कंजर

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कंजर एक घुमक्कड़ कबीला है जो संपूर्ण उत्तर भारत की ग्राम्य और नगरीय जनसंख्या में छितराया हुआ है। ये संभवत: द्रविड़ मूल के हैं। 'कंजर' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत 'कानन-चर' से हुई भी बताई जाती है। वैसे भाषा, नाम, संस्कृति आदि में उत्तर भारतीय प्रवृत्तियाँ कंजरों में इतनी बलवती हैं कि उनका मूल द्रविड़ मानना वैज्ञानिक नहीं जान पड़ता। कंजरों तथा साँसिया, हाबूरा, बेरिया, भाट, नट, बंजारा, जोगी और बहेलिया आदि अन्य घुमक्कड़ कबीलों में पर्याप्त सांस्कृतिक समानता मिलती है।

विशेषताएँ

  • ‘कंजर’ शब्द की उत्पति ‘काननचार’ अथवा ’कनकचार’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘जंगलों में विचरण करने वाला’।
  • झालावाड़ , बाराँ, कोटा ओर उदयपुर ज़िलों में निवास करते हैं।
  • पटेल – कंजर जनजाति के मुखिया
  • पाती माँगना– ये अपराध करने से पूर्व ईश्वर का आशीर्वाद लेते है। उसको पाती माँगना कहा जाता है।
  • हाकम राजा का प्याला – ये हाकम राजा का प्याला पीकर कभी झूठ नहीं बोलते है।
  • इन लोगों के घरों में भागने के लिए पीछे की तरफ खिडकी होती है परन्तु दरवाजे पर किवाड़ नहीं होते है।
  • ये लोग हनुमान और चौथ माता की पूजा करते है।


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