मिर्ज़ा नजफ़ ख़ाँ: Difference between revisions

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*उसने [[सिक्ख|सिक्खों]] का हमला विफल कर दिया और [[जाट|जाटों]] का दमन किया।
*नजफ़ खाँ ने [[आगरा]] पर भी फिर से दखल कर लिया और [[मराठा|मराठों]] को दिल्ली से दूर रखा।
*नजफ़ खाँ ने [[आगरा]] पर भी फिर से दख़ल कर लिया और [[मराठा|मराठों]] को दिल्ली से दूर रखा।
*[[दिल्ली]] में उच्च पद प्राप्त करने वाला वह अन्तिम विदेशी [[मुस्लिम]] था।
*[[दिल्ली]] में उच्च पद प्राप्त करने वाला वह अन्तिम विदेशी [[मुस्लिम]] था।



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मिर्ज़ा नजफ़ ख़ाँ (1733-1782 ई.) एक ईरानी सरदार था, जो दिल्ली आया और मुग़लों की नौकरी करने लगा। अपनी योग्यता के बल पर वह पदोन्नति करते हुए 1772 ई. में शाहआलम द्वितीय के दिल्ली वापस लौटने पर उसका बड़ा वज़ीर नियुक्त हुआ।

  • मिर्ज़ा नजफ़ ख़ाँ 1782 में अपनी मृत्यु होने तक वज़ीर के पद पर रहा।
  • इस अवधि में दिल्ली सल्तनत की हुकूमत उसी के हाथ में रही।
  • उसने सिक्खों का हमला विफल कर दिया और जाटों का दमन किया।
  • नजफ़ खाँ ने आगरा पर भी फिर से दख़ल कर लिया और मराठों को दिल्ली से दूर रखा।
  • दिल्ली में उच्च पद प्राप्त करने वाला वह अन्तिम विदेशी मुस्लिम था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 364 |


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