प्रांगण:मुखपृष्ठ/कला: Difference between revisions

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* [[चौंसठ कलाएँ]]
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* [[राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय]]
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* [[नृत्य कला]]
* [[ललित कला अकादमी]]
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* [[देवदास (1936)]]
* [[आलम आरा]]
* [[लता मंगेशकर]]
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* [[किशोर कुमार]]
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* [[राजा रवि वर्मा]]
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* [[शास्त्रीय नृत्य]]
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* [[दो आँखें बारह हाथ]]
* [[चरकुला नृत्य]]
* [[चरकुला नृत्य]]
* [[मोहनी अट्टम नृत्य]]
* [[मोहनी अट्टम नृत्य]]
* [[ढोलक]]
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* [[रासलीला]]
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* [[मूर्ति कला मथुरा]]
* [[आलम आरा]]
* [[मदर इंडिया]]
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* [[मुग़ल ए आज़म]]
* [[मुग़ल ए आज़म]]

Revision as of 06:23, 5 December 2010

Template:प्रांगण

♦ विश्‍व का सातवाँ बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं।
♦ उत्तर में विशाल पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।

कला मुखपृष्ठ

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♦ भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है।
♦ भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्‍छादित हिमालय की ऊँचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है।

विशेष आलेख

  • जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है।
  • 'नृत्य में करण, अंगहार, विभाव, भाव, अनुभाव और रसों की अभिव्यक्ति की जाती है। नृत्य के दो प्रकार हैं- नाट्य और अनाट्य
  • स्वर्ग-नरक या पृथ्वी के निवासियों की कृतिका अनुकरण को 'नाट्य' कहा जाता है और अनुकरण-विरहित नृत्य को 'अनाट्य' कहा जाता है।
  • भारत में शास्त्रीय और लोक परम्पराओं के ज़रिये एक प्रकार की नृत्य-नाटिका का उदय हुआ है। जो पूर्णतः एक नाट्य स्वरूप है।
  • भारत में नृत्य की जड़ें प्राचीन परंपराओं में है। इस विशाल उपमहाद्वीप में नृत्यों की विभिन्न विधाओं ने जन्म- लिया है।
  • वर्तमान समय में भारत में नृत्य की लोकप्रियता इस तथ्य से आंकी जा सकती है कि शायद ही कोई ऐसी भारतीय फिल्म होगी, जिसमें आधे दर्जन नृत्य न हों।
  • भारत की सभी संस्कृतियों में किसी न किसी रूप में नृत्य विद्यमान है। .... और पढ़ें
चयनित लेख

right|70px|बुद्ध|link=बुद्ध

  • मथुरा की कलाकृतियों में पत्थर की प्रतिमाओं तथा प्राचीन वास्तुखण्डों के अतिरिक्त मिट्टी के खिलौनों का भी समावेश होता है।
  • चीनी यात्री हुएनसांग के लेखानुसार यहाँ पर अशोक के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है।
  • लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां यक्षों की हैं।
  • यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। पुराणों के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon>
  • मथुरा शहर और उसके आसपास के क्षेत्र से यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं। .... और पढ़ें
कुछ चुने हुए लेख
भूगोल श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

300px|कथकली नृत्य, केरल|center


विविध नृत्य कला


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