हव्यक

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हव्यक (अंग्रेज़ी: Havyaka) हिन्दू पंच द्राविड वैदिक ब्राह्मणों में से एक है। इन्हें हवीका, हैगा तथा हवीगा नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में अधिकांश हव्यक भारत के कर्नाटक राज्य के निवासी हैं। हव्यक, आदि शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित अद्वैत दर्शन को मानते हैं।

  • हव्यक ब्राह्मण उत्तराखण्ड के नैनिताल ज़िले में मौजूद अहिछत्र नामक स्थान के निवासी थे। 9वीं शताब्दी के अंत में दक्षिण भारत के कदंब राजवंश की स्थापना करने वाले राजा मयूरशर्मा या मयूरवर्मा ने हव्यक ब्राह्मणों को वर्तमान के कर्नाटक राज्य में आकर निवास करने का निमंत्रण दिया था। तालागुण्डा और वर्दहळी शिलालेख से यह मालूम होता है कि कदंब राजवंश ने हव्यक ब्राह्मणों को अहिछत्र से शाही अनुष्ठान करने हेतु बुलवाया था।
  • पहले के कई हव्यक परिवार हैगुण्डा[1] तथा बनवासी[2] में बसे थे। मयूरशर्मा द्वारा हव्यक परिवारों को कर्नाटक में बुलाए जाने की क्रिया को एक शिलालेख में दर्ज़ किया गया है जो अब वर्दहळी, कर्नाटक में स्थापित है।
  • हव्यक ब्राह्मण अपनी असामान्य भाषा के लिए जाने जाते हैं। वे हविगन्नड्डा या हव्यक कन्नड़ नामक उपभाषा का उपयोग करते हैंं जो कन्नड़ भाषा का ही रूपांतरण है। यह कई हद तक कन्नड़ भाषा के ही समान है। फिर भी कई कन्नड़ वासी इस भाषा को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं।
  • हव्यक कन्नड़ की भी कई उपबोलियां मौजूद हैं जो इलाके के आधार पर वितरित हैं। हव्यक भाषा में कई शब्द प्राचीन कन्नड़ से लिये गए हैं, जिसके कारण ही सामान्य कन्नड़ वासी इस भाषा को ठीक रूप से समझ नहींं पाते।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उत्तर कन्नड़ ज़िला के होन्नावर तालूक मे शरावाति नदि के पास स्थापित एक छोटा सा गांव।
  2. आदिकवि पम्प का यह प्रिय स्थल कदंब राजवंश की राजधानी थी।

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