Difference between revisions of "स्पीतियन जाति"

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[[चित्र:Spitian-Tribe-2.jpg|thumb|250px|स्पीतियन जाति की महिलाएँ]]
'''स्पीतियन जाति''' की सरजमीं [[हिमालय]] की गोद में बसी [[स्पीति घाटी]] है। स्पीतियन समाज में सन्यासी पुरूष को 'लामा' और सन्यासिनी महिला को 'चेमो' कहा जाता है।
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'''स्पीतियन जाति''' की सरजमीं [[हिमालय]] की गोद में बसी [[स्पीति घाटी]] है। स्पीतियन समाज में संन्यासी पुरुष को 'लामा' और सन्न्यासिनी महिला को 'चेमो' कहा जाता है।
 
*'भोटी भाषा' स्पीतियनों की [[भाषा]] है, यह भाषा तिब्बती से इतनी मिलती-जुलती है कि इसे तिब्बतन का दूसरा रूप भी कहते हैं।
 
*'भोटी भाषा' स्पीतियनों की [[भाषा]] है, यह भाषा तिब्बती से इतनी मिलती-जुलती है कि इसे तिब्बतन का दूसरा रूप भी कहते हैं।
*सिलाई, बुनाई, खाने पकाने के साथ-साथ [[कृषि]] कार्यों में भी महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पारिवारिक मसलों पर निर्णय लेने का अधिकार तो महिलाओं के पास नहीं होता, परन्तु सभी मसलों पर उनकी राय बहुत अहम होती है।  
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*सिलाई, बुनाई, खाने पकाने के साथ-साथ [[कृषि]] कार्यों में भी महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पारिवारिक मसलों पर निर्णय लेने का अधिकार तो महिलाओं के पास नहीं होता, परन्तु सभी मसलों पर उनकी राय बहुत अहम होती है।  
*स्पीतियन लोगों के घर, दो से तीन मंजिल के होते हैं। इन घरों को 'कांगचिंपा' कहा जाता है। इन घरों में भूतल का प्रयोग जानवरों को रखने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस भूतल का प्रयोग उन पशुओं के चारा रखने और [[ईंधन]] रखने के लिए भी किया जाता है।  
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*स्पीतियन लोगों के घर, दो से तीन मंज़िल के होते हैं। इन घरों को 'कांगचिंपा' कहा जाता है। इन घरों में भूतल का प्रयोग जानवरों को रखने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस भूतल का प्रयोग उन पशुओं के चारा रखने और [[ईंधन]] रखने के लिए भी किया जाता है।  
*स्पीतियन लोगों का खान-पान, इनके भौगोलिक परिवेश के आधार पर होता है। खान-पान का यह तरीका काफी हद तक, तिब्बती खान-पान से मिलता हुआ नजर आता है।  
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*स्पीतियन लोगों का खान-पान, इनके भौगोलिक परिवेश के आधार पर होता है। खान-पान का यह तरीक़ा काफ़ी हद तक, तिब्बती खान-पान से मिलता हुआ नजर आता है।  
*कृषि स्पीतियन लोगों के लिए व्यवसाय तो नहीं, परन्तु जीविका चलाने के लिए, एक जरिया जरूर है। स्पीतियन समाज में ज्यादातर कृषक उच्च वर्गों से ही आते है।  
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*कृषि स्पीतियन लोगों के लिए व्यवसाय तो नहीं, परन्तु जीविका चलाने के लिए एक ज़रिया ज़रूर है। स्पीतियन समाज में ज्यादातर कृषक उच्च वर्गों से ही आते है।  
*स्पीतियन लोगों को कपड़े के [[रंग]]-रोगन में भी खासी महारत हासिल है और इनके कपड़ों के [[रंगाई]] की धूम [[तिब्बत]] तक फैली है।  
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*स्पीतियन लोगों को कपड़े के [[रंग]]-रोगन में भी ख़ासी महारत हासिल है और इनके कपड़ों के [[रंगाई]] की धूम [[तिब्बत]] तक फैली है।  
 
*हथकरघे लगभग सभी स्पीतियन लोगों के घरों में होते हैं। ठंड के दिनों में जब घरों से निकलना मुश्किल होता है, तो इन करघों पर यह बुनाई का काम करते हैं। इनके बुने हुए सूती और उनी कपड़ों की मांग अन्य जगहों पर अच्छी-खासी मांग है।   
 
*हथकरघे लगभग सभी स्पीतियन लोगों के घरों में होते हैं। ठंड के दिनों में जब घरों से निकलना मुश्किल होता है, तो इन करघों पर यह बुनाई का काम करते हैं। इनके बुने हुए सूती और उनी कपड़ों की मांग अन्य जगहों पर अच्छी-खासी मांग है।   
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चित्र:Spitian-Tribe-1.jpg|बच्चे, स्पीतियन जाति
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चित्र:Spitian-Tribe-3.jpg|[[कृषि]] करते स्पीतियन जाति के लोग
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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[[Category:जातियाँ और जन जातियाँ]]
 
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Latest revision as of 11:43, 3 August 2017

thumb|250px|spitiyan jati ki mahilaean spitiyan jati ki sarajamian himalay ki god mean basi spiti ghati hai. spitiyan samaj mean sannyasi purush ko 'lama' aur sannyasini mahila ko 'chemo' kaha jata hai.

  • 'bhoti bhasha' spitiyanoan ki bhasha hai, yah bhasha tibbati se itani milati-julati hai ki ise tibbatan ka doosara roop bhi kahate haian.
  • silaee, bunaee, khane pakane ke sath-sath krishi karyoan mean bhi mahilaoan ki mahattvapoorn bhoomika hoti hai. parivarik masaloan par nirnay lene ka adhikar to mahilaoan ke pas nahian hota, parantu sabhi masaloan par unaki ray bahut aham hoti hai.
  • spitiyan logoan ke ghar, do se tin manzil ke hote haian. in gharoan ko 'kaangachianpa' kaha jata hai. in gharoan mean bhootal ka prayog janavaroan ko rakhane ke lie kiya jata hai. isake alava is bhootal ka prayog un pashuoan ke chara rakhane aur eeandhan rakhane ke lie bhi kiya jata hai.
  • spitiyan logoan ka khan-pan, inake bhaugolik parivesh ke adhar par hota hai. khan-pan ka yah tariqa kafi had tak, tibbati khan-pan se milata hua najar ata hai.
  • krishi spitiyan logoan ke lie vyavasay to nahian, parantu jivika chalane ke lie ek zariya zaroor hai. spitiyan samaj mean jyadatar krishak uchch vargoan se hi ate hai.
  • spitiyan logoan ko kap de ke rang-rogan mean bhi khasi maharat hasil hai aur inake kap doan ke rangaee ki dhoom tibbat tak phaili hai.
  • hathakaraghe lagabhag sabhi spitiyan logoan ke gharoan mean hote haian. thand ke dinoan mean jab gharoan se nikalana mushkil hota hai, to in karaghoan par yah bunaee ka kam karate haian. inake bune hue sooti aur uni kap doan ki maang any jagahoan par achchhi-khasi maang hai.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

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vithika

tika tippani aur sandarbh

bahari k diyaan

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