रक्रिया को और तेज़ीसे कम कर दिया और 20वीं सदी की शुरुआत में अधिकतर कलालों ने पुस्तैनी व्यवसाय को छोड़ दिया। | ||
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Latest revision as of 08:24, 10 February 2021
कलवार जिन्हें 'कलाल', 'कलार' आदि नामों से भी जाना जाता है, एक भारतीय जाति है। इस जाति के लोग ऐतिहासिक रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर एवं मध्य भारत के अन्य भागों में पाये जाते हैं।
- इस जाति के लोग पारम्परिक रूप से शराब बनाने के व्यवसाय से जुड़े हैं, लेकिन 20वीं सदी के आरम्भ में कलवार लोगों ने इस व्यवसाय को छोड़कर अपने समुदाय को पुनः परिभाषित करने का संकल्प लिया।
- चूँकि उनके शराब बनाने और विक्रय करने का वंशानुगत व्यवसाय तुच्छ माना जाता है, इसके अतिरिक्त दक्षिण एशिया की जाति व्यवस्था में कलाल को निम्न वर्ग में माना जाता है। यह स्थिति तब बदल गयी, जब कलाल प्रमुख जस्सा सिंह की 18वीं सदी में राजनीतिक शक्ति बढ़ी। जस्सा सिंह ने अपनी पहचान को अहलुवालिया के रूप में ही रखा जो उनके पैदाइसी गाँव का नाम है। इसी नाम से उन्होंने कपूरथला राज्य की स्थापना की।
- जस्सा सिंह से प्रेरित होकर अन्य सिक्ख कलालों ने अहलुवालिया उपनाम को स्वीकार कर लिया और अपने पारम्परिक व्यवसाय को छोड़ दिया।
- शराब के निर्माण और विक्रय पर ब्रितानी प्रशासनिक उपनिवेश द्वारा लगाये गये नियमों ने इस प्रक्रिया को और तेज़ीसे कम कर दिया और 20वीं सदी की शुरुआत में अधिकतर कलालों ने पुस्तैनी व्यवसाय को छोड़ दिया।
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